Page #1
--------------------------------------------------------------------------
________________
SICICISHERI
EDIODOGeet
ELSESBE Birteejapane
मयाममा
wwwwwwwwwwwwMANMAAAAAAAAAAMAA
AAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAT
बसवलानामा
A
नवाबगवामाता
मनम
TIGERHITE
HICH सा
शिवाय
Page #2
--------------------------------------------------------------------------
________________
to PITIS
B. Arunkumar & Co.
Mumbai
A souvenir from: Pallavi & Dilip Mehta 1200, Shanudeep 10, Altamount Road Mumbai 400 026 Tel: 380 8899, 380 3584
Mr. Girish Shah 20485 Via Cadiz Yorba Linda, CA 92886-4577
Rosy Blue Antwerp
Page #3
--------------------------------------------------------------------------
________________
Jain Marriage Ceremony
compiled & translated by Mr. Ramesh Joshi
The New Era School, Mumbai 400 007
Dipti
Janak
Tuesday, 8.4.97 Turf Club, Mahalaxmi, Mumbai
Page #4
--------------------------------------------------------------------------
________________
VIVI
॥ ॐ श्री त्रिशतानंघाय नमः ॥
|| भंगदायरा ॥
नमस्कार. सुस्वागतम्. नी असीम कृपाथी थि. हीप्ति (डिम्पल) खने यि नहुभारना लग्ननी भंगण घडी अवतरी छे जेवा परमाणु श्री अरिहंत लगवंत, गएाधर लगवंत सने शासन देवतासोने वंधन पुरीसे छीजे. साने वि. सं. २०५३ मा चैत्र सुह सेडम सेटले गुडी पडवो, ता. ८ -४ -१८८७ ना भंगणवारना शुभ हिवसे पालनपुर निवासी श्री हिलीपलाई रमशिलाल महेता जने ज. सौ. पक्षवीजहेननी सुपुत्री थि. हीप्ति (डिम्पल) ने समरापुरनिवासी श्री पंडलाई मनसुजलाल होशी ने अ. सौ. हीािजहेनना सुपुत्र थि नउमा मंगल परिएायनी विधिनां मंगलायरा रीजे. साथ सौ वडीलोनुं अने स्वनोनुं वरन्याना जन्मे पक्ष तरइथी अंतः पूर्व स्वागत छीजे. हरजातां है ये गृहस्थाश्रमभां प्रवेशतां हीप्ति-नमा सहभुवनने आपना अंतरना आशिषथी धन्य जनाववा विनंती पुरीखे छीजे.
॥ ॐ नय नय थ्र्य । ॐ नमोस्तु नभोस्तु नभोस्तु ॥
Page #5
--------------------------------------------------------------------------
________________
नभो अरिहंताराम
नभो सिद्धाश नभो आयरियायाम नभो वायाश नभोलोमे सव्व साहू
मेसो घंय नभुटारो सव्व पावप्पशासायो भंगला य सव्वेसि
पढभं हवछ भंगलभ् ॥ (भावार्थ: अरिहंत प्रभुने नभस्टार. सिद्ध लगवंतोने नभस्वार.
माथार्योने नमस्कार. Gपाध्यायोने नमस्कार.
गतना सर्व साधुषनने नमस्कार. आ पांय नमस्कार सर्व प्रहारनां पापनो नाश हरनार छे. सर्व प्रधारनां भंगलभां से सर्व प्रथम भंगलाहारी छे.) महन्तो भगवंत छन्द्रभहिताः सिद्धाश्व सिद्धिस्थिता आथार्या जिनशासनोन्नतिराः पूश्या उपाध्यायाः । श्री सिद्धान्त-सुपाठठा भुनिवराः रत्नत्रयाराधा पंयते परमेष्ठिनः प्रतिटिनं पूर्वन्तु वो भंगलम् ॥
म
Page #6
--------------------------------------------------------------------------
________________
(भावार्थ: छन्द्रसहित विहानव सने भानव व सन्मान पामेल वंध्नीय अरिहंत हेच; सिद्धशीलाधर स्थित सिद्ध भगवान, पिन शासननी उन्नति रनारा श्री आयार्य हेवो, आगमोनुं पठनपाठन इरावनारा पूश्य Gपाध्यायको तथा रत्नाथीनुं आराधन पुरवाभां तत्पर सेवा प्रवर भुनिवरो; आ पांय परभ ष्ट देव सभाएं सतत ल्याए रो.)
ॐ हीं सह श्री गौतभस्वाभिने नभः । ॐ हीं सह श्री गौतभस्वाभिने नमः ।
ॐ हीं अहम् श्री गौतभस्वाभिने नभः । हवे वरन्या भंगलहीप प्रष्टावशे. प्रभुने मेष प्रार्थना है हीवडानो प्रधाश अन्नेनावनने अश्वाणो.हवे छवनरक्षानुं अलेध ऽवय स्यनारा 'आत्मरक्षाभंत्र'- लन्तिलावपूर्व पठन थशे.
॥ मालभरक्षाभं॥ ॐ परमेष्ठिनभस्टारं, सारं नवपटात्भभ। आत्मरक्षाऽरं व राभं स्भराभ्यह
॥१॥ ॐ नभो अरिहंता शिरस् शिरसि स्थितम् । ॐ नमो सव्व सिद्धा, भुजे भुजपटांमर ॥२॥ ॐ नमो आयरिया, अंगरक्षातिशायिनी । ॐ नमो वाथा आयुधं हस्तथोर्द्रढम् ॥3॥
ANORKONNOIN
WOM
Page #7
--------------------------------------------------------------------------
________________
| 1૪'
צבעוניורה
૩૩ નમો લોએ સવ્વ સાહૂણ, મોચકે પાયોઃ શર્ભા એસો પંચ નમુકકારો, શિલાટી ૪ત્મચી તલે સવ્વપાવપારેTIણા, વી વ8૪મય નહિઃ | મંગલા ચ સવ્વર્સિ, ખાદિસંગાર ખાસિક:
//પા. સ્વાહાતં ચ પદે àચં, પઢમં હવઈ મંગલમ વપ્રોપરિ વજમાં, પિઘાન દેહરક્ષા મહાપ્રભાવ રક્ષેય, ક્ષદ્રોપદ્રવનાશિની . પરમેઝિપદોબૂતા, કથિતા પૂર્વસૂરિભિઃ
//ળા વચ્ચેનં કુરુતે રક્ષાં, પરમેઝિપદઃ સદા |
તસ્ય ન સ્યાદ્ ભયં, વ્યાધિ-રાધિચ્ચાડપિ કદાચતા ટા (ભાવાર્ય:નયપદા સારસ્વરૂપ પંચ પરમેષ્ઠિને પૂર્વક નમસ્કાર કરીને, આત્મરક્ષા કરનાર વપંજર સ્તોત્ર હું સ્મરણ કરું છું. મસ્તક ઉપર રહેલા અરિહંત ભગવંતને ૩ પૂર્વક નમસ્કાર. મુખ ઉપર રદેલા આવરણારૂપ વરx સમાન સર્વ સિદ્ધ ભગવંતોને નમસ્કાર,
val રક્ષા કરનાર આચાર્ય ભયંસોને નમસ્કાર. બે હાથના ૪ આયુથ સમાંત ઉપાધ્યાય ભગવાનને નમસ્કાર. બે પગના શુભ રક્ષક એવા સર્વ સાધુ ભગવંતોને નમસ્કાર, આ પોરટને કરેલ નમસ્કાર દ્યરાતિલ ઉપર વ્રજમય શીલા સમાન છે. નારીર બહારથી યજ સમાજના બનાવે છે. સર્વ પાપનો નાશ કરનાર છે સર્વનું મંગલ કરનાર છે. ‘સ્વાહા' અંતયાળા મંત્રને જાણવો જોઈએ, જે પ્રથમ મંગલકારણે છે. રારિ ઉપર યમય રક્ષણ કરનાર આ મંત્ર છે. પરમેઝિના પાંચ પદોમાંથી ઉદભવેલી અને પર્યસરિએ કહેલી આ મહાપ્રભાવશાલી ૨ATI દ્ર, ઉપદ્રવ વગેરેનો માર કરનારી છે. પરમેષ્ઠિના પદો કે જે આ ‘રક્ષા' નો પાઠ કરે છે. તેને કદી પણ ભય, વ્યાર્થિ ટિણ ગીર પીતાં નથી.)
- it/fkti,
Page #8
--------------------------------------------------------------------------
________________
RAA
हवेथि.हीस्तिनांभातुश्री पधवीमहेनसने थि. नऊला भातुश्री हीधिष्ठान वरन्थाने भंगलतिरशे. घायलजन, वरन्याने हाथे भीठण जांधशे. लम्तिमन, यारेय भाता-पिताने भए Bis पवित्र रक्षापोटली जांधशे.आ विधिवेणा हवे भंगलतिलऽना श्लोड गवाशे.
|| भंगलतिल|| भंगलं लगवान वीरो, भंगलं गौतम प्रभुः । भंगलं स्थूटिभद्राधा, न धोस्तु भंगलम् ।। नाले साधा विनाः सर्वेः लरताधाश्य यष्ठितः । पूर्वन्तु भंगलं सर्वे, विषयावः प्रतिविण्यावः ।। भरध्वी त्रिशलाधा विज्याता बिनभातराम । त्रिगत् निता नंहा, भंगलाय लवतुं मे ।। यडेश्वरी सिद्धाथिष्ठा, भुण्याः शासनवता ।
सभ्यगार्शा विघ्नहराः स्ययंतु य श्रीयम् ॥ (लावार्थ : लगवान महावीर स्वामी भंगण३प हो, श्री मोतम स्वामी भंगण३प हो, स्थूटिलद्राहि भुनिसो भंगला३प हो अनेन धर्म भंगलप हो.
पलवबारे सर्वे तीर्थरलगवंतो तथालरत महारावगेरे यवतींसो, वासुध्यो भने प्रतिवासुदेवो सवें भंगा३प हो.
Vठो रगतने आनंह अर्घनार तीर्थर प्रलली भातासो श्री भदेवीथी। मारलीने त्रिशलाभाता सुधीली भातासो भाएं इल्यास रो..
यश्वरी देवी रनले सिद्धायिठा टी वगेरे शासन मधिलाधर भुन्भुण्य सभ्यष्टि ध्व-हेवीओ भा विघ्नो हर रो भने नयलाओ साधी ।
KOU
MONTS
1OM
ONG
Page #9
--------------------------------------------------------------------------
________________
ब
AIRS
IAKHitte
TOMA
VITAMILLERS
ION
HINITIRMIRICI
ATMITRA
(Oma
O GIOCO
तुल्यं नभस्त्रिभुवनातिहराय नाथ! तुल्यं नमः क्षितितलाभलाभूषाशाय । तुल्यं नभस्त्रिगतः परमेश्वराय,
तुल्यं नमो पिन ! लवोदधिशोषशाय॥ (अर्थ : हे नाथा हो रगतना वोनी पीडाने हरनार सेवा तमने नमस्कार हो. पृथ्वीतलमा निर्मल आलूषा मेवा तभने नभस्वार हो.
ऋ गतना परमेश्वर सेवा तभने नमस्कार हो.हे पिनेश्वर! संसार३पीसमुद्र-शोषाधरनार सेवा तभने नमस्कार हो.)
भने हवे उल्थााडारी भांगलिट गवाशे.
। भांगलि॥
यत्तारि मंगल अरिहंता भंगल सिद्धा मंगल
સાહુ મંગલમ ठेवली पात्तो धम्भो भंगल।
यत्तारि लोगुत्तभा अरिहंता लोगुत्तभा सिद्धा लोगुत्तभा
सालोगुत्तभा वली पारत्तो धम्भो लोगुत्तभो ।
यत्तारि सम पव्वामि अरिहंते सर पव्वाभि सिद्धे सरां धवलानि
साहू सरह पव्वामि ठेवली पातं धम्भ सरह पव्वनि
BREEN4LRALIRIKinHTRA
नानाOION
Page #10
--------------------------------------------------------------------------
________________
(अर्थ: यार तत्वो मंगल स्वरूप छे अर्हन्त प्रभु मंगल स्व३प छे. सिद्ध हेवो मंगल स्व३प छे. साधुटनो मंगल स्व३प छे.
डेवली प्रलुद्वारा प्रज्ञप्स धर्म मंगल३य छे. भगतां यार तत्व सर्वश्रेष्ठ छे.
अरिहंत सर्वश्रेष्ठ छे.
सिद्ध देवो सर्वश्रेष्ठ छे.
साधुनो सर्वश्रेष्ठ छे.
डेवली प्रभुद्वारा प्रज्ञप्त धर्म सर्वश्रेष्ठ छे. हुं यार (श्रेष्ठ) तत्वोने शरो भ छं. अरिहंतोने शरदो भ
सिद्ध हेवोने शरो छु. साधुनोने शो भG छु.
કેવલી પ્રભુએ પ્રચારિત ઘર્મને શરણે જાઉં છું.)
खापो सौ ल्याएाहारी मांगलिक सांलण्युं. हवे, वरन्या तेभर जन्जेनां भाता-पिताने पड़ा विनंती हे तेजो विनेश्वर प्रभुनां थराडभलपर अक्षत संपति अपे.
हवे अर्हत भ खेटले सर्वडाल वंहनीय योवीस तीर्थर भगवंतोनी पून श३ थाय छे. प्रत्यड तीर्थपुर प्रभुनुं नाभ जोलाय त्यारे तिने विनंती तेखो लगवंत वासक्षेप थी लाव पूर्व 5रे. पायलजहेन छेला श्लोड वजते वरन्या, पूरनसामग्री, भूमि वगेरे पर पवित्र जनो छंटाव घरी अक्षत जंलि अर्पशे.
Page #11
--------------------------------------------------------------------------
________________
॥ अर्हत् पूठा ॥
ॐ नभो अर्हते स्वाहा ।
ॐ श्री ऋषभः नः स्वस्ति, स्वस्ति श्री अभितः । श्री संभवः स्वस्ति, स्वस्ति श्री अलिनंघ्नः ॥ श्री सुभतिः स्वस्ति, स्वस्ति श्री पद्मप्रलः । श्री सुपार्श्वः स्वस्ति, स्वस्ति श्री यन्द्रप्रभः ॥ श्री सुविधिः स्वस्ति, स्वस्ति श्री शीतलः | श्री श्रेयांसः स्वस्ति, स्वस्ति श्री वासुपूभ्यः ॥ श्री विभतः स्वस्ति, स्वस्ति श्री अनंतः । श्री धर्मः स्वस्ति, स्वस्ति श्री शान्तिनाथः ॥ श्री कुंथुः स्वस्ति, स्वस्ति श्री अरनाथः । श्री मतिः स्वस्ति, स्वस्ति श्री भुनिसुव्रतः ॥ श्री नभिः स्वस्ति, स्वस्ति श्री नेमिनाथः । श्री पार्श्वः स्वस्ति, स्वस्ति श्री वर्धमानः ॥ ॐ ह्रीं श्री सीमंधरा िविहरभान विंशति तीर्थऽरेल्यो नभः ॥
ॐ नभो अर्हते स्वाहा ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रः ॥
ॐ नमो अर्हते भगवते श्रीमते पवित्र ४सेन सर्व शुद्धि रोमि
स्वाहा ॥
Page #12
--------------------------------------------------------------------------
________________
D
(भावार्थ : श्री ऋषभनाथ सभारे भाटे भंगलस्व३प हो, श्री अजितनाथ सभारे भाटे हत्याराहार हो, श्री संलवनाथ अभारे भाटे भंगलस्व३प हो. श्री मलिनंहन स्वामी अभारे भाटे भंगलस्व३५ हो. श्री सुभति जिन मापाशा भाटे भंगलस्व३प हो, श्री पद्मप्रभ भ्रम मापाशा भाटे उल्यारामारी हो. श्री सुपार्श्वप्रल आपाशा भाटे उल्थाहारी हो, श्री यन्द्रभ्रल स्वामी आशा भाटे ठल्याहारी हो. श्री सुविधि प्रभु सभारे भाटे भंगलस्व३प हो, श्री शीतलनाथ सभारे भाटे भंगल स्वप हो, श्री श्रेयांस पिनसभारे भाटेऽत्याशठारी हो, श्री वासुपूज्य सभारे भाटे भंगलस्व३प हो. श्री विमलनाथ सभारे भाटेभंगलस्व३५हो, श्रीसनंतनाथ सभारे भाटे भंगल स्व३प हो, श्री धर्म जिन अभारे भाटे भंगल स्व३५ हो, श्री शांतिनाथ सभारे भाटे भंगल स्व३ध हो, श्री कुंथुनाथ अभारे भाटे इल्याहारी हो, श्री सरनाथ हत्याराहारी हो, श्री भटिलनाथ इत्याराडारी हो, श्री भनिसवत इत्याठिारी हो. श्री नभिनाथ अभारे भाटे भंगलस्व३प हो, श्री नेमिनाथ भंगल स्व३प हो, श्री पार्श्वनाथ भंगलस्व३प हो, श्री वर्धभान प्रभु भंगलस्व३प हो)
हवे ज्ञानपू मारंभाय छे. वरन्था पवित्र वासक्षेपथी ज्ञानपूरशे. पूवजते वरन्थानांभाता-पिताहाथोडी, श्रद्धापूर्व मा भत्र पांयवार मोलशे. पछी न्यारे शांतिभंत्रनो पाठथतो होय त्यारे घरे वाध्यने संते अक्षतथी पूल इरशे.
शास्त्रपूल पछी लावपूर्व हाथ गोडी 'शांतिभंत्र'त्रा वार मोलवा भाटे वरन्थानां भातापिताने विनंती.
(CCC
Page #13
--------------------------------------------------------------------------
________________
|| शाभूपू ॥
उप ही नभो नास्स ॐ ह्रीं नमो नास्स
ह्रीं नमो नाशस्स ॐ नमो नाशस्म
ॐ हीं नभो नास्स (भावार्थ : ॐ हीं ज्ञान (ध्वता) ने नभस्टार)
|शांतिभंत्र॥ हो सह स सि आ 6 सा नभः सर्व शांतिं कुरु कुरु स्वाहा ॥ *ही नहस सि आ 6 सा नभः सर्व शांति पुरुहरु स्वाहा ।। हो सह असि मा 6सा नभः सर्व शांतिंदुरुसुरु स्वाहा ।
सने हवे,आसनसंर-छारनीसौथीभहत्वनी विधि-छेडामंधननी विधि श३ थाय छे. पनवीनने विनंती नठमाना जेसनाने 93 सोपारी सने ३पानामांधल छे से छेडाने टीप्तिना घरयोणाना छेडा साथे (Gधासपूर्वजांधे. पायलमहेन, हीप्ति-१नने वरभाणा पहेरावशे. मा घरभ्यान छेडाप्नंधननो पवित्र श्लोड गवाशे.
ड
Page #14
--------------------------------------------------------------------------
________________
IISI-GiεG II अस्मिन् म्भन्येष जंधोद्वयोवें अमे धर्भे वा गृहस्थत्वभाभि । योगो भतः पंथ देवाग्निसाक्षी भया पत्योरंयलग्रंथिजंधात् ॥
(भावार्थ: तभारा जब्जेनुं खा (छेडा) जंधन सान्भमां अमने धर्ममा लागीहार३५ छे. पत्नी जने पतिना छेडानी गांठना जंधनथी पांय हेव जने अमिनी साक्षी खे जा योग थयो छे.)
हवे लग्न संस्कारना हार्टसभी 'हस्तमेणाप'नी विधि शई थाय छे. यि. हीप्तिना पिताश्री हिलीपलाने विनंती डे वर जने न्याना माशा हाथभा नो मंगण साथियोडरी, वरना भाशा हाथ उपर न्यानो भयो हाथ जानं पूर्व भूडी. जा शुभ मुहूर्ते, पिनेश्वर लगवाननी साक्षीजे, हस्तभेणाप उरावे. आा विधि घरम्यान हीति न हीर्घ श्वास ल, हुं लठ ध्यान धरी, वित्तने खेडा 5री, नवार मंत्र भनभां त्रा वार जोलशे श्लोष्ठना छेक्षा यरा 'ॐ अर्हम्' मा गान व्रजते न्यानां भाता-पिता, उन्याना भणेला हाथ उपर सहेन वणधारा वहावी, पोतानी संभति जने खानं व्यक्त रशे. विधि हरम्यान हस्तमेणापनो श्लो गवाशे.
॥ हस्तभेला ॥
हारिद्र पं भवलिप्य सुवासिनीलिः । धत्तं द्वयो नयोः जलु तौ गृहीत्वा ॥ क्षिरं निवसुतां लवभग्रपाणिम् । लिम्पे वरस्य यरद्वय यो नार्थम् ॥ भावार्थ. सौभाग्यवंती नारीस्रो भेने पीठी योणी छे खेवी पोतानी पुत्री नाभागा
लाने वरना इंडुरंग्या हाथमां प्रन्याना पिता भूछे छे.)
Page #15
--------------------------------------------------------------------------
________________
aaiiisittinu team
ज
Hg
-सने हवे पिनेश्वर लगवंतनी साक्षीने मेहमीशनां अनेल हीस्ति-नना गृहस्थछवनभां भांगल्य रहे, सेभनो प्रेभ अभर रहे. सनेवनभांप्रत्येपणेसुशांति प्राप्तथाथ-मेलावनाथीभंगलाष्टा गवाशे.
|| मंगलाष्ट || वंही लावथी सर्व संत १नने, श्रद्धा थडी पूछने है ने मंत्र महा १गे घ्यथी, तार्या सहु वने मेरो नित्य वहावी हर्षथी सही, गंगा अधे प्रेभनी सेवा वीर महाप्रभु युगल-, पुर्यात् सहा भंगलम् ।।१।। प्रहलांडे लहरावी भाव थष्ठी मा, यो ध्वी धर्मनी ने सौछवता थथा हरजथी, जंधु जरा मात्भना सौ तीर्थहरन शासनता, शांति सुधा अपंता मान सभ हीति नेनन, इर्थात् सहा भंगलम् ॥२॥ पोषी नेहथी, नि१ संभहीं है,हेते अलावी सहा वाणी ना मुटु तालरी ही सरी, Eही भुजेथी परा सीथी संस्कृतिमीर से निशहिने, EEL थया पू . 'सुशीला-रभरि' नेहराशा, इर्थात् सहा भंगलम् ॥
GIGIG
Page #16
--------------------------------------------------------------------------
________________
હૈં જે રૂપ વિભુવરે ઘરણીપે, પાયાં પ્રીતિ-અમૃતો લૂછી અશ્રુ-ય નિજ પાલવ થકી, છાયા દીઘી નેહની જેની ફોરમ નિત્ય ચિત્ત ભરતી, ગૃહે છવાતી રહી મોંઘા ‘પલ્લવી’ માતૃભાવ દ્વયનું, કુર્યાત્ સદા મંગલમ્ ॥૪॥ હૈયા હેતથી અંગુલિ પકડીને, પાઠો ભણાયા ખરા જેને કાજ વહાલી ‘ડિમ્પલ’ બની, આંખોની કીકી સમી પિતા પ્રેમલ ને રૂખા જીવનમાં, સન્માર્ગ સાથી રૂડા પિતા ‘દિલીપભાઈ’ ડિમ્પલતણું, કુર્યાત્ સદા મંગલમ્ પા ખેલતાં હરખે વીતી પલકમાં, મીઠી પળો શૈશવે જેના આગમને પ્રકાશ પ્રસરે, હૈયા તણા મંડપે એવાં સ્નેહી ‘અરુણ’· ને ‘રજનિકા’, કાકા અને કાકીઓ ‘નૈના-હર્ષદ’, દીપ્તિ ને જનકનું, કુર્યાત્ સદા મંગલમ્ ॥૬॥ થાતાં મિત્ર ખરાં ઘડીક રમતે, કિટ્ટા થતી સ્હેજમાં બુચ્ચા કરી લઈ ફરી રમતમાં, જોડાઈ જાતાં બધાં દીપુ-પાયલ ને રસેલ સહ આ, મોના અને આશના પ્રાર્થે નિત્ય વિભુવો યુગલનું, કુર્યાત્ સદા મંગલમ્ IIછાા ‘તારે કાજ સદા હજો જીવનમાં, છાયા રૂડી સ્નેહની પુષ્પા માતૃરેથી નિત્ય વહેશે, વાત્સલ્યગંગા ખરી પિતા ‘પંકજ’ ને સદા ખીલવજે, ‘ભક્તિ’ ‘દીપિકા’ બની પ્રાર્થે ‘રાજમણિ’ પ્રભુ યુગલનું, કુર્યાત્ સદા મંગલમ્ ॥૮॥
Page #17
--------------------------------------------------------------------------
________________
IDANGI
ran
Quel
O
७
-DAD
हवे नवकार मंत्र तथा ' मह' नु रटा थशे.
|| नवभर भं ॥ ॐ नभो अरिहंताराम ॐ नभो सिध्धारा ॐ नभो आयरियाशाभ ॐ नभो Gyaमायाराम नभो लोमे सव्व साहूएशन् मेसो पंय नभुटारो सव्व पावपाशासाशो भंगला य सव्वेसिभ
पठभं हवछ भंगलभ् ।। ॐ सहभ । आत्माऽसि, वोऽसि, सभडालोऽसि, सभथित्तोऽसि, सभडर्भोऽसि, सभश्रेयोऽसि, सभहेहो 5 सि, सभस्नेहोऽसि,सभप्रभोटोऽसि,सभगभोऽसि,सभविहरोऽसि, सभ भोक्षोऽसि, तहेहि मेऽत्वं छानीयम् ।
मह । ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः।।
ॐक्ष्वी क्ष्वी हंसः स्वाहा । वरन्याने विनंती के तेसो शिनेश्वरयो सक्षत संभाल भावपूर्व सा हरे.
OTOMOS WOwane
Page #18
--------------------------------------------------------------------------
________________
हीप्ति - ४न, साथी भुवनभां प्रत्येक पगले तमे रोजी नां साथी जनो छो. "भन, डर्भ, शारीरिष्ठ डिया, प्रेम, सानं जने ही धोयुष्यनी जाजतभां जीनां सहलागी जनी, साया अर्थमां भुवननां सर्व सुज पाभीजे" -जे लावना हृध्यमां धारी, जेज्जीभनो हाथ आली, शासनदेवतानी साक्षी में घीप इरता छ मंगलदेश इरी, तभो साथां भुवनसाथी जनो.
मेरा इस्ती वजते ऽन्या जागण जने वर पाछ्ण रहेशे, जा विधि दरम्यान घरे इेरे से श्लोड गवाशे जने रेराने अंते भ्यारे 'स्वाहा' બોલાય ત્યારે વરકન્યા ‘૩૪ અર્હમ્’ બોલી, પ્રભુચરણે અક્ષત અંજલિ अर्थशे.
॥ मंगरा ॥
सभ्भति सद्गृहस्थत्वं, पारिव्राभ्यं सुरेन्द्रता । साम्राभ्यं परमार्हन्त्यं निर्वाएां येति सप्तम् ॥ ॐ ह्रीं श्री सभ्भति परमस्थानाय नमः स्वाहा । ॐ ह्रीं श्री सद्दगृहस्थ परमस्थानाय नमः स्वाहा । ॐ ह्रीं श्री पारिव्राभ्य परमस्थानाय नमः स्वाहा | ॐ ह्रीं श्री सुरेन्द्रता परमस्थानाय नमः स्वाहा । ॐ ह्रीं श्री साम्राभ्य परमस्थानाय नमः स्वाहा । ॐ ह्रीं श्री परभार्हन्त्य परमस्थानाय नमः स्वाहा ।
Page #19
--------------------------------------------------------------------------
________________
(ભાવાર્થ : ૩૪ હી થ્રી સકુળરૂપી પરમસ્થાનને નમસ્કાર પૂર્વક સ્વાહા. ૩૬ હીં શ્રી સદ્ગૃહસ્થત્યરૂપી પરમસ્થાનને નમસ્કાર. ૩૬ હી શ્રી પારિવ્રાજકતારૂપી પરમસ્થાનને નમસ્કાર. ૩૬ હીં શ્રી ઐશ્વર્યરૂપી પરમસ્થાનને નમસ્કાર.
૩૬ હી શ્રી સામ્રાજ્યરૂપી પરમસ્થાનને નમસ્કાર.
૩૬ ર્દી શ્રી પરમ અરિહંતત્વરૂપી પરમસ્થાનને નમસ્કાર,
હવે લગ્ન સંસ્કારના પાયા સમી સપ્તપદીની વિધિ શરૂ થાય છે. દીપ્તિ-જનકને વિનંતી કે લગ્નસંસ્કારની પવિત્રતા અને ગૌરવને ઊંડાણથી સમજી. પ્રેમપૂર્વક સમ પ્રતિજ્ઞાઓ લે. આપણે સહુ આ પ્રતિજ્ઞાઓને શાંતિપૂર્વક સાંભળીએ. || સપ્તપદી ||
અમે શ્રી જિનેશ્વર ભગવાન, શ્રી ગણઘર ભગવંત, શ્રી સિદ્ધચક્ર, શ્રી શ્રુતશાસ્ત્ર અને અગ્નિ-દીપજ્યોતિની સાક્ષીએ પ્રતિજ્ઞા લઈ' છીએ કે
૧.
એકબીજાની લાગણીને અંતરના ઉમળકાથી માન આપી, સન્માનસહિત ગમાર્ગ ઊભા,
૨.
અમે સદા એકબીજાનાં પૂરક
અને સહાયક બનીને રહીશું.
૩. સુખમાં કેદુ:ખમાં અમે એકબીજાના પ્રત્યે ઉચિત વ્યવહાર જ કરીશું અને સદા એકબીજાનો સાથ નિભાવીશું.
એકબીજાને મન, વચન, કાયાથી સંપૂર્ણપણે વફાદાર રહીશું.
જીવન વ્યવહારમાં સમાન સ્થાન અને અધિકાર ધરાવીશું તથા પ્રેમભાવ અને પરસ્પર સહકારથી અમારા ગૃહસ્થજીવનનાં કર્તવ્યોનું નિષ્ઠાપૂર્વક પાલન કરીશું.
૪.
પ.
૬. એકબીજાના પરિવાર સાથે એકરૂપ થઈને રહીશું.
૭.
ઘર્મ, અર્થ અને કામ એ ગૃહસ્થ જીવનના ત્રણે પુરુષાર્થોનું વિશુદ્ધ लावे पालन पुरीने समारा गृहस्थाश्रमने ही धावी शुं.
Page #20
--------------------------------------------------------------------------
________________
Salaa
HIMIRMIfillm
R-DI
आ सात प्रतिज्ञा लीधा पछी, हवे उन्या पोतानुं स्थान माली, वरनी डाली जा जेसशे. थि. हीति हवे उन्या भटी, 'होशीपरिवार' नी वणवधु अनी छ.शंजध्वनि, घंटनासने संगीतथी भंगल जनता वातावराभांहवेमापाडोसटीसि-१नऊनीजेलाडीने डेसरियाअक्षतथी वधावीमे.
अनेहवेवर मागणसने उन्या पाछणहोयमेभजम्ने सातभो इरो इरशे. मा वजते गवाता लोडोना छेधा यशभा 'नभः स्वाहा मावतां, वरन्यानां भाता-पितामक्षत संशतिसशरशे.सा विधि हरतां वरन्यानां भाता-पिता, छो 'ॐ पश्याहभ, पुण्याहम, प्रियन्ताभ, प्रियन्ताभ' मे भंत्र सभारी साधे नाशवार मोलशे.
समाति सहगृहस्थत्वं पारिवाश्यं सुरेन्द्रता । सामान्यं परमार्हन्त्यं निर्वाय येति सक्षम् ॥ निर्वाश परभस्थान विनलाषितमुत्तमम् । पूश्येत ससवर्गाशि स्वर्गभोक्षसुभारम्॥ ॐ ह्रीं निर्वाहा परभ स्थानाय नमः स्वाहा । हवे वरन्थानां भाता-पिता बोलेॐ पुण्याहम, पुण्याहम, प्रियन्ताम्, प्रियन्ताम् ।। ॐ पुयाह, पुण्याहम्, प्रियन्ताभ, प्रियन्ताम् ।। ॐ पुण्याहभ पुण्याहभ, प्रियन्ताभ, प्रियन्ताम् ।।
HITRA
VATT
DD
Page #21
--------------------------------------------------------------------------
________________
(ભાવાર્થ : સજાતિ, સદગૃહસ્થત્વ, પરિવ્રાજક-ભાવ, ઐશ્વર્ય, સામ્રાજ્ય, પરમ અરિહંતસ્ત્ર અને નિર્વાણા- આ સાતનું જૂથ કલ્યાણકારી છે. સ્વર્ગ, મોક્ષ અને સુખના ખજાના સમાન, જિન પ્રભુએ કહેલ આ ઉત્તમ ‘સમ પદ' કે જે પરમ નિર્વાણ સ્થાન સમાન છે, તેની પૂજા કરવી જોઈએ.)
હવે જનક ખૂબ આનંદ સાથે દીપ્તિને સૌભાગ્યના પ્રતીક સમું મંગલસુત્ર પહેરાવશે. આ સમયે, જીવનસાથી દીપ્તિ-જનક માટે મંગલ કામનાઓ વ્યકત કરતાં આશીર્વચન વિથિકાર બોલશે.
| આશીર્વચન II. ૩% સુપ્રતિગૃહીતાડતુ, શાન્તિરસ્તુ, તુષ્ટિરસ્તુ, પુષ્ટિરસ્તુ, અદ્વિરસ્તુ, વૃદ્ધિરતું, શિવમસ્તુ, કલ્યાણામસ્તુ, કર્મસિદ્ધિરસ્તુ, દીર્ધાયુરસ્તુ, પુણ્ય વર્ધતામ, થર્મો વર્ણતામ, કુલગોત્રવર્ધતામ, સ્વસ્તિ ભદ્ર અસ્તુ !
૩૪ શાન્તિઃ શાન્તિઃ શાન્તિ : |
૩૪ ચીં ચીં હું સ : સ્વાહા ! (ભાવાર્થ: ૩ તમારો બન્નેનો સારી રીતે સ્વીકાર થાઓ. શાંતિ થાઓ, સંતોષ થાઓ, પોષણ થાઓ, અદ્ધિ થાઓ, વૃદ્ધિ થાઓ, શુભ થાઓ, કલ્યાણ થાઓ, કર્મમાં સફળતા મળો, દીર્ધાયુ બનો, પુસબલની વૃદ્ધિ થાઓ, ઘર્મની વૃદ્ધિ થાઓ, કુળ તથા ગોત્રની વૃદ્ધિ થાઓ, તમારું શુભ કલ્યાણ થાઓ)
TH
Page #22
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्नेही स्व४नो, यहीं लग्नविधि संपन्न थाय छे. आापना खाससलर सहभागे जा विधिने बंधु मंगलमय जनावी छे. जा जवसरे 'रानमा परिवार' जने 'होशी परिवार' वतीथी साप सोनो जालार भानीसे छीजे. साप प्रलुने प्रार्थी के जेनी पृथा हीसि - ४न वननुं प्रत्येक सुज खर्चे जने जन्मे जेजीभना खात्मानां सायां साथी जनी रहे.
जा विधि समे शऽयं योऽसा तथा लावपूर्व 5री छे. छतांय क्षति रही ग होय तो प्रभु पासे नतमस्त क्षमा प्रार्थी से छीजे. च्छामि जमासो, वंहि भवशिभ्भजे निसी हिज़ारो भत्थसेा वंहामि ॥
ॐ आज्ञाहीनं, प्रियाहीनं, मंत्रहीनं य यत्कृतम् । तत्सर्वं कृपया हेवाः क्षभयन्तु परमेश्वराः ॥ आवाहनं न भनाभि, न भनामि विसनम् । भविधिं न भनाभि, प्रसीह परमेश्वर ॥ (लावार्थ : हे गुरुहेव हु भारी समग्र शक्तिसहित जने पापरहित शरीर वडे साधने नतमस्त वांध्वाने छच्छु छु.
ॐ हे परम मैश्वर्यशाली हेवो, में ने नाज्ञाहीन, डियाहीन डे मंत्ररहित धर्म होय ते सर्वने कृपा परीने क्षभा रो.
हे परमेश्वर! हुं आवाहननी विधि भएातो नथी के नथी भागतो विसन. हुं भविधि पडा भातो नथी, तो (पा) भारा पर प्रसन्न थाजो.)
Page #23
--------------------------------------------------------------------------
________________
लग्नमंडपमा ठेल तथा आ विधिमा उपस्थित सौ स्वपनने साथे भणी 'जवहार मंत्र'नुलावपूर्वक पठल 5रवा विनंती.
नभो अरिहंताराम । नभो सिधाशम् । नभो आयरियाश। नभो वायाराम नभो लोमे सव्व साहू मेसो पंय नभुडारो सव्व पावधशासशो भंगला य सव्वेसिभ् पढभं हवछ भंगल।
0
सर्व भंगल भांगल्यं, सर्व उप्याराडाराराम् । प्रधानं सर्वधर्भाशयां, नंयति शासनम् ॥
(लावार्थ : सर्व भंगलोभा श्रेष्ठ भगलस्व३५, सर्व ल्यायानुं धारासने सर्व धर्भोभा श्रेष्ठ ओवून शासन थवंतु वतें छे.)
| શ્રી જિનેશ્વર ભગવાનની જય ||
Page #24
--------------------------------------------------------------------------
________________
कामशास्यास्यानलामस्वामीकारोधियखलायमाझााला करत घरामचनमा कामका निभाना समयवसायमा सामान आस्मानाजाविकायनम नामाव
विधानानध्यावाभिमानाकामावरान सीवाणवतमावापत जातहातानि रामकारकामानिमाडामावका का विमानता नियम या मतियोगिनिदानवायला सायनानिदिवासका सामनरावासानिमालामाराममासमामाशायदछ। अजाताभूिणावमातात्य जनवधरवदेशातलाम
सरदयधान
उवा
वतिमिवावासकोशाधानियावासकालागनीमापडियादिता वामानामधामणगंतवणगायकलाकाडाविद्यावापिसाबानमा वाशिममयाशवमया उपमेयाङ्तानावामानानणा
गतियामासा मेवाणामनिमाइलावामहगिता auralपिकापावासा ON ARO वासपाचासविरमानिवलक्षिति विरमकापल्याकालागादावश्छलालबागवावागणवानिरक्रमित्रावास दावमिवावनिवडायष्टिमान्यावाचवावेदनमायावपवन स्मिगिलोणावा
निहितकाको दायरामा यातायात सायंकरमानमार्थिक तस्मा
TEER SHOTठायतादायमायभास्यानावयाधामस्थाकारितात्याममदार
पाया रसवसिय सानव
देवाचा राजमहमलाशयमालासमासस्था H
Bावरणवायरमाराम
aapipana