Book Title: Jain Dharm Ki Parampara Author(s): Narayanlal Kachara Publisher: Narayanlal Kachara View full book textPage 8
________________ (1) राजा चेटक महावीर के नाना वैशाली में जैनधर्म का संरक्षण T (2) राजा श्रेणिक (बिम्बसार) (ई.पू. 601 - 552 ) । मगध में जैन धर्म का प्रचार | ( 3 ) अजातशत्रु (ई.पू. 552 - 518 ) मगध का राजा उसने वैशाली को जीता। नन्दों और मौर्यों को सहायता दी । (4) सम्राट चण्डप्रद्योत (5) सम्राट उदायी मगध ( 6 ) नन्दवंश (ई.पू. 306) मगध राज्य राजा नंद । (7) मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त और चाणक्य (ई.पू. 320) मगध राज्य अपने पुत्र को राज्य सौंपकर भद्रबाहु के साथ दक्षिण चले गये और जिन-दीक्षा ली। (8) सम्राट बिन्दुसार चन्द्रगुप्त का पुत्र । ( 9 ) सम्राट अशोक (ई.पू. 277) चन्द्रगुप्त का पौत्र (10) सम्राट सम्प्रति (ई.पू. 220 ) अशोक का पौत्र 2. उड़ीसा कलिंग चक्रवर्ती खारवेल (ई.पू. 174 ) धर्म का प्रसार हुआ । 3. बंगाल इतिहासकारों की मान्यता है कि नामकरण वर्धमान महावीर के नाम पर हुआ 4. गुजरात भगवान नेमिनाथ का निर्वाण गिरनार पर्वत पर (1) राष्ट्रकूट वंश- अमोघवर्ष प्रथम (2) चावड़ा वंश राजा वनराज (3) चालुक्य वंश राजा मूलराज सेनापति विमल ने आबू पर्वत पर जैन मंदिर बनवाया। राजा सिद्धराज जयसिंह राजा कुमारपाल स्थान । 6. मध्य प्रांत खाखेल ने अपने राज्य का बहुत विस्तार किया और जैन - बंगाल में मानभूम सिंहभूम, वीरभूम और बर्दवान जिलों का है । (4) बघेला वंश (13वीं शताब्दी) वस्तुपाल और तेजपाल नामक जैन मंत्रियों ने आबू के प्रसिद्ध जैन मंदिर बनवाए तथा शत्रुंजय और गिरनार पर भी जैन मंदिर बनवाये । 5. राजपूताना अशोक के पहले जैन धर्म प्रचलित ओसवाल, खण्डेलवाल, बघेरवाल, पल्लीवाल जातियों का उदय T 7. उत्तरप्रदेश (1) कलचुरि वंश और कलभ्रवंश ( 8वीं - 9वीं शताब्दी) - मथुरा जैन धर्म का केन्द्र । अन्य राजा जैसे हर्षवर्द्धन, जादो वंश के राजा उदयन, राजा सुहृदध्वज, राजा मोरध्वज आदि। दक्षिण भारत 12 वर्ष का भयंकर दुर्भिक्ष के समय आचार्य भद्रबाहु अपने विशाल जैन संघ के साथ दक्षिण भारत चले गये। उस समय वहाँ जैन धर्म का अच्छा प्रचार था । तमिल प्रान्त में चोल और पाण्ड्य नरेशों ने जैन धर्म को अच्छा आश्रय दिया। पल्लवी राजाओं ने भी जैनों को प्रश्रय दिया। 8Page Navigation
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