Book Title: Jain Hiteshi 1920 Ank 07 08
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 65
________________ हिन्दीके नये और अपूर्व ग्रन्थ । जीवन निर्वाह । पुष्प-लता। लेखक, श्रीयुत बाबू सूरजभानुजी वकील । बड़ी हिन्दीमें एक नये लेखककी लिखी हुई अपूर्व खोज और चिरकालके अनुभवसे लिखा हुआ अपूर्व गल्यें। प्रत्येक गल्ल मनोरंजक शिक्षाप्रद और भाव. ग्रन्थ । प्रत्येक धर्मात्मा. प्रत्येक विचारक, प्रत्येक पूर्ण है। सभी गये स्वतंत्र हैं और हिन्दीसाहित्यके सुधारक और प्रत्येक सुख-शान्तिके चाहनेवालेके पढ़- लिए गौरवकी चीजें हैं। जो लोग अनुवाद ग्रन्थोंसे नेकी चीज । घरघरमें इसका पाठ होना चाहिए। अरुचि रखते हैं उन्हें यह मौलिक गल्पग्रन्थ अवश्य तमाम बच्चों और स्त्रियोंको इसका स्वाध्याय करा देना पढना चाहिए । ७-८ चित्रोंसे पुस्तक और भी सुन्दर चाहिए। भाषा ऐसी सरल है और समझानेका ढंग हो गई है। हिन्दी-ग्रन्थ-रत्नाकर-सीरीजका यह ऐसा अच्छा है कि साधारण पढ़े लिखे लोग भी इसे ४१ वाँ ग्रन्थ है। मूल्य १) सजिल्दका १॥) समझ सकेंगे। जैनी और अजैनी सभी इससे लाभ आनन्दकी पगडंडियाँ । उठा सकते हैं । इसके पढ़नेसे लोग असली धर्मका, • सच्चे सदाचारका और सच्ची देशोन्नतिका स्वरूप जेम्स एलेन अंगरेजीके बड़े ही प्रसिद्ध आध्यात्मिक समझ सकेंगे । देवमूढता, लोकमूढता और गुरुमूढ़- लखक है। उनक ग्रन्थ बड़ हा म लेखक हैं। उनके ग्रन्थ बड़े ही मार्मिक और शान्तिताका स्वरूप दर्पणके समान स्पष्ट हो जायगा । धार्मिक प्रद गिने जाते हैं। अगरेजीमें उनका बड़ा मान है । और साम्प्रदायिक झगड़ोंसे. अन्धश्रद्धासे. झठे तंत्र- यह ग्रन्थ उन्हीं के Byways of Blessedness' मंत्रों और भूतप्रेतोंके विश्वासोंसे तबीयत हट जायगी। नामक ग्रन्थका अनुवाद है। पिछले अंकमें इस ग्रन्थका -सचे धर्म, सच्ची दानशीलता, सच्चे सदाचार. और 'सहानुभूति' शीर्षक अध्याय उद्धृत किया गया था, • सच्चे ज्ञानसे हार्दिक प्रीति उत्पन्न हो जायगी । जो उससे पाठक इस ग्रन्थके महत्त्वको समझ सकेंगे। धर्म लड़ाई झगड़ोंकी, पापोंकी और देशको डुबानेकी प्रत्येक विवेकी और विचारशील पुरुषको यह ग्रन्थ जड़ बन रहे हैं, उनका असली स्वरूप खूब अच्छी पढ़ना चाहिए । मूल्य १J सजिल्दका १॥] तरह समझमें आ जायगा । एक धर्मात्मा सज्जनने सुखदास । इसकी ५०० प्रतियाँ खरीदकर अपने भानजेके विवा जार्ज इलियटके सुप्रसिद्ध उपन्यास 'साइलस्.. होत्सवमें मुफ्त वितरण की हैं। अन्य धर्मात्माओंको माइनर' का हिन्दी रूपान्तर । इस पुस्तकको हिन्दीके भी इसका प्रचार करना चाहिए । बाँटनेके लिए कमसे लब्धपतित उपन्यासलखक श्रीयुत प्रेमचन्दजीने कम १०० प्रतियाँ एक साथ लेनेसे बहुत किफायतसे दी जायँगी । मूल्य एक प्रतिका एक रुपया । पृष्ठ-_ लिखा है। बढ़िया एण्टिक पेपर पर बड़ी ही सुन्दरतासे -संख्या २०० से ऊपर । छपाया गया है । उपन्यास बहुत ही अच्छा और है भावपूर्ण है । मूल्य ॥ महादजी ( माधवराव ) सिन्धिया। हिन्दी-ग्रन्थ-रत्नाकर-सीरीजका ४२ वाँ ग्रन्थ । नकली और असली धर्मात्मा। इतिहासका महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ । यदि आप यह जानना श्रीयुत बाबू सूरजभानुजी वकीलका लिखा हुआ चाहते हों कि मुगलसाम्राज्यका अस्त कैसे हुआ - सर्वसाधारणोपयोगी सरल उपन्यास । और उनके हाथसे मराठोंके हाथमें राज्यसत्ता आकर ढोंगियोंकी बड़ी पोल खोली गई है। अन्तमें अँगरेजोंके हाथमें कैसे चली गई तो यह ग्रन्थ मूल्य ॥) अवश्य पढ़िए । सिन्धियाकी गणना देशके महान् पुरुषों में है। यदि महादजी सिन्धिया थोड़े ही दिन नया सूचीपत्र। . और जीते, अथवा उनका उत्तराधिकारी उन ही जैसा उत्तमोत्तम हिन्दी पुस्तकोंका ९२ पृष्ठोंका नया योग्य पुरुष होता तो आज हिंदुस्तानके इतिहासका सूचीपत्र छपकर तैयार है । पुस्तक-प्रेमियों को उसकी रूप कुछ और ही होता । इस मराठासाम्राज्यके एक एक कापी मँगाकर रखना चाहिए। । स्तंभस्वरूप वीरपुङ्गवका आलोचनात्मक चरित्र ___ मैनेजर, हिन्दी-ग्रन्थ रत्नाकर कार्यालय, हिन्दीमें सबसे पहला यही है । मूल्य १) हीराबाग, पो० गिरगाँव, बम्बई । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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