Book Title: Jain Muni Ki Aachar Samhita Ka Sarvangin Adhyayan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 15
________________ जैन मुनि की आचार संहिता का सर्वाङ्गीण अध्ययन...xiii निरूपण है। तदनन्तर आगमिक व्याख्या साहित्य एवं मध्यकालीन साहित्य पंचवस्तुक, यतिदिनचर्या, यतिजीतकल्प आदि में भी श्रमणाचार विषयक विस्तृत चर्चा है। यद्यपि श्रमणाचार के मुख्य नियम तो भगवान महावीर के शासन काल से अब तक यथावत हैं। परंतु कई नियमों में संघयण, देश, काल, परिस्थिति आदि के कारण परिवर्तन भी आया। जैन विधि-विधानों पर बृहद् स्तरीय शोध करते हुए साध्वी सौम्यगुणाश्रीजी ने अपने शोध प्रबन्ध के दूसरे भाग में श्रमणाचार सम्बन्धी नियमों पर प्रकाश डाला है। इसी के अन्तर्गत जैन मुनि की आचार संहिता का वर्णन करते हुए मुनि जीवन सम्बन्धी सूक्ष्म पहलुओं की चर्चा की है। इससे आम जनता मुनि जीवन विषयक चर्चाओं से अवगत हो पाएगा जो श्रमण जीवन के निरतिचार पालन में सहयोगी बनेगा। साध्वीजी इसी प्रकार कठिन परिश्रम पूर्वक जैन वाङ्गमय के गूढ़ विषयों को उजागर कर उन्हें जन सामान्य के अनुभूति का विषय बनाएं एवं इसी प्रकार जैन श्रुत साहित्य में अपना अवदान देती रहें यही अभिलाषा है। ही बनेगा। डॉ. सागरमल जैन प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर

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