Book Title: Jain Katha Ratna Kosh Part 08
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 8
________________ J अनुक्रमणिका. २५ धर्मयी यापत्ति दूर थाय वे, अने सुखनी प्राप्ति याय बे, ते विषे अन्यथायुक्त गत नवमां शूरनामक ययेला वत्सराजनी कथा. २४ : २३ अग्यारमे नवें श्रीशांतिनाथजी सर्वार्थसिद्ध विमानमां देव थया. २९: ॥ अथ पष्ठखंमानुक्रमणिका || २४ बारमे नवें पोतेंज श्रीशांतिनाथजी चक्री, तथा श्रीशोलमा तीर्थ कर श्रीशांतिनाथ भगवान् यया तेमनुं मनोहर सविस्तर चरित्र. २६ २५ विपयत्यागथी सुख प्राप्ति थाय, तेमां गुणधर्मकुमारनी कथा. ३१६ २६ कषाय त्यागना उपदेशमां नागदत्तनुं वृत्तांत. **** ३३६ ३३० ३४३ २७ प्रथम प्राणातिपात व्रतना उपदेशमां यमपाशनी कथा. २८ द्वितीय मृपावाद विरमण व्रत उपदेशमां न श्रेष्ठिकथा. १० तृतीय स्थूलप्रदत्तादानविरमणव्रतपर जिनदत्तकथा. ३० चतुर्थ मैथुनविरमण व्रत पर कराल पिंगल पुरोहित कथा. ३१ पंचम परिग्रहपरिमाणव्रत उपदेशमां सुलसकथा...... ३२ पष्ठदिशिपरिमाण व्रतपर स्वयंजुदेवकथा. ३४८ ३५६ ३६४ 9249 .... **** **** ३८३ ३८० ३१ ३३ सप्तम जोगोपभोग विरमण व्रत पर जितशत्रुतथा नित्य मंमिता कथा. ३८५ ३४ अष्टम अनर्थदमविरमण व्रत पर समृद्धिदत्तकथा. ३५ नवम सामायिक व्रतोपदेशमां सिंहश्रावक कथा.. ३६ दशम देशावका शिक व्रतोपदेशमां गंगदत्तनी कथा. ३७ एकादश पौपथ व्रतोपदेशमां जिनचंद कथानकम्.. ३८ द्वादश व्यतिथिसंविभाग व्रतोपदेशमां शूरपालकथा. ३८ ३० श्री शांतिनाथजीनापुत्रचक्रायुधें दीक्षा जीधीने मुख्य गणधरथया. ४१.५ ४० मोहराजानुं तथा तेना सैन्यनुं वर्णन. अने जीव, संसारदुःख भोगवे ३४ ३५ बे, तेने ज्ञान प्राप्तिथी सुख थाय बे, तेमां रत्नचूडनो दृष्टांत ४१६ ४१ श्री शांतिनाथचतुस्त्रिंशदतिशवर्णन तथा तत्परिवारसंख्या कथन. ४२७ ४२ श्री शांतिनायनुं मोक्षगमन, ते पती देवादिकत शोक तथा देवकत निर्हरक्रिया, त्रिंशमोहस्थान विवेचन, कोटिशिलातीर्थमां चक्रा युध मुक्तिगमन, तथा शांति जिनस्तुति. ४३२ ४३ श्रीशांतिनाथजीना वार जवना नाम निर्देश प्रने ग्रंथकारनी प्रशस्ति, ४३५ ४४ स्त्रीयोने शिखामणना केटलाएक टूटा बूटा बोलो. ধধধ ... ... *** ....

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