Book Title: Jain Katha Ratna Kosh Part 03
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 9
________________ on to अनुक्रमणिका. ३१ असावीश गाथामां समकेतनां पांच दूषण कह्यां . ३२ गणत्रीशमी गाथामां शंकादि दूषणनां स्वरूप कह्यां . .... २०२ ३३ शंका दूपण उपर आषाढनूति आचार्यनी कथा. ..... .... २०३ ३४ कांदा दूषणनी नपर जितशत्रु राजानी कथा. .... .... २०५ ३५ त्रीशमी गाथामां वितिगिहा दूषणना दोनुं स्वरूप कडुं बे. ३६ वितिगिला उपर शुनमति राणीनी कथा...... ३७ परपावंमीनी प्रशंसादोषना नेदप्रतिनेद सहित स्वरूप कडुं . ३० प्रशंसाने विपे सुमति अने नागिलनी कथा. ३५ मिथ्यादृष्टिना परिचय उपर सौराष्ट्रवासी श्रावकनी कथा. .... २१७ ५० एकत्रीशमीथी तेत्रीशमी गाथामां आठ प्रानाविक, स्वरूप..... ४१ प्रावचनिक अने धर्मकथिक ए वे उपर वजस्वामीनी कथा..... ४२ चोत्रीशमी गाथमां वादी तथा निमित्त प्रानाविकनां लक्षण..... ४३ वादी प्रानाविक नपर मन्नवादीनी कथा. .... .... २३१ ४४ निमित्त प्रानाविकनी उपर श्रीनवादु स्वामीनी कथा. .... ४५ पांत्रीशमी गाथामां तपस्वी तथा विद्या प्रानाविकनुं स्वरूप कडं. ४६ तपस्वी प्रानाविकनी उपर विष्णुकुमारनी कथा. .... .... ४७ विद्या प्रानाविक उपर आर्य खपटाचार्यनी कथा..... .... बत्रीशमी गाथामां सिम तथा कवि प्रानाविकनां लक्षण. .... २४६ Hए सिक्ष्प्राजाविकनी उपर पादलिप्ताचार्यनी कथा. .... .... २४७ ५० कवि प्रानाविकनी उपर सिबसेन दिवाकरनी कथा..... .... ५१ साडत्रीशथी गणचालीशमी गाथा पर्यत प्रकारांतरेंप्रानाविकना नेद तथा तेवा प्रानाविकने अनावें कोने प्रानाविक कहेवा? ते जे. २६५ ५२ प्रकांतर नेद उपर संघपति रत्नश्रावकनी कथा. .... .... २६४ ५३ चालीशमी गाथामां समकेतना पांच जूषणनां नाम कह्यांबे. २६ए ५४ एकतालीशमी गाथामां कौशल्य तथा तीर्थसेवा नूषणस्वरूप. २७० ५५ कौशल्यपणानी नपर नदायिन राजानी कथा. .... .... २७० ५६ तीर्थसेवा नूषणनी नपर नागदत्तनी कथा. .... ५७ बहेंतालीशमी गाथामां नक्ति आदिक नूषणोनुं स्वरूप कमु दे. १७७ ५७ नक्ति नूषणनी नपर कामिनीनी कथा. .... ... ... २७ए or to T I o D o rror rrrrrrrrrr ० ० ० ० PD ~Marr mr m T o o o o a mr r mr rrrrrrr 0 1 ३७४

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