Book Title: Jain Kumarsambhava Mahakavya
Author(s): Jayshekharsuri
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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गुणसागरसूरीश्वरजी महाराज विरचित प्रथम चौवीशी सहित ७७ भाववाही
स्तवनों का संग्रह ९९. त्वमेव शरणं ममः पुष्प नं. १-२-३-४ का अजोड़ संग्रह १००. त्वमेव शरणं ममः प्रथम पुष्प : सुरम्य ४५० स्तुतिओं का संग्रह १०१. त्वमेव शरणं ममः द्वितीय पुष्प : चित्ताकर्षक-७० चैत्यवंदनों का संग्रह १०२. त्वमेव शरणं ममः तृतीय पुष्प : शुभभाववाही .२०० स्तवनों का संग्रह १०३. त्वमेव शरणं ममः चतुर्थ पुष्प : सुमधुर १३२ स्तुतियुगलों का संग्रह १०४. प्रतिक्रमणं पापनाशनं : पंचप्रतिक्रमण मूल-सूत्र संक्षिप्त भावार्थ व विधियाँ १०५. शार्ट कट साधना : घंटे घंटे के चौविहार की नोंध पोथी
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