Book Title: Jain Darshan me Samatvayog
Author(s): Priyvandanashreeji
Publisher: Prem Sulochan Prakashan Peddtumbalam AP

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Page 423
________________ ३७० जैनदर्शन में समत्वयोग की साधना २००१ चेन्नई ग्रन्थ लेखक/सम्पादक प्रकाशक/प्राप्ति स्थान वर्ष उत्तराध्ययनसूत्र डॉ. विनीतप्रज्ञाश्री श्री चन्द्रप्रभु महाराज दार्शनिक अनुशीलन जुना मन्दिर ट्रस्ट, एवम् वर्तमान साहुकार पेट, परिप्रेक्ष्य में उसका महत्व उदान अनु. जगदीश महाबोधि सभा, सारनाथ काश्यप एथिकल फिलॉसफी आइ. सी. शर्मा जार्ज एलन एण्ड ऑफ इण्डिया अनविन, १६६५ लन्दन ओघनियुक्ति भद्रबाहुस्वामी आगमोदय समिति १६२७ ऋग्वेद संस्कृति संस्थान, बरेली १६६२ कठोपनिषद् शंकरभाष्य गीता प्रेस, गोरखपुर सं.२०१७ कर्मग्रन्थ (कर्म देवेन्द्रसूरी श्री जैन पुस्तक प्रचारक सं.२४४४ विपाक) आत्मानन्द मण्डल कषाय साध्वी हेमपज्ञाश्री थ्वचक्षण प्रकाशन, इन्दौर १६६६ कार्तिकेयानुप्रेक्षा स्वामी कार्तिकेय, शास्त्रमाला, टीका शुभचन्द्र, अगास सम्पा. ए. एन. १६६० उपाध्ये, रायचन्द्र जैन केनोपनिषद् (१०८ संस्कृति संस्थान, बरेली उपनिषदें) ज्ञानार्णव शुभचन्द्राचार्य रामचन्द्र आश्रम, आगास २०५४ गीता डबल्यु. डी. पी.हिल ऑक्सफोर्ड १६५३ गीता (रामानुज भाष्य) गीता प्रेस, गोरखपुर सं.२०१८ गीता (शांकर भाष्य) गीता प्रेस, गोरखपुर सं.२०१८ गुणस्थान वीरपुत्र वीर सं. आनन्दसागरजी २४७१ महाराज गुणस्थान सिद्धान्त : प्रो. सागरमल जैन पार्श्वनाथ विद्यापीठ, १६६६ एक विश्लेषण वाराणसी गुणस्थान विवेचन पं. रतनचन्द पतारी प्रकाशन संख्या भारिल्ल शास्त्री घटप्रभा, जिला बेलगाँव, १९८७ कर्नाटक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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