Book Title: Jahangir no Vidharmi Pavitra Purusho Pratyeno Adar
Author(s): Chotubhai R Nayak
Publisher: Z_Jinvijay_Muni_Abhinandan_Granth_012033.pdf

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Page 6
________________ २६ डा० छोटूभाई र. नायक थशे. परंतु एवो संत तो उन्का १ अने कीमिया समान छे. ते तो एकांतवास सेवनारी होय छे, ते या भरेली ठठ मां क्या थी होय ? एक मंडली में थई. ते मां ना साधुप्रो ने मलतां दिलमां अंधकार सिवाय कंईज प्राप्त थयु नहिं" पागल उपर जहांगीरे लख्यु छे के त्यां अन्य धरणां संतो हता; परंतु ए सन्यासी थी उत्तम ते मंडली माँ कोई जोबा मां पाव्यो नहि. हि० स० १०२५ (ई० स० १६१६) नो एक बनाव छे ते बखते जहांगीर उज्जैन माँ हतो, त्यां ते गोंसाई जदरूप ने मल्यो. तेनी पाछल तो ते घेलो थई गयोहतो. तेनी साथेनी मुलाकात अंगे तेणे जणाव्यु छ के' "होडी मां बेसीने हुं पागल चाल्यो. में अनेक बार सांभल्यु हतु के जदरुप नाम नो एक योगी केटलाक बरसो थी उज्जैन नजीकना जंगल मा एक खूरणामां बस्ती थी दूर परमात्मानी भक्ति मां लीन रहै छे. तेने मलवानी मारी घणी आतुरता हती. हु आग्रा पायतख्त मां हतो, त्यारे तेने बोलावी तेने मलवानी मारी इच्छा थई हती; परंतु तेम करवां माँ तेमने तकलीफ पड़े एवो ऊंडो विचार करी में तेमने बोल्यावो नहि. हुं मजकूर शहेर नी नजीक मां पहोंच्यो. होडी माथी उतरी पगपाला तेने मलवा गयो। जे जगाए ते रहे छे ते एक गुफा छे. ते तेणे एक टेकरी मांथी खोदीने बनावेली छे. तेनो प्रवेश मेहराबना आकारे देखाय छे. तेनी लंबाई एक गज अने पहोलाई दस गिरेह छे.२ गुफा ना ए प्रवेश पागल थी तेना रहेवानु स्थल सुधीनो भाग लंबाई मां बेगज अने पांच गिरेह अने पहोलाई मां सवा अगियार गिरेह छे. अने जे गुफा मां ते रहे छे तेनी लंबाई साड़ा पांच गिरेह अने पहोलाई साड़ा त्रण गिरेह छे. तेनु शरीर पातलु छे.ते गुफामां ते मुश्केली थी समाई सके छे. ते मां न तो चटाई अने न तो घासी नी पथारी. ते सांकड़ी अने अंधारी गुफामां ते एकलोज रहे छे. शियालानी ठंडी हवातां कई प्रोढतो नथी, टाटनो टुकड़ो आजु बाजु विटाली राखे छे, ते सिवाय बीजु कई कापड़ तेनी पासे न थी ते पाग सलगावतो नथी. मौलाना रूमीए एक दरवेश ना मोंमां नीचेनी शेर मूकी छे, ते एनी हालत ने अनुरूप छः 'पोशिशे मा रोज, ताब आफताब शब निहालीए, लिहाफ़ अज माहताब । [दिवस अमारू वस्त्र छे, सूर्य अमारी गरमी छे; रात्रि (अमारी) सादड़ी छे अने चांदनी (अमारी) रजाई छ.] तेना स्थाने पासे एक तलाव छे त्यां जई ने ते दर रोज बे बार नहाय छे. दिवस मां एक बखत ते उज्जैन नगरी मां आवे छे, त्यां सात ब्राह्मणो मांथी त्रण बाल बच्चा वाला छे. अने तेयो गरीब अने संतोषी हालत १. फारसी साहित्य मां एक कल्पित पक्षी नु नाम उपमा माटे वपराय छे. ते अंगे एकी मान्यता छे के तेनु नाम जाणमा छे अने तेना शरीर विशे माहिती न थी. एक समय तेनी संख्या एकनीज होय छे. ते हवामां कायम उडतु रहे छे, तेना जीवन नो अंत नजीक आवे छे त्यारे ते बली मरे छे अने तेनी राख माथी बीजु उत्पन्न थाय छे. कोई दुर्लभ, असाधारण विरल अने अप्राप्त वस्तु नी उपमा ए नामथी प्रापवा मां आवे छे, १. तुजुके जहाँगीरो पृ० १७६-७७२. एक गिरेह बराबर त्रण आँगल पहोलाई नु मापथाय के. ए गजनो सोलमो भाग छ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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