Book Title: Jain Katha Sahitya
Author(s): Hasu Yagnik
Publisher: ZZ_Anusandhan
View full book text
________________
84
अनुसंधान-२९
आवी कथाओ पूर्वभवथी बुद्धना जीवननो संदर्भ धरावती होवाथी लोको धर्मवृत्तिथी आ कथाओ श्रद्धाथी सांभळी अमर बनावी.
जातकनी कथाओ मुख्यत्वे गद्यमां छे. कथानो सार अने बोधउपदेश पद्यमां अपाया छे. आ प्राचीन परंपरा छे. ओल्डनबर्ग अने वेबर जेवा कथासाहित्यना विद्वानो जणावे छे के भारतीय कथाओगें मुख्य माध्यम गद्य छे, केटलाक पद्यात्मक अंशो आखे आखो वार्ताने याद राखवा माटे उपयोगी बने छे.
जातकमां पद्यनी संख्याने आधारे कथाओ- संपादन करवामां आव्यु छे. कुल बावीस विभागो छे. जेम जेम आ विभागनो क्रम आगळ वधे छे, तेम तेम एमां आवती कथाओमां प्रयोजातां पद्योनी संख्या पण वधे छे...
३. अवदान : अवदान (पालिमां अपदान)नो अर्थ 'नोंधवां जेवां कृत्यो' थाय छे. बौद्ध धर्ममा दीक्षित साधु-साध्वीओनां जीवननी महत्त्वनी घटनाओ पर रचायेली कथाओना संपादनने अवदान कहेवामां आवे छे. जेम बुद्धना जीवन साथे संलग्न कथा ते जातक, तेम बौद्ध थेरा (साधु) अने थेरी (साध्वी)नी जीवन-आधारित कथाओ ते अवदान.
थेरागाथामां पंचावन वग्ग (वर्ग) छे अने दरेक वर्गमा १० अवदान छे आम कथासंख्या पांचसोपचास छे. थेरी गाथामां आवा चार वर्ग छे. अहीं साधु-साध्वीओनां जीवननी घटनाओ पात्रना आत्मकथनरूपे आलेखाय छे. सारिपुत्त, मोग्गल्लान, कस्सप वगेरे प्रख्यात थेराना अने महाप्रजापति गोतमी, खेमा, किसा गोतमी प्रख्यात थेरीओ छे. निराशापूर्ण अने आपत्तिभरी जीवननी यातनाओ वेदनाओ वेठ्यां पछी वैराग्य पामतां पात्रोनी अहीं कथा मळे छे.
अवदान मुख्यत्वे पालि भाषामां ज लखायेला छे, परंतु दिव्याराधन, जातकमाला, कल्पमंडितिका जेवी बौद्ध कथासाहित्यनी रचनाओ संस्कृतमां पण छे. दिव्यराधननी कथानुं तो इ.स. २६५मां चीनी भाषामां भाषान्तर पण थयुं छे. १.१.४ जैनकथाओ, मनोविज्ञान
कथाओना मनोविज्ञानने बे छेडाओथी तपासी शकाय :
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17