Book Title: Jain Granth Prashasti Sangraha 01
Author(s): Parmanand Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

View full book text
Previous | Next

Page 394
________________ १२ शिखि देवि कल्प ६३ श्रीदेवता कल्प १४६ १६४ ६४ श्रीपाल चरित ६२ १५ श्रीपार्श्वनाथ काव्य पजिका ५० ६६ द्रव्य निर्णय ६७ षडवाद ६८ सन्मति चरित्र ६६ समयमार १०० सम्मेद शैल माहात्म्य १०१ सरस्वती पूजा १०२ सर्वतोभद्र गौतमान्वय परिशिष्ट २०० नन्द्याम्नाय पंचत्हाण (पंचस्तूपान्वय) पंचस्तूपान्वय पूज्यपाद-वंश माथुरान्वय लोहाचार्यान्वय वागडान्वय ५० ७३, १०५, १२२ ७२ ५० ५० १०६ कुन्दकुन्दवंश कुन्दकुन्द संतान कुन्दकुन्दान्त्रय ६, ३५, ५३, १५४, १५६, २०७, २११, २१३, २२५ ८७ ४ उल्लिखित वंश, अन्वय, गोत्र और जाति १५, ३० १२ १३६ १८२ १८५ ३३ २२२ ६७ १०३ संशयवदन विदारण १०४ सिताम्बर पराजय 19 १०५ सिद्ध चक्र यन्त्र १०६ सिद्धान १०७ सिद्धांतसार १०८ सिद्धिविनिश्चय अग्रवाल अग्रवालान्वय श्रोत (वंश) प्रग्रोतक १०६ सुभौम-चकि चरित्र ११० स्तोत्र १११ स्वरूप सम्बोधन वृत्ति ११२ हरिवंश चरित ५०१ ११३ हरिवंशपुराण ३६.३८, १७८ प्रोantar इंगलेश्वर ( श्रन्वय) कान्यकुब्ज (ब्राह्मण कुल) २३७ कायस्थ (जाति) काटि (गोत्र) काश्यप ( गोत्र ) खंडेलवाल खंडेलवालान्त्रय ५० ७८ २२२ ५० १२२ ११७ ६१ ५० ५० ६२, ८६ १४२ १७, २२२ १३३, १४१ १५८, २०६ १६१ १४० १३१ १२० ११५ ६२ ८७

Loading...

Page Navigation
1 ... 392 393 394 395 396 397 398