Book Title: Jain Nibandh Ratnavali 02
Author(s): Milapchand Katariya
Publisher: Bharatiya Digambar Jain Sahitya

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Page 682
________________ ६८४ } पृष्ठ पक्ति १८६ ૬૩ ५०३ ५०६ ५०७ 2019 १८ ५०७ २१ ५१७ प्रारम्भ ५१६ ५१७ ५१६ ५२० ५२२ ५२२ ५३६ ५४४ ५४६ ५६२ ५६२ ५६३ १७ २० १५. ४ "" ב १५ 3 २० ४ १४ ut क्ष् १४ २६ [ ★ जैन निबन्ध रत्नावली भाग २ शुद्ध प्रतिभाधारी अशुद्ध प्रतिमाधागे बघ तक पचास्तिकाय शात यथात्यय चले हुए सभी afsar समत जनपत्रो कवि के एक एक प्रति पत्रि समिदा चराम्यस्थ अकेलक गवेपक विशेष और वध तर्क पचास्तिकाय सान्त यथात्यन्त जले हुए कभी " खडिता' समत जैनपत्रो कवि ने एक प्रतिपत्ति समिदी वैराग्यस्य अचेलक गवेषक विशेष अन्तर

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