Book Title: Jain Muktavali Suristava Shatakam Cha
Author(s): Muninandanvijay
Publisher: Mansukhbhai Maneklal Shah

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Page 30
________________ । अहंम्। ॥ श्रीगौतमस्वामिने नमः ॥ विशुद्धचारित्रचूडामणि प्रौढप्रभावशालि तपोमच्छाचार्यभट्टारकसद्गुरुश्रीमद्विजय नेमिसूरिभगवद्भ्यो नमः ॥ श्रीसरिस्तवशतकम् ॥ प्रणेता॥ मुनि नन्दनविजयः ॥ श्री जैनएडवोकेट' प्री प्रेसमां शा: चिमनलाल गोकलदासे छापो, घीकांटावाडी अमदावाद. वीर सं, २४४९ विक्रम सं १९७९ आवृत्ति १ ली अमूल्यम् प्रत ५०० SEASESYAma

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