Book Title: Jain Gruhastha Ke 16 Sanskaro Ka Tulnatmak Adhyayan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 10
________________ हार्दिक अनुमोदन आगरा हॉल कोलकाता निवासी पिता श्री फतेहसिंहजी एवं मातुश्री पद्माकुमारीजी की अन्तरंग भावना को साकार करते हुए सुपुत्र श्री राजेन्द्रजी-कामिनी, विजयेन्द्रजी-निर्मला सुपौत्र श्रेयांस सुपौत्री स्वीटी समस्त सकलेचा परिवार |

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