Book Title: Jain Meghdutam
Author(s): Mantungsuri, 
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 366
________________ सहायक ग्रन्थ सूचनिका अक्षर अमर रहें : ले०-वाचस्पति गैरोला, प्रका०-चौखम्बा विद्या भवन, वाराणसी-१, प्रथम संस्करण, सन् १९५९ अग्निपुराण : महर्षि व्यास, प्रका०-संस्कृत संस्थान, बरेली, द्वितीय संस्करण, १९६९. अभिधानचिन्तामणि : हेमचन्द्राचार्य, प्रका०-सेठ देवचन्द्र लालभाई जैन पुस्तकोद्धार संस्था, सूरत, प्रथम संस्करण, सन् १९४६. अभिनव रस सिद्धान्त : ले०- डा. दशरथ द्विवेदी, प्रका०- विश्व विद्यालय प्रकाशन, वाराणसी, प्रथम संस्करण, सन् १९७३. अभिज्ञान शाकुन्तल : कालिदास, प्रका०-मोतीलाल बनारसीदास, वाराणसी, प्रथम संस्करण, सन् १९७०. अमरकोष : सम्पा०-५० हरगोविन्दशास्त्री, प्रका०-चौखम्बा संस्कृत सीरीज आफिस, वाराणसी-१, प्रथम संस्करण, सन् १९७०. अलंकार चिन्तामणि : अजितसेन, सम्पा०-डा. नेमिचन्द्र शास्त्री, प्रका-भारतीय ज्ञानपीठ,दिल्ली, प्रथम संस्करण, सन् १९७३. अलंकार धारणा : विकास : डा. शोभाकान्त मिश्र, प्रका०-बिहार हिन्दी और विश्लेषण ग्रन्थ अकादमी, पटना- ३, प्रथम संस्करण, सन् १९७२. अलंकार सर्वस्व : राजानकरूप्यक, प्रका०-चौखम्बा प्रकाशन, वाराणसी, प्रथम संस्करण, सन् १९७१. अलंकारों का क्रमिक विकास : पुरुषोत्तम शर्मा चतुर्वेदी, प्रका०-मोतीलाल बना रसीदास, दिल्ली, प्रथम संस्करण, सन् १९६७. "आज" दैनिक समाचार पत्र : ज्ञानमण्डल यंत्रालय, वाराणसी, १२ मई, __ सन् १९५९. इण्डियन एण्टिक्वेरी :( पत्रिका ), अप्रैल सन् १८७८. इन्दुदूत : बिनयबिजयगणि, प्रका०-श्री जैन साहित्यवर्धकसभा, शिरपुर, सन् १९४६. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376