Book Title: Jain Darshan ke Mul Tattva
Author(s): Vijaymuni Shastri
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 189
________________ लघु नव तत्त्व प्रकरण जीव तत्त्व वियोगी भंग १. संवर २. निर्जरा ३. मोक्ष नव तत्त्व १. एकेन्द्रिय के चार भेद : १. सूक्ष्म पर्याप्त ३. बादर पर्याप्त संयोगी भंग १. पुण्य २. पाप ३. आस्रव ४. बन्ध जीव के भेद २. विकलेन्द्रिय के छह भेद : १. द्वीन्द्रिय पर्याप्त ३. त्रीन्द्रिय पर्याप्त ५. चतुरिन्द्रिय पर्याप्त ३. पञ्चेन्द्रिय के चार भेद : १. असंज्ञी पर्याप्त ३. संज्ञी पर्याप्त Jain Education International अजीव के भेद १. अस्तिकाय के नव भेद : अजीव तत्त्व २. सूक्ष्म अपर्याप्त ४. बादर अपर्याप्त २. द्वीन्द्रिय अपर्याप्त ४. त्रीन्द्रिय अपर्याप्त ६. चतुरिन्द्रिय अपर्याप्त २. असंज्ञी अपर्याप्त ४. संज्ञी अपर्याप्त १. धर्म के तीन - स्कन्ध, देश, प्रदेश २. अधर्म के तीन - स्कन्ध, देश, प्रदेश ३. आकाश के तीन-स्कन्ध, देश, प्रदेश ( १७२ ) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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