Book Title: Jain Nibandh Ratnavali 02
Author(s): Milapchand Katariya
Publisher: Bharatiya Digambar Jain Sahitya

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Page 683
________________ ग्रन्थ- सशोधन ] पृष्ठ पक्ति ११ १७ ४ ५६४ ५६७ ५६८ ५६८ ५८८ ५८६ २१ ५६६ १२ ५६६ १७ ६१६ २२ ६१६ २३ ६२१ अतिम ६५८ टिप्पण ३ " JD 17 ६६२ ६६४ ६६४ ६६८ ६६६ ६७७ २३ ३ "" ८ ६ ११ Ar 11 अन्तिम १२ १०-११ ૧૧ अशुद्ध किये हैं शुद्ध दिये हैं पजक तो करो का प्रस्तुत पालनमी चनाने चतुर्थ ६३ षष्ठ अनु सेउ तागर सत्यमजु ठोरते हैं रसाfre मोक्षमार्ग प्रकाशक पृ मोक्षमार्ग प्रकाशकपृ १६४ बताते हैं बनाते हैं प्रत्युत X बनाये चतुर्थ भक्त षष्ठ भक्त उसे सागर सत्यभक्त जो ढोरते हैं रसा निव [ ६८५ तय है || अठपहस्या जय है | अठपह शहरो शहरो मे अठ पहस्या मठ पहर्या पाषण पोषण सष आपने निकला था सघ • अपने निकाला था पूजक तीर्थंकर का

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