Book Title: Jain Darshan
Author(s): Lalaram Shastri
Publisher: Mallisagar Digambar Jain Granthmala Nandgaon

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Page 280
________________ २७० ] जैन-दर्शन दिन का और दूरके कुटुम्बियों को एक दिनका सूतक लगता है । जिसका उपनयन वा जनेऊ हो चुका है ऐसे वालक के मरने पर माता पिता और निकट कुटुम्बियों को पूरा सूतक लगता है । पाचवीं पीढी के कुटुम्बियों को छह दिन का, छठी पीढी के कुटुम्बियों को चार दिन का और सातवीं पीढीं के कुटुम्बियों को एक दिन का सूतक लगता है । सातवीं पीढी से आगे के लोगों को नहीं लगता । यदि पहले मरण सम्वन्धी एक सूतक लगा हो और उसमें ही एक दूसरा सूतक भरण सम्बन्धी और आजाय तो पहला सूतक समाप्त हो जाता है । इसी प्रकार जन्म सम्बन्धी एक सूतक में जन्म सम्बन्धी दूसरा सूतक जाय तो पहला सूतक समाप्त हो जाता है तथा मरण सम्बन्धी सूतक में जन्म सम्बन्धी सूतक समाप्त होने पर ही दूसरा जन्म सम्बन्धी सूतक समाप्त हो जाता है । परन्तु जन्म सम्बन्धी सूतक समाप्त होने से दूसरा मरण सम्वन्धी सूतक समाप्त नहीं होता । * देशांतर का सूतक यदि अपने माता पिता वा भाई दूर देश में मर जाय तो पुत्र वा भाई को पूर्ण दश दिनका सूतक मानना चाहिये । तथा दूरके * जिस देश के बीच में कोई वडी नदी हो पर्वत हो जिस देशकी भाषा बदल जाय और जो जिस योजन एक सौ बीस कोस दूर हो उसको देशांतर कहते हैं ।

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