Book Title: Jain Darshan
Author(s): Lalaram Shastri
Publisher: Mallisagar Digambar Jain Granthmala Nandgaon

View full book text
Previous | Next

Page 274
________________ [२६४ जैन-दर्शन चालीस दिन में वतलाई है । उस प्रसूति के मकान में चालीस दिन तक पात्र दोन या गुरूकी उपासना और होम क्रिया आदि कार्य नहीं किये जा सकते । तथा जिसके संतान हुई है ऐसी प्रसूता स्त्री डेड महीने तक भगवान जिनेन्द्र देवकी पूजा और पात्र दान नहीं कर सकती । यदि किसी श्रावक के घर किसी दासी की प्रसूति हुई हो वा घोडी की प्रसूति हुई हो तो उस घर में तीनदिन तक सूतक मानना चाहिये । यदि आपने घर किसी दासी की प्रसूति हुई हो तो उस घर में रहने वालों को धर्म कार्यों में पांच दिन तक सूतक मानना चाहिये । यदि अपने घर बिल्ली, ऊंटिनी, कुत्ती, गाय, भैंस, बकरी आदिकी प्रसूति हुई हो तो उस घर में रहने वालों को एक दिन का सूतक मानना चाहिये । यदि गाय भैंस, कुत्ती, विल्ली आदि की प्रसूति अपने घर के बाहर हुई हो तो उस घर में रहने वातों को किसी प्रकारका सूतक नहीं लगता। क्योंकि घरके वाहर प्रसूति होने से उसके साथ घर वालों का कोई संबंध नहीं रहता। यदि अपने घर घेवती (पुत्री की पुत्री) की प्रसूति हुई हो तो उस घर वालों को एक दिनका सूतक लगता है। यदि पुत्री वा बहिन । की प्रसूति हुई हो तो उस घर वालों को तीन दिन का सूतक लगता है। ऐसे लोगों को अर्थात् सूतक वालों को शुद्धि के अन्त में भगवान जिनेन्द्र देव का अभिषेक कर भगवान की पूजा करनी चाहिये । और फिर पात्र दान देना चाहिये । ऐसे भगवान जिनेन्द्र देव का मत है । जिस ली की प्रसूति होती है उसको डेड महिने का सूतक माना गया है और पता आदि सपिंड वा कुटुम्बी लोगों

Loading...

Page Navigation
1 ... 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287