Book Title: Jain Katha Sahitya
Author(s): Hasu Yagnik
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 12
________________ August-2004 १. धर्म साथे कथाओ संकळाइ ते पाछळनां मनोवैज्ञानिक कारणो के दृष्टिबिन्दु अने २. धर्मसाहित्यमा आवती कथाओ, मनोविज्ञान, एटले के कथाओनी श्रोताओ पर पडती मनोवैज्ञानिक असर. आ बन्ने पासां परस्पर पूरक छे. १. कथा पाछळ- मनोविज्ञान प्राचीन काळथी ज भारतीय धर्मोओ अने ते पछी विश्वना बीजा पण धर्मो धर्मना प्रचार-प्रसार-स्पष्टीकरण माटे विशेष अने मुख्य आधार कथानो लीधो, धर्मना तत्त्वज्ञान अने तेना सूक्ष्म-संकुल सिद्धांतोने स्पष्ट अने सर्वग्राह्य बनाववा माटे दृष्टांत कथाओनो आश्रय लीधो. नियम, व्रत, जप, पाठ, पूजन-अर्चन वगेरेना प्रभाव अने माहात्म्य माटे पण कथाओनो आधार लीधो. धर्मपंथनी मुख्य व्यक्तिओ अने तेमनां जीवनकार्यने तथा संस्थारूप विविध स्थापत्यो अने पवित्र तीर्थो साथे पण कथाओ सांकळवामां आवी. ____ आम करवा पाछळनुं स्पष्ट कारण ए छे के कथा द्वारा कोई पण सूक्ष्म अने संकुल वात सरळ अने सर्वग्राह्य बने छे. कथा द्वारा श्रोताना मनहदयमां नवी सृष्टि रचाय छे अने तेनी ज कायमी असर पड़े छे. कथा द्वारा धर्मनो अने संस्कृतिनो इतिहास जळवाय छे अने ते अनुयायीने प्रेरणा अने निष्ठा, श्रद्धा आपे छे. आवं कार्य धर्म साथे ज जेने सीधो संबंध छे तेवी धर्मकथा करे छे. परंतु दरेक धर्मपंथोए पोतानां धर्म-परंपरा साथे सीधो संबंध न होय एवी लोकप्रिय अने मनोरंजक लोककथाओनो पण थोडां परिवर्तनो साथे उपयोग कर्यो छे. आनुं कारण ए छे के आ प्रकारनी कथाओ एटली रोचक, चमत्कारयुक्त, प्रभावशाळी अने लोकप्रिय होय छे के धर्मानुयायी वार्ताना रसे पण वक्तव्य-उपदेशादि सांभळे अने तेनी असर ग्रहण करीने एनी धर्मश्रद्धाना संस्कारो दृढ थाय. कथानुं आईं महत्त्वपूर्ण योगदान होवाथी प्रत्येक धर्ममां कथाने अग्र स्थान अने महत्त्व मळ्यां छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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