Book Title: Jain Marriage Ceremony Gujarati
Author(s):
Publisher: Pallavi and Dilip Mehta
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आ सात प्रतिज्ञा लीधा पछी, हवे उन्या पोतानुं स्थान माली, वरनी डाली जा जेसशे. थि. हीति हवे उन्या भटी, 'होशीपरिवार' नी वणवधु अनी छ.शंजध्वनि, घंटनासने संगीतथी भंगल जनता वातावराभांहवेमापाडोसटीसि-१नऊनीजेलाडीने डेसरियाअक्षतथी वधावीमे.
अनेहवेवर मागणसने उन्या पाछणहोयमेभजम्ने सातभो इरो इरशे. मा वजते गवाता लोडोना छेधा यशभा 'नभः स्वाहा मावतां, वरन्यानां भाता-पितामक्षत संशतिसशरशे.सा विधि हरतां वरन्यानां भाता-पिता, छो 'ॐ पश्याहभ, पुण्याहम, प्रियन्ताभ, प्रियन्ताभ' मे भंत्र सभारी साधे नाशवार मोलशे.
समाति सहगृहस्थत्वं पारिवाश्यं सुरेन्द्रता । सामान्यं परमार्हन्त्यं निर्वाय येति सक्षम् ॥ निर्वाश परभस्थान विनलाषितमुत्तमम् । पूश्येत ससवर्गाशि स्वर्गभोक्षसुभारम्॥ ॐ ह्रीं निर्वाहा परभ स्थानाय नमः स्वाहा । हवे वरन्थानां भाता-पिता बोलेॐ पुण्याहम, पुण्याहम, प्रियन्ताम्, प्रियन्ताम् ।। ॐ पुयाह, पुण्याहम्, प्रियन्ताभ, प्रियन्ताम् ।। ॐ पुण्याहभ पुण्याहभ, प्रियन्ताभ, प्रियन्ताम् ।।
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