Book Title: Jain Dharm Vikas Book 02 Ank 01
Author(s): Lakshmichand Premchand Shah
Publisher: Bhogilal Sankalchand Sheth

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Page 35
________________ न साहित्य में वालियर. 33 जैन साहित्य में ग्वालियर. लेखक-मुनि कान्तिसागरजी (सीवनी) आर्यावर्त के प्राचीन इतिहास में जैन इतिहास का महत्व पूर्ण स्थान है। अर्थातः भारत के इतिहास का मर्म जानने के लिये जैन इतिहास का अध्ययन अनिवार्य है, कारण यही प्रतीत होता है कि जैनियोंने मात्र धार्मिक ग्रंथ निर्माण केसे में ही अपने महान् कार्य की इति श्री नहीं समझी, अपितु अनेक भारतेतिहासोपयोगी ग्रंथभी निर्माण कर उदारता का सुपरिचय दिया है। जैन इतिहास धार्मिक सामाजिक और राष्ट्रीय प्रवृति आदि विविध द्रष्टियों से महत्व पूर्ण है। भारतीय प्राचीन राजवंशों का जितना इतिबृत जैन इतिहास में पाया जाता है उतना अन्यत्र नहीं। भारत का इतिहास तब तक अपूर्ण रहेता हे के जब तक प्रत्येक बड़े बड़े-महत्व पूर्ण नगरों की तवारीख प्रकाशित न की जाय. इसी महान् कमों का ख्याल रखलेना चाहिये, हमने पालणेपुर, बालापुर और पाटन जादि नगरों का इतिहास प्रकाशित कराया है और यह प्रयन्न उपरोक्त कमौ को बहुत कुछ पूरा करता है। यह तो एक विश्वका अच्ल नियम है कि कोई भी वस्तु के पीछे कुछ न कुछ इतिबृत आवश्य रहा करता हैं। इसी भ्रांति ग्वालियर के गर्भ में भी विस्तृत महत्व पूर्ण इतिहास पाया जाता है। यों तो ऊक्त नगर विष्यक भिन्न भिन्न लेखको द्वारा बहुत कुछ लिखा जा चुका है पर उन लेखकों ने जैन इतिहास का उपयोग नहीं किया, कारन यही ज्ञात होता है कि उन लोगों को तद्विषयक साधन प्राप्त न हुए होंगे। . ग्वालियर की स्थापना कब की गइ थी यह ठीक रुपसे कहना कठिन ही नही असाध्य है। दुर्ग ग्वालीय नामक महात्मा के शुभाबिधान से राजा सूर्यसेनने बनवाया था क्यों कि उक्त महात्माने राजा का कष्ट दूर किया था। अतः राजाने कृतज्ञता प्रदर्शित करने के लिये, किला बनाया था। बहुत से इतिहासज्ञोंका कथन है, यह दुर्ग इस्वी सन् से ३१०१ वर्ष पूर्वे बना हुआ है। पर यह कथन अनुचित प्रतीत होता है । उपरोक्त कथन की पुष्टि में विश्वासनीय प्रमाण नही मिलते । कतिपय विद्वानों का अभि मत है कि यह दुर्ग इश्वी सन् ३ शता. ब्दी में बना है। यह दुर्ग भारत के सुदृढ़ दुर्गों में से एक है। (१) देखिये फार्बस त्रैमासिक (बम्बई) वर्ष ६ अंक ३ में मेरा निबन्ध । (द) देखिये श्री जैन सत्य प्रकाश वः ६ अंक १, २, ३, ४ में मेरा निबन्ध । (३) यह ईतिहास का लेखन कार्य करीब करीब पूर्ण होने आया है। (४) दुर्गों वप्रः-दुःखेन गम्यते इति दुर्ग: ___ अपूर्ण.

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