Book Title: Jain Center Detroit 1998 06 Pratistha
Author(s): Jain Center Detroit
Publisher: USA Jain Center Detroit MI

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Page 189
________________ रजा स्थापना निक्षेपे मूर्ति - मंदिरनी स्थापना अतिशय आवश्यक "अमेरिझ" या हशमां ; भ्यां सुयोग्य साधु-साहनो विहार नहीं त्यां धर्मनी मासि मारे जा ४ प्रधान जालंजन हो रजा भूर्ति-मंदिर ना निमित्ते समा४ साथै ममे छे. सामाजित व्यवस्थासो रहे हो. परस्पर भैनोना परिययो- संजोधो रचने पछे छे. मैत्री आदि भावना जो योषाय छे मना भ्रातृभाव वधे आपला संसारो सिंयाय छे. जा राते रजा मूर्ति-मंदिर की स्थापना संघने घागी उपज25 छे, खाने अवश्य खालेका छ डाट्रोघर जो हैन संघ रजा पर्ये सुंदर महिर जनाकी रजा प्रतिष्ठा इराकी रह्यो छे ते भागीने घायो ४ रजानंहपाय छरे जावी भिण्य वीतराग परमात्मानी मूर्ति संघनाल जहनो ते भूर्तिना दर्शन-वंदन रहने युक्न द्वारा वीतराग अवस्था याभी खात्मजल्याग साधे रजने भुक्तिगतिगामी जने जेष्ठखाशा Jain Education International 3 दि. तरभसास डासां महता १०२, रामसा टापर्स सुरत चीनोड नं 3400, भारत. टोलोमन ९८८ ९४3. 179 For Private & Personal Use Only डावा भागया www.jainelibrary.org

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