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[ ★ जैन निबन्ध रत्नावली भाग २
अशुद्ध
शुद्ध
दूसरा तर्थंकर
दूसरा तीर्थंकर
१५ रत्नावली
१५ जैन निवन्ध रत्नावली
चारित्र
चरित्र
नोट ये थोडी सी गलतिया जो सरसरी तौर पर नजर आई हैं सशोधन मे वे हो दी गई हैं । प्राकृत सस्कृतादि श्लोको की तथा अनुस्वार विसर्ग, मात्रा, रेफा, कॉमा फुलस्टॉप, आदि को अन्य वहुतसी गलतियां हैं सुज्ञ पाठक ध्यान से अध्ययन करें ।
- रतनलाल कटारिया
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भारतीय श्रुति-दर्शन केन्द्र
નચતુર
हरिश चन्द्र ठोलिया 15, नवजीवन उपवन, मोती डूंगरी रोड, जयपुर - 4