Book Title: Jain Granth Prashasti Sangraha 01
Author(s): Parmanand Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 386
________________ परिशिष्ट ११७ तत्रार्थ - टिप्पण (भ० प्रभाचन्द्र) ११३ तस्वार्थवृतिपद विवरण ( प्रभाचन्द्राचार्य) १६३ तपोलक्षणपंक्रिकथा ( ब्रह्मश्रुतसागर ) ६६ तत्त्वार्थ सूत्र - सुखबोधवृत्ति (भ० योगदेव ) ६२ त्रिपंचाशत्क्रियाव्रतोद्यापन ( भ० देवेन्द्रकोर्ति) २१ त्रिभंगीसारटीका (सोमदेवसूरि) २४ त्रिलोकसार-टीका (सहस्वकीर्ति) १३६ त्रैलोक्यदीपक (वामदेव १५३ दशलाक्षिणीवतकथा ( ब्रह्मश्रुतसागर ) १३४ द्रव्यसंग्रहवृत्ति (पं० प्रभाचन्द्र ) ७७ द्रोपदि प्रबंध ( जिनसेन सूरि ) १७ द्विसंधान काव्य-टीका ( पं नेमिचन्द्र ) ८२ धन्यकुमारचरित्र (भ० गुणभद्र ) ६३ धर्मचक्र पूजा (बुध वीर) २५ धर्मपरीक्षा (रामचन्द्र मुनि) २ धर्मरत्नाकर ( जयसेनसूरि ) १२ धर्मोपदेश पीयूषवर्ष (ब्र० नेमिदत्त) ५० ध्यानस्तव (भास्करनन्दी) १० नागकुमारचरित (मल्लिषेण सूरि ) ५२ नागकुमार पंचमीकथा ( पं० धरसेन ) १५७ निदु :खसप्तमीकथा ( ब्रह्मश्रुतसागर ) १०६ नेमिनाथपुराण (प्र० नेमिदत्त) १५ नेमि निर्वाणकाव्य ( कविवाग्भट ) १ न्यायविनिश्चय विवरण ( वादिराजसूरि ) ५१ पदार्थदीपिका ( भ० देवेन्द्रकीर्ति) १०१ पद्मचरित - टिप्पण (श्रीचन्द्रमुनि) २८ पद्मपुराण (भ० धर्मकीर्ति) २२६ १७२ រ २१७ ६१ ८६ २८ ३२ २०३ २१३ २०० ૧૦૩ २५ ११६ १४१ ३३ ३ १८ ७२ १३४ ७४ २१५ १५७ १ ७३ १६३

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