Book Title: Jain Katha Ratna Kosh Part 03 Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 7
________________ अस्य पुस्तकस्यानुक्रमणिका. ४७ प्रथम मोहविवेकना रासनी अनुक्रमणिका. क्रमांक. ग्रंथनाम. पृष्ठांक. १ पहेला खंममा मंगलाचरण कस्या पली बहा बारानुं तथा पहे ला बीजा धारानुं क्वचित् स्वरूप. तेमज कुलघरनी उत्पत्ति प्रमु ख तथा पद्मनान जिनचरित्र, धर्मरुचि मुनि मोदाधिकार जे. २ बीजा खममां मोहविवेकनी उत्पत्ति, मनप्रधाननी उत्पत्ति, मो हराजानी स्थापना इत्यादि वर्णन ने. .... ... .... ३ त्रीजा खममां अविद्या नगरीनुं वर्णन तथा तेनो राजा मोह बे, तेनुं वर्णन, निवृत्तिनारीनुं वर्णन, तेमज केटलाएक दर्शनीयोना मतप्रमाणे तेमनी क्रियानुं स्वरूप जैनदर्शननुं स्वरूप इत्यादि. २६ ४ चोथा खममां पुण्यरंग पाटणनुं वर्णन, वीर विवेकनो परिवार मो हचर प्रेखण कंदर्पदर्प दिगविजयादि वर्णन . ..... .... ५ पांचमा खममां मयण परिवार, कलिकाल सविस्तर स्वरूप वर्णन, कंदर्पोत्सव, विवेकपरिणित्त प्रस्थानादि वर्णन. .... ६ बजा खममां मोहराजाना सैन्यना प्रत्येक सुनटसंबंधी बलनुं वर्णन तथा विवेक राजाना सैन्यमांदेला प्रत्येक सुनटोना बल नुं वर्णन तेमज मोह अने विवेकनु परस्पर युद्ध थयुं,तेनुं वर्णन. तथा हंसराजने परमपदनी प्राप्ति अने ब्रह्मस्वरूप वर्णनादि . ७ ७ ग्रंथ समाप्त थयो. .... २ बीजो ग्रंथ उपाध्याय श्रीविनयविजयजी कृत उपमिति नवप्र पंच याश्रयी श्रीधर्मनाथनुं स्तवन तेमां पण मोहादिकना परि वार तथा सम्यग्दर्शनना परिवार प्रमुखनुं वर्णन . .... १०६ त्रीजो ग्रंथ सम्यक्त्व सप्ततिका बालावबोध तथा कथासहित ,तेनी अनुक्र० १ पहेली त्रण गाथामां दायिकादिक समकेतनुं स्वरूप तथा शुदि. ११४ २ समकेतनी शुधिने विषे आरामनंदननी कथा. .... .... ११६ ६६Page Navigation
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