Book Title: Jain Hiteshi 1917 Ank 11
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 50
________________ हितैषी-औषधालय-इटावहकी पवित्र-सस्ती-औषधियाँ। १९१६ नमक सुलेमानी। दवा सफेद दागोंकी। जगत्प्रसिद्ध असली २० वर्षका आजमूदा हा- . इससे शरीरमें जो सफेद २ दाग पड़जाते जमेकी अक्सीर दवा । की० ॥) तीन हैं वह दूर हो जाते हैं । की० १) . सी० १०) श्वास-कुठार । धातु संजीवन। यह स्वास दमें की शर्तिया दवा है। की. १) संपूर्ण धातु विकारको नष्ट कर नया वीर्य गोली दस्तबंदकी। पैदा होकर शरीर हृष्ट-पुष्ट होजाता है । की० १) रक्त, आम, आदि अतिसार, तथा संग्रहणी . प्रदरान्तक-चूर्ण। आदिको शीघ्र दूर करती है। की॥) दवा खांसीकी। स्त्रियोंके श्वेत, लाल आदि प्रदरोंको शर्तिया . " सूखी या तर खांसीको और कफको दूर कदूर कर ताकत बढ़ाता और गर्भस्थिति करता है , ९ रने वाली आजमूदा दवा है । की० ॥) की० १) ___ अर्क कपूर। नयनामृत-सुरमा । हैजेकी अक्सीर दवा । की० ।) सम्पूर्ण विकारोंको दूरकर नेत्रोंकी ज्योति चंद्रकला । बढ़ाता और तरावट पैदा करता है । की० १) यह गोरे व खूबसूरतीकी दवा है। की।) ___दन्त-कुसुमाकर। र दाँतोंके सब रोग दूर होकर दांतोंकी चमक नैन-सुधा-अञ्जन। बढ़ाता और मजबूत करता है। की। इससे आँखका जाला धुन्ध फुली माड़ा आदि दद्रु-दमन। ____ सब अच्छे होते हैं । की० ॥) ' यह खुशबूदार मरहम विना कष्टके दादके ... चाहे कैसा पेट दर्द हो फौरन दूर होता है । दादाको तगादा कर भगाती है । की।) __की०॥) केश-बिहार-तैल। ताम्बूल रंजन । अत्यन्त सुगन्धिसे चित्त प्रसन्न कर केश और पानके साथ खानेका बढ़िया मसाला । की।) मस्तकके रोगोंको दूर करता है । की० ॥) . शिरदर्द-हर तैल । की।) नारायण-तैल। कर्ण-रोग-हर तैल । की।) शरदी आदिसे उत्पन्न हुए दर्द, गठिया, प- खुजली-नाशक तैल । की०।) क्षाघात आदि सर्व वात रोगोंकी शर्तिया दवा बाल उड़ानेका साबुन । की०।) है। की० १) . . कोकिल-कण्ठ-बटिका । की।) पता-चन्द्रसेन जैन वैद्य, चन्द्राश्रम, इटावह U. P. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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