Book Title: Jain Darshan me Parmanu
Author(s): Nandighoshvijay
Publisher: Z_Jain_Dharm_Vigyan_ki_Kasoti_par_002549.pdf

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Page 3
________________ अध्याय में बताया है कि "पूरयन्ति गलयन्ति इति पुद्गलाः" । पुद्गल द्रव्य में उसके नाम के अनुसार पूरण व गलन की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है | सभी प्रकार के पौद्गलिक पदार्थों में सर्जन अर्थात् नये नये परमाणुओं के जुडने की तथा पूर्व के परमाणुसमूह में से कुछेक की अलग होने की प्रक्रिया अर्थात विसर्जन निरंतर चलता ही रहता है | सूक्ष्मबुद्धि से देखने पर कोई भी पदार्थ निरंतर एक समान कभी भी नहीं रहता है । जैसे अपने शरीर में | अरबों कोशिकायें हैं, उसमें से हररोज लाखों कोशिकाओं का विनाश होता है और दूसरी प्रायः उतनी ही या उनसे कम या ज्यादा कोशिकाओं का निर्माण होता रहता है । ___ परमाणु भौतिकी में प्राप्त बंध (fussion) व भेद (fission) की प्रक्रियायें पूरण व गलन के श्रेष्ठतम उदाहरण हैं । इन दोनों प्रक्रिया में | शक्ति की जरूरत होती है । कुछेक परिस्थिति में बंध (fussion) की प्रक्रिया से अणुशक्ति प्राप्त होती है तो कुछेक परिस्थिति में भेद (fission) की प्रक्रिया से अणुशक्ति प्राप्त होती है । परमाणु प्रक्रिया में इस्तेमाल किये जाने वाले युरेनियम तथा रेडियम में से तीन प्रकार के किरण (आल्फा, वीटा, गामा किरण) निकलते हैं । ये किरण भी एक प्रकार के कणों की बारिश ही है और यह ऑसीलोस्कोप जैसे यंत्र में स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है | आल्फा किरण के कण हिलियम के अणु की नाभि जैसे होते हैं । बीटा किरण में इलेक्ट्रॉन होते हैं। | जबकि गामा किरण प्रकाश के किरण जैसे होते हैं । प्रकाश के किरण में| भी फोटॉन कण होते हैं । जैन ग्रंथों के अनुसार परमाणुसमूह के प्रकार को वर्गणा कहा जाता है ।। संपूर्ण ब्रह्मांड में ऐसी वर्गणाओं के अनंतानंत प्रकार हैं किन्तु जीवों के लिये| उपयोग में आनेवाली वर्गणा मुख्य रूप से आठ प्रकार की है । 1. औदारिक वर्गणा, 2. वैक्रिय वर्गणा, 3. आहारक वर्गणा, 4. तेजस् वर्गणा, 5. भाषा वर्गणा, 6. श्वासोच्छ्वास वर्गणा, 7. मनो वर्गणा, व 8. कार्मण वर्गणा । वर्गणा अर्थात् किसी भी एक निश्चित संख्या में जुड़े हुए परमाणुओं का समूह | प्रथम वर्गणा अर्थात् इस ब्रह्मांड में विद्यमान भिन्न भिन्न परमाणु, जिनका स्वतंत्र अस्तित्व है | उन सभी परमाणुओं का समावेश प्रथम वर्गणा में होता है । उसी तरह दूसरी वर्गणा का अर्थ दो दो परमाणुओं के समूह । 18 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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