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होवास मोक्ष जिसे न जाये परंतु वीतराग परमात्मा वा होय ? तेनु ज्ञान अवश्य खाये छे ते ज्ञान द्वारा मोक्ष या अवश्य धाय ४ हे सेड्सना यसयित्रो सहने से ससना विसारो जावे छे शूरातननां शासयित्रो भेघने के शूरातन खाते है, हुणी हरिद्री रखने रोगी सोसेना यतयित्रो भने ने९३ए॥ खावे छे. वाघ-सिंह समहिना यतयित्रो कहने के लय साव, तो शान्तरसी लरोत भूर्ति लेधने समता - निर्विरिता रजने वैराग्यादि गुगोडेमन जावे? भात-पिता माहिना झेरा 25 होवा छतो मेने अर्ध झडे, तना उपर अर्थ यग मुड़े, यांय दश हभरनु हान मेरी मुझयसा झटा क कोही उतारे तो छु धाय तेनुं झरा शुं ? साझा से तो क्ड है, ये झेटाड्यां या जाप छे? छता भात-पिता यागाळली जुधि दुरावे छे तेम मूर्ति पाए ४5 होया छतां वीतरागनी स्मृतिषु अराछे आहे युकनाय दर्शनीय जने वंदनाय छे
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हमरो रहने साजो वर्षों यहाँ लरज मराराम से शत्रुभ्यनुं
मंदिर जनादयुतेक ४ राते कुमारपास महाराज, वसतु यास लेक्यास, संप्रति महाराज साह जनक महापुरषो तारंगा-खजुराएपुरशेजेधर - सम्मोशिजर रखने गिरनार जाहि अर्पतो उपर रहने लुमि उपर भव्य ईसाकृतिमय मंदिरो जनाव्यो छे ने युग्नाय न होते तो साथी डरोडोनी संपत्ति जा मेहिरोना निर्माण भी डेम जर्यान ? रेनो भावनिक्षेयो युन्नीय है तेना यारे निक्षमा पुग्नीय छे नाम-स्थापना -द्रव्य जने भाव जा यार निक्षेप वस्तु भगाय है सत्युउयोना उसने सती स्त्रीसोनी नामी सहसे, मामा गएगी से मे नामनिक्षेपों हो मूर्ति जनाकी कसे ते स्थापनानिक्षेयो छौ ते सोनी निर्वाण माझ्या मधानी हेापस्था अथवा उपप्रशान भाग्या भरसोनी पूर्वावस्था से द्रव्यनिक्षेपो हो ने तीर्थर्डर तरीके इमली सरावस्था गापनिदोयो हो भारे द्रव्य जने भावनिक्षेमाना विरट भां
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