Book Title: Jain Kumarsambhava Mahakavya
Author(s): Jayshekharsuri
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 14
________________ Unninenenininenuinnerunnnnnnnnurunneronmenm ८०. पौष दशमी कथा मूळ ८१. मेरु तेरस कथा मूळ ८२. होलिका कथा मूळ ८३. चैत्री पूनम कथा मूळ ८४. अक्षय तृतीया कथा मूळ ८५. रोहिणि कथा मूळ ८६. पर्युषण अष्टाह्निका कथा मूळ ८७. दीपावलि कथा मूळ ८८. चातुर्मासिक व्याख्या कथा मूळ ८९. द्वादश पर्व कथा मूळ हिन्दी साहित्य ९०. अनेकार्थ नाममाला (हिन्दी पद्य) ९१. भक्ति नैया : देवदर्शन-गुरुवंदन व सामायिक की विधि ९२. प्रार्थना : नवस्मरण-भक्तामर व चमत्कारिक सरस्वतीस्तोत्र ९३. बोलो सुबह शाम (द्वितीय आवृत्ति) लघुपुण्य प्रकाश स्तवन-दादागुरुदेव इक्कीसा, गौतमस्वामी रास आदि ९४. तपसुं बेडो पार : सिद्धाचलजी, समेतशिखरजी तीर्थ व ज्ञानपंचमी वीशस्थानक तथा वर्धमान तप की आराधनाविधि ९५. रेडी वन टु थ्री (द्वितीय आवृत्ति) बालयोग्य खेल के साथ मात्र १ दिन पालने के सरल नियम ९६. वंदन से कर्म खंडन : देवदर्शन व गुरुवंदन विधि ९७. पढ़ो आगे बढ़ो- श्रावक की आराधना के दश अधिकार दैनिक-रात्रिक-वार्षिक आदि कर्त्तव्य तथा जीवविचार नवतत्त्व प्रश्नोत्तरी ९८. यादों के साथ-साथ : अचलगच्छाधिपति शीघ्रकवि प.पू.आ.भ. श्री covincininnnvicini quvoncicienienisinerinen Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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