Book Title: Jain Dharm Sindhu
Author(s): Mansukhlal Nemichandraji Yati
Publisher: Mansukhlal Nemichandraji Yati

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Page 11
________________ प्रथमपरिवेदस्य विषयानुक्रमणिका. mrror or or mr mr .... नवकारमंत्र. पंचिंदिश्र. खमासमण. सुगुरुकों सुखशातापृच्छा. रियावहियं..... तस्स उत्तरि..... স্বল্প खोगस्स. .... करेमि नंते. .... सामाश्यवयजुत्तो. जगचिंतामणि. जंकिंचि. .... नमुथ्थुणं. .... जावंति चेश्याइ. जावंत केवी साहु. जवसग्गहरं. जय वियराय. अरिहंत चेश्याणं. कस्लाणकंदं .... स्नातस्या .... संसारदावानल. पुरकर वरदीवड्ढे. सिखाएं बुखाणं.. वेयावच गराणं.. warry D - 02/2 Prorm MMMMN

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