Book Title: Jain Bhasha Darshan
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 116
________________ सन्दर्भ ग्रन्थ सूची अङ्गुत्तर निकाय सम्पा० भिक्षु जगदीश काश्यप, पालि पब्लिकेशन बोर्ड (बिहार सरकार), १९६० अनुयोगद्वारसूत्रम्-श्री मणिलाल करमचन्द, श्री केसरबाई ज्ञानमन्दिर, नगीनभाई हाल, पाटण (उत्तर गुजराज), १९३९ अपोहसिद्धि (रत्नकीति)-अनुवादक : गोविन्दचन्द्र पाण्डेय, दर्शन प्रतिष्ठान, जयपुर, राजस्थान अभिधान राजेन्द्र-श्री अभिधान राजेन्द्र कार्यालय, श्री जैन प्रभाकर प्रिंटिंग प्रेस, रतलाम, प्रथम संस्करण; १९१३ आचारांग-व्याख्याकार-श्री आत्मारामजी महाराज; आचार्य श्री आत्मारामजी जैनागम प्रकाशन समिति, जैन स्थानक लुधियाना; प्रथम प्रवेश; १९६४ आवश्यक नियुक्ति-हरिभद्रीय वृत्ति ।। कठोपनिषद्-उपनिषत्संग्रह : (भागद्वयोपेतः) मोतीलाल बनारसोदास, बंगलो रोड, जवाहरनगर, दिल्ली-७; प्रथम संस्करण; १९७० केनोपनिषद्-उपनिषत्संग्रहः (भागद्वयोपेतः) मोतीलाल बनारसीदास, बंगलो रोड, जवाहरनगर, दिल्ली-७, प्रथम संस्करण; १९७० काव्य प्रकाश-व्याख्याकारः आचार्य विश्वेश्वर; प्रथम संस्करण, १९६० ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी जैन तर्क भाषा-उपाध्याय यशोविजय, श्री त्रिलोक रत्न धार्मिक परीक्षा बोर्ड, पाथर्डी जैनदर्शन-डा. महेन्द्रकुमार न्यायाचार्य, तृतीय संस्करण १९७४ श्री गणेशप्रसाद वर्णी जैन ग्रन्थमाला, वाराणसी-५ जैन न्याय-पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री, भारतीय ज्ञानपीठ, दुर्गाकुण्ड, वाराणसी-५ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास-भाग १, पं० बेचरदास, प्रथम संस्करण, पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, आई०टी० आई० रोड, वाराणसी-५ जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश-जिनेन्द्रवर्णी, भारतीय ज्ञानपीठ, दुर्गाकुण्ड, वाराणसी-५ तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक-सम्पादक : पं० मनोहरलाल, निर्णय सागर प्रेस, बम्बई; प्रथम संस्करण; १९१८ तत्त्वार्थसूत्र-उमास्वाति, विवेचक पं० सुखलाल जी संघवी (तृतीय संस्करण) पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, वाराणसी-५ तैत्तिरीयोपनिषद्-उपनिषत्संग्रहः (भागद्वयोपेतः) मोतीलाल बनारसीदास, बंगलो रोड, जवाहर नगर दिल्ली-७; प्रथम संस्करण; १९७० दीघनिकाय-सम्पा० भिक्षु जगदीश काश्यप, पालि पब्लिकेशन बोर्ड (बिहार सरकार) १९५८ धवला-वीरसेन अमरावती, प्रथम संस्करण । नन्दिसूत्र-सम्पादक : मुनि श्री फूलचन्द्रजी श्रमण, आचार्य श्री आत्माराम जेन प्रकाशन समिति लुधियाना (१९६६) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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