Book Title: Jain Marriage Ceremony Gujarati
Author(s):
Publisher: Pallavi and Dilip Mehta
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लग्नमंडपमा ठेल तथा आ विधिमा उपस्थित सौ स्वपनने साथे भणी 'जवहार मंत्र'नुलावपूर्वक पठल 5रवा विनंती.
नभो अरिहंताराम । नभो सिधाशम् । नभो आयरियाश। नभो वायाराम नभो लोमे सव्व साहू मेसो पंय नभुडारो सव्व पावधशासशो भंगला य सव्वेसिभ् पढभं हवछ भंगल।
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सर्व भंगल भांगल्यं, सर्व उप्याराडाराराम् । प्रधानं सर्वधर्भाशयां, नंयति शासनम् ॥
(लावार्थ : सर्व भंगलोभा श्रेष्ठ भगलस्व३५, सर्व ल्यायानुं धारासने सर्व धर्भोभा श्रेष्ठ ओवून शासन थवंतु वतें छे.)
| શ્રી જિનેશ્વર ભગવાનની જય ||

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