Book Title: Jain Granth Prashasti Sangraha 01
Author(s): Parmanand Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 385
________________ १४७ २७ २२८ जैन ग्रन्थ प्रशस्ति संग्रह १०२ कर्मकाण्ड-टीका भ० ज्ञानभूषण व सुमतिकीर्ति) १२४ कषायप्रामृत टीका = जयधवला (प्राचार्य वीरसेन, जिनसेन) १८३ १७ कामचाण्डालीकल्प (मंत्रवाद) (मल्लिषेणसूरि) ३२ कार्तिकेयानुप्रक्षा-टीका भ० शुभचन्द्र) १५. चन्दनषष्ठीकथा ब्रह्मश्रुतसागर) २११ १११ क्षपणासार (माधवचन्द्र विद्यदेव) १६५ ११८ गणितसार-संग्रह (महावीराचार्य) २० चतुर्दशीव्रतोद्यापन (१० अक्षयराम) ५६ चतुर्विशतिसन्धानकाव्य-सटीक (कवि जगनाथ) ३८ चन्दनाचरित (भ० शुभचन्द्र) ४७ चन्द्रप्रभ-चरित (कवि दामोदर) ३३ चन्द्रप्रभ-चरित (भ० शुभचन्द्र) १३२ चन्द्रप्रभ पुराण (पं० शिवाभिराम) ६. छन्दोनुशासन (जयकीर्ति) १६७ छन्दोनुशामन वृत्तिः स्वोपज्ञ (कवि वाग्भट) २२० ७ जम्बूस्वामि चरित्र (ब० जिनदास) ३१ जयपुराण (ब. कामराज) ६६ जिनसहस्रनाम टीका अमरकीर्तिसूरि) ८१ जिनेन्द्रकल्याणाभ्युदय (अय्यपार्य) ३७ जीवंधरचरित्र (भ० शुभचन्द्र) ६४ जैनेन्द्रमहान्यास (प्रभाचन्द्राचार्य) १४३ ज्येष्ठजिनवतकथा (ब्रह्मश्रुतसागर) २०८ १८ ज्ञानसूर्योदय-नाटक (भ० वादिचन्द्र) ४८ ज्ञानार्णवगद्य- टीका (श्रुतसागरसूरि) ६१ ज्वालिनोकल्प (इन्द्रनन्दियोगान्द्र) १३५ २. ज्वालिनीकल्प (मल्लिषेणसूरि) ८७ तत्वसार-टीका (भ० कमलकीर्ति) ८४ ३६ २५ १४७

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