Book Title: Jain Bhasha Darshan
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 120
________________ ४० ५७ ४, १३ १११ १ शब्द-सूची : १०७ गोविन्दचन्द्र पाण्डेय ५२ नैगमनय नय ७४ गौण्यपद नाम ४१ नैपातिक गौतम नैयायिक १३, १४,३३, ३४, ३५, ४५, ५१ चित्र-सिद्धान्त नोगौण्यपद नाम जमाली ५, ६, ७,८ न्याय-दर्शन जयन्ति ११,९९ न्यायसूत्र ५८ जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण १८, २१ न्यायकुमुदचन्द्र ५, ३६, ४५, ४६, ४७, ४८, जैनतर्कभाषा १६, ७४, ७५, ७६, ७७, ७८ जैन दर्शन (डॉ. महेन्द्र कुमार) ५२, ५९, ८१ पञ्चसंग्रह जैनन्याय (पं० कैलाशचन्द्र जी) ३६, ३७, ४५ पतंजलि ४, ३०, ५० ___४६, ४७, ५०, ५२ पद का स्वरूप जैन साहित्य का बृहद् इतिहास १८, १९ पद्मराजे (डॉ) जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश १८, २९, ३१, ४१ परतः प्रामाण्यवाद ढंक कुम्भकार पराघात तत्त्वार्थवार्तिक ५ प्रज्ञापनासूत्र १२, १३, २५, २७, २८, ३१, तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक ९३,९४,९६ तत्त्वार्थसूत्र १, १५, १६, २८, ३३, ७३, पर्याप्त-भाषा ७७, ७८ पर्यायाथिकनय तदुत्पत्ति सम्बन्ध पाणिनि तद्रूपता सम्बन्ध पारमार्थिक प्रत्यक्ष तात्पर्य ६७ पूज्यपाद तादात्म्य-सम्बन्ध प्रतिपक्षपद नाम ताकिक-अणु १०० प्रभाकर ६९, ७१ साकिक-विश्लेषणवादी ४६ प्रभाचन्द्र ५, ५०, ५९,६०, ६३, ६४, ६५, ६८ तैत्तिरीयोपनिषद् प्रमाणनयतत्त्वालोकालंकार ३५, ५८८८ द्रव्य-निक्षेय प्रमाणपद द्रव्याथिकनय प्रमेयकमलमार्तण्ड ५, ३६, ४४, ५०, ५२, ५९, धवला १२, १९, २०, २९, ४१, ५८ ६०, ६२, ६८, ७० ध्वनितरंग प्रयोग-सिद्धान्त ७३ प्रश्नव्याकरण सत्र नव-रस प्राधान्यपद नाम नाम-निक्षेप ७७ प्रायोगिक नामपद ३९, ४२ प्रियदर्शना निक्षेप निश्चयनय ७६ बर्कले नेमिचन्द्र ९, ११, ९९, १०० ४७ ४१ प्लेटो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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