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ग्रन्थ- सशोधन ]
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अतिम
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अन्तिम
१२
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अशुद्ध
किये हैं
शुद्ध
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तो करो का
प्रस्तुत
पालनमी
चनाने
चतुर्थ ६३ षष्ठ अनु
सेउ
तागर
सत्यमजु
ठोरते हैं
रसाfre
मोक्षमार्ग प्रकाशक पृ मोक्षमार्ग प्रकाशकपृ १६४
बताते हैं
बनाते हैं
प्रत्युत
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बनाये
चतुर्थ भक्त षष्ठ भक्त
उसे
सागर
सत्यभक्त जो
ढोरते हैं
रसा निव
[ ६८५
तय है || अठपहस्या जय है | अठपह
शहरो
शहरो मे
अठ पहस्या
मठ पहर्या
पाषण
पोषण
सष
आपने
निकला था
सघ •
अपने
निकाला था
पूजक
तीर्थंकर का