Book Title: Jain Hiteshi 1917 Ank 11
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 51
________________ ( ३ ) लिखा है । इसमें एकसे एक बढ़कर सुन्दर और भावपूर्ण ९ गल्पें हैं । इनके जोड़की गल्पें आपने शायद ही कभी पढ़ी हों । मूल्य एक रुपया दो आने । हमारी ग्रन्थमालाकी नई । ताराबाई | यह आपके पूर्वपरिचित स्वर्गीय द्विजेन्द्रलाल रायके बंगला नाटकका अनुवाद है । अभी तक आपने इनके जितने नाटक पढ़े हैं, वे सब गद्य में थे पर यह पद्यमें है । अनुवाद भी खड़ी बोली तुकान्तहीन पयोंमें कराया गया है । अनुवादक हैं- सुकवि पं० रूपनारायण पाण्डेय | हिन्दी में यह बिलकुल नई चीज है । ऐतिहासिक नाटक है । यह बढ़िया ' इमिटेशन आर्ट ' कागज पर छपाया गया है । मूल्य एक रुपया छह आने । देश-दर्शन । इसके तैयार होनेकी सूचना वर्षोंसे निकल रही है। बड़ी मुश्किलसे यह अब तैयार हुआ हैं । इसके लेखक ठाकुर शिवनन्दनसिहजी बी. ए. हैं अँगरेजीके पचासों ग्रन्थोंके आधारसे यह लिखा गया है । इसमें देशकी भीतरी दशाओंका आपको दर्शन होगा । यहाँकी घोर दरिद्रताका आयुकी भयंकर घटीका, मृत्युसंख्याका बढ़ती हुई भीषणताका, अल्पजीवी बच्चोंकी अधिक जन्मसंख्याका और इनके साथ बढ़े हुए व्यभिचारका, नशेबाजीका, चरित्रहीनताका वर्णन पढ़कर आप अवाक् हो जायेंगे । शिक्षाकी कमी, व्यापारकी दुर्दशा, विदेशियोंकी सत्ता, किसानों की बुरी हालत, बालविवाह, बृद्धविवाह, अयोग्य विवाह, विवाहका इतिहास, उत्तम संतान उत्पन्न करनेके सिद्धान्त, सन्तान कम उत्पन्न करने की आवश्यकता आदि और भी अनेक त्रिषयोंके सम्बन्धमें आपको इसमें सैकड़ों नई बातें मालूम होंगी। कई चित्र और नकशे भी इसमें दिये गये हैं । पृष्ठसंख्या पौने पाँचसौके लगभग । मूल्य तीन रुपया । हृदयकी परख । जो लोग इस बातकी शिकायत करते हैं, कि हिन्दीमें स्वतंत्र उपन्यास नहीं है उन्हें इस भावपूर्ण उपन्यासको पढ़कर बहुत सन्तोष होगा | इसके लेखक आयुर्वेदाचार्य पं० चतुरसेन शास्त्री हैं। इस पुस्तकमें हमने एक नामी चित्रकारसे पाँच नवीन चित्र बनवाकर छपवायें हैं, जिससे पुस्तक और भी सुन्दर हो गई है । मूल्य एक रुपया दो आने । नवनिधि । इस ग्रन्थको उर्दू के प्रसिद्ध गल्लखक श्री प्रेमचंदजीने स्वयं अपनी कलमसे हिन्दीमें Jain Education International नूरजहाँ । स्वर्गीय द्विजेन्द्रलाल रायके प्रसिद्ध नाटकका अनुवाद | इसके विषय में अधिक लिखने की आवश्यकता प्रतीत नहीं होती । शाहजहाँ और नूरजहाँ उनके सर्वश्रेष्ठ नाटक गिने जाते हैं । मूल्य एक रुपया दो आने | इसमें कपड़ेकी जिल्द न रहेगी । राष्ट्रीय ग्रन्थ । स्वराज्य । गुरुकुल काँगड़ीके अर्थशास्त्र प्रोफेसर श्रीयुत बालकृष्ण एम. ए. इसके लेखक हैं । इस विषयका अपने ढंगका यह निराला ही ग्रन्थ है । पृष्ठसंख्या ३०० | मूल्य सवा रुपया अर्थशास्त्र । अर्थात् धनकी उत्पत्ति तथा वृद्धि । लेखक, उपर्युक्त प्रो० बालकृष्ण एम. ए. पृष्ठसंख्या ५५० । ० १ ॥ ) । पार्लमेण्ट । लेखक, श्रीयुत बाबू सुपार्श्वदास गुप्त बी. ए. । हिन्दीमें यह इस विषय की सबसे पहली पुस्तक है । जिस ब्रिटिश पार्लमेण्ट के शासन में हम रहते हैं उसका शुरू से लेकर अब तकका इतिहास, उसका क्रमविकाश, उसकी शासनपद्धति और उसके गुणदोष आदि बातोंका खूब विस्तार के साथ इसमें निरूपण किया गया है । पृष्ठसंख्या २७५ । मूल्य एक रुपया दो आने । सादीका चौदह आने । महादेव गोविंद रानड़े । लेखक, श्रीयुत भारतीय । बम्बई हाईकोर्ट के भूतपूर्व जज, प्रसिद्ध सुधारक और देशभक्त महात्मा का जीवनचरित । यह अनेक ग्रन्थोंके आधारसे बहुत अच्छे ढंग से लिखा गया है । पृष्ठसंख्या २०० । मूल्य ॥ =) देवी जौन अर्थात् स्वतंत्रता की मूर्ति | अपने जीवन का बलि देकर फ्रान्सको पराधीनता से मुक्त करनेवाली ' जौन आफ आर्क' नामक प्रसिद्ध वीरांगनाका देशभक्तिपूर्ण अपूर्व जीवनचरित | For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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