Book Title: Jahangir no Vidharmi Pavitra Purusho Pratyeno Adar
Author(s): Chotubhai R Nayak
Publisher: Z_Jinvijay_Muni_Abhinandan_Granth_012033.pdf
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जहांगीर नो विधर्मी पवित्र पुरुषो प्रत्येनो आदर विद्वानो जोड़े धर्म अंगेनी चर्चा मां रस अने अनेक संप्रदायोना आचार्यो साथ नों संपर्क अने व्यवहार, शेख मुबारक अने तेना पुत्र अबुल फजल ना धर्म सहिष्णुता अंगे ना विचारो नो प्रभाव अने सौ करतां विशेष ते समये चालतां धार्मिक सुधारा माटे नां अांदोलनोए कुटुम्ब मां चाली पावती मजहबी भावनायो बाबत मां अकबर माँ परिवर्तन प्राण्यु हतु । तेना दरवारीयो उपर ए कार्यनी भारे असर हती. बादशाहे सर्व धर्मनो अभ्यास करी अंतःकरण ने योग्य लागता सिध्धांत मुज्जब बर्तन राखवान मन साथ विचारी लीधु । तेनो पुत्र सलीम तख्तनशीनी पछी जहांगीरनां टूका खिताब थी अोलखायो ते पण तेना बाप अकबरनी की पेठे धर्म चुस्त मुसलमान रह्यो न हये, शबे-बरात (१) अये ईदना तहेवारो तो ते पालतो हतो; परंतु ते साथे पारसीमोना नवरोज़ (२) अने हिन्दुनोना दिवाली, दशेरा, रक्षाबंधन अने शिवरात्रि ना मोटा हिन्दु तहेवारो पण हिन्दु राजवीप्रोनीजेम उत्साहपूर्वक अने दबदबाथी ते उजवतो हतो (3) सलीमना जन्म ( ई०सं० १५६६) अंगे कहेवाय छे के अकबर योगणत्रीस के त्रीस बरसनी उमरे पहोंचे ते अगाउ तेने अनेक बालको थयाँ हता; परन्तु तेमानु एक पण हयात रह्यन हतु. पाथी तख्त माटे ना तेना उत्तराधिकारी अंगेनी चिता तेना दिलने सतावबा लागी हती, अधीरो बनी अल्लाहनी रेहमत ने पहोंचेला ( अटले के मृत ) तेमज तसबुफना राह उपर चालनारा (यात) सूफीग्रोनी दरमियानगीरी ते में सिद्धि माटे शोधता फरतो हतो-दर बरसे अजमेर मां पावेली १. मुसलमानों नी मान्यता मुजब से रात्रि दरमियान खुदाना हुक्म मुजव फरिश्ता मनुष्यों ना जीवन ना कार्यों नो हिसाब करे छे अने तेमने जीविका बहेंचे छे, मुसल्मानो नमाज पढे छे, जागरण करे छे, अने ते पछीना दिवसे रोजो राखे छे. २. ईरान मां उत्सव नो दिवस छे. ए पछी वसंत नी शरुपात थाय छे. ए मार्च नी २२ मी तारीखे पड़े छे. ३. जहांगीर नी आत्मकथा, तुजुके जहांगीरी मां अंगेना प्राधारो अनेक ठेकाणे मले छे. Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२ डा० छोटुभाई र. नायक शेख मुईनुद्दीन चिश्ती ( मृ० ई० स० १२३६ ) नी दरगाहे जातो (१) अने खाहिश बर आवणे तो पगपाला तेनी जियारत करवानी मानता पहा तेणे मानी, ए संयोगे दरमियान श्रे साथै शेख सलीम चिश्ती ( मृ० ई० स० १५७२ ) नामना नेवुवरसना वृद्ध सूफीनो सहारो मेलववाते तेने मलयो । जहांगीरे पोतेज तेनी आत्मकथा तुजुके जहांगीरीमा (२) अ अंगेग्रेवी विगत पापी छे के "हजरत अर्श-आशियानी (स्वर्गस्थ अकबर ) सल्तनत नी संस्थाज़ारी राखवाने अल्लाह पासे थी तख्त माटे योग्य पुत्रनी मागणी कर्या करता हता, त्य रे तेना मानीता दरबारीयो मां थी कोईक जगा के शेख सलीम नामनो एक दरवेश ा तरफना सूफीयो मां पवित्रता माटे मशहर हे अने अकबरावाद (प्राग्रा) थी बारकोस उपर आवेला सीक्री कस्बा मां रहे छे आपजो आपनीमा ग्रारजू तेमनी पागल प्रदर्शित करो तो मुरादनु झाड़ तेमनी दुवाना सिंचण थी फलाऊ बनशे. ते पछीते हजरत (अकबर) शेखनी मजिल ऊपर गया अने नम्रता अने निष्ठा साथे दिलनी आ बात तेनी आगल जाहेर करी. तेनी मुराद फलशे ग्रेवा शुभ समाचार तेमने शेखे आप्या. त्यारे तेमणे कह य के "हवे हैं बाधाराखु छ्के ते फरजंदने पापनां दामन मां उछेर माटे मूकीश. जेम ने अपनी बाह्य तेमज आंतरिक बरकत थी महान थाय. शेख ये प्रस्ताव मान्य राख्यो अने ते बोल्या कि मुबारक रहे अने तेनू नाम अमे अमारा पोताना नाप उपरज राखी दीधु" थोड़ाज समय मां निष्टाने परिणामे उमेद बर पावी. जन्नत मकानी (४) (स्वर्गस्थ वालिदा) ने प्रसव नो समय नजीक अाव्यो त्यारे तेने शेखने त्यां मोकलवा मां प्रावी अने मारो जन्म फतेहपुर मां शेख सलीम नी मंजिल मां थयो. त्यारे करार कर्या मुजब नाम सलीम राखवा मां पाव्यु" जहांगीर नो चारित्र्य बाबत मा सामान्य रीते जे कोई इतिहासों मां नोधायु होय ते लक्षमा लेवा मां आये तो तेना जन्म समय ना मजकूर रुथेला अने तेना पिता अकबर ना दरबार ना धामिक सहिष्णुत भरेला वातावरण ना प्रभाव ने लई ने मुसल्माने तेमज हिंदू अने अन्य धर्मोना पवित्र पुरुपो मां तेरणेत्यारे श्रद्धा दाखली हती. ए बीजी दृष्टिए विचार करतां ते समये हिंदुनो अने मुसलमानो मां जाहेर मां प्रावता नया मुधरेला संप्रदायो अंगेनु तेनु ज्ञान नहिवत हतु. एकज अल्लाह नी मान्यता थी अने मजहब नी चालु आवती रुढ़िना १. अकबर नामा तबकाते अकबरी, मुन्तखबुत्तवारीख, जहांगीर नामा २. पृष्ठ ३ (दीबाचो) ३. अल्लाह तालानु सोऊ ऊंचा आसमान उपर तख्त होवान मनाय छे अने त्यां जेनो मालो छे ते मोगल सल्तनत दरमियान गुजरेला शहेनशाहोने पावा खिताबो आपवां मा प्रावता । ४. कोई इतिहास मांतेनु नाम मलतु न थी. सुजनराये (खुलास तुत् तवारीख पृष्ठ ३७४ दिल्ली) मा मरियमुज्जमानी (जमाना नी मरियम एटले जीससका इस्तनी माता अंग्रेजी में मेरी) ससंद त्यांरे ते हयातने होवाथी जहांगीर तेने माटे जन्नत मकानी (एटले के जन्नत मां हवे जेनु स्थान छे ते) शब्द वापर्यो छे. मरियमुज्जमानी तेनु अधिकार युक्तनाम हतु, अकबर नी ए बेगम मूल रजपूत राजकुवरी हथी. Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जहांगीर नो विधर्मी पवित्र पुरुषो प्रत्येनो आदर २३ पालन थी ते संतोष मानतो हतो. अने, संतो, सूफीयो, सन्यासीनो अने धर्माचार्यो ने मलवा मां अने तेमनी साथे बात अने चर्चा करवा मां तेनो रस पडतो हतो. परन्तु ते साथे खटपटी लोकप्रिय धर्माचार्यो अन धर्माध लोको ने मामाजिक अने राजकीय व्यबस्थानी स्थिरता मलबवामां ते खतरनाक लेख तो हतो. शीख गुरु अर्जुन ऊपर तेना शासन दरमियान थयेलो जुलम चर्चास्पद छे. ए गुरु (जन्म ई. स १५६३) गोविद वाल मां रहेतौ हतो. ते चोथा शीख गुरु रामदास नो पुत्र हतो. बालवय थीज आध्यात्मिक स्वभाव अने ध्यानी चित्त ते धरावतो होवानी वात प्रचलित हती. ई. स. १५८१ मां शीख गुरु तरीके तेणां पिता नो ते उत्तराधिकारी बन्यो. तेना पूर्वगामीनों नां हिंदू अने मुसलमान सुधारको ना अने तेमनां पोतानां भजनो अने कथनो नो संग्रह आदिनाथ ग्रंथ मां तेणे कर्यो हतो. तेनु निरीक्षण करतां अकबर ने अर्जुन नी आदर्श प्रतिभा नी झांकी थई हती. ते शहनशाह ना अवसान पछी अर्जुन गुरु ए परेशान हालत मां रहेता बंडखोर शाहजादा खुसरों ने सहारो आपवानी भूल करी पाड़ी' जेने लईने तेने माथे आफत उतरी. गुरु ना विरोधीओ एवो पूरो लाभ उठाव्यो अने जहांगीर पागल राज्यद्रोह अने दुराचार ना रंग थी रगो ने ए बाबत रुजु करी. परिणाम शहेनशाहे शत्रुनो नी जाल में फंसाई पड्यो. तेणे तेने सजा करी अने तेनी माल-मिल्कत जप्त करावी (ई० स० १६०६). जहांगीरे पोतानी तुजुक मां या बनाव नी विगत पापी छे. तेणे बताव्यु छे' के “बियाह नदी ने किनारे प्रावेला गोविंदवाल मां एक हिंदु रहतो हतो तेनु नाम अर्जुन हतु. ते संत रूपे रहेतो हतो. अनेक भोला भला हिंदुनो बल्के अज्ञान अने मुर्ख मुसलमानों ने पंण तेणे पोतानी रीति-नीति मां बांध्याजहता. तेश्रो तेना संत-जीवन अने तेनी पवित्रता नी बुलंद आवाजे जाहेरात करता हता. तेयो तेने गुरु कहेता हता. प्राजु बाजुयी बेवकूफ लोको अने मुर्ख भक्तो तेने प्रावी मलता रहता. अने तेनामा तेश्रोनी अंध श्रद्धानी ऐ रीते प्रतीति करावा हता. गुरुनी त्रण चार पीढी थी या दुकान चालु प्रावती हती. लांबा समय थी मने विचार अाव्या करतो हतो के पा दुकान काढी नांखवी जोइए अथवा तो तेने मुसलमानो नी जमात मां लाव जोइए. अंते एबु बन्यु के या रस्ते खुसरो प्रसार थयो भने प्रा नालायके तेनी सेवा मेलव वानो इरादो कर्यो. जे स्थले ते रहेतो हतो त्यां तेणे मुकाम कर्यो. ते तेने मल्यो अने तेने केटलीक बाबतो जणावी. ते पछी तेणे तेनो कपाल उपर तिलक वर्यु. एने हिंदुनो शुकनियाल माने छे. या बात मारा सांभलवामां प्रावी. में तेने सम्पूर्ण रीते पोकल गणीने तेने मारी पागल हाजर करवाना हुक्म कर्यो. तेना आश्रम तथा तेना बालकों ने में मुर्तजा खान (नामना अमलदार) ने सोंप्या अने तेनां माल मिल्कत जप्त कराव्या. तेने में सजा फरमावी" १. शीख अनुश्रु ति परा मुजब अकबरे तख्त माटे खुसरोनी नीमपु कह करी हती. ते बखते ते काबुल रह्यो हतो. तेणे अर्जुन गुरु ने नाणांनी मदद आपवा आजीजी करी हती. गुरु ए जवाब मां का, के 'मारु नाणु गरीबो माटे छे अने शाहजदाग्रो माटे नथी. खुसरो बोल्यो के हुं प्रत्यारे गरीब, तंग अने निराधार हालत मां छुअने मारी पासे मुसाफरी करवामाटे खर्चना पैसा न थी" गुरु अजून ते पछी तेने पांच हजार रुपिया पाप्या (Macauliff-Sikh Religion Vol. III pp 84-5; Cunningham-History of the Sikhs & Garrett pp. 53) १. तुजुके जहांगीरी पृ० ३५ Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ डा० छोटभाई र. नायक शीखोनी अनुश्रतिमां प्रा बनाव नीचे प्रमाणे नोधवामा अावेलो छः जहांगीरे गुरु ने तेनी सामे बोलाव्या अने कह्य के 'तु एक महान संत छे, एक महान् उपदेशक छ अने पवित्र पुरुष छ, त गरीब अने तवंगर ने समान गणे छे. ते थी मारा दश्मन खसरोने तें पैसा प्राप्या ए योग्य न कयु' अर्जू ने जवाब प्राप्यो के हैं हिन्दु के मुसलमान, तवंगर के गरीब, दोस्त के दृश्मन एम तमामने मोहवत के नफरतनी (पक्षपात) दृष्टि थी जोतो न थी, अने आज कारण थी तारा पुत्र ने में थोड़ा पैसा तेनी मुसाफरीनां खर्च माटे आप्या अने नहि के ते तारो विरोधी हतो ते थी, जो में तेने तेनी जलती परिस्थितिमां सहाय न करी होत अने तारा पिता शहेन शाह अकबरनी मारा तरफ नी माया ध्यान में राखी होत तो आम जनता ए मारा हृदयनी कठोरता माटे मने धिकार्यों होत, अने तेयो कहेत के हुं डरतो हतो, दुनियांना गुरु, गुरुनानक ना अनुयायी ने माटे ए विना अरण घटती बनत" ते पछी जहांगीरे तेने बे लाख रुपियानो दंड कर्यो अने हिंदु अने मुसलमान धर्मो विरुद्धनां भजनो तेनां ग्रथमाथी काढी मांखवानो तेने हुक्म कर्यो। त्यारे अर्जुन गुरु बोल्या के 'जे कई धन मारी पासे छे ते रंक निराधार अने अजाण्या लोकोने माटे छे, जो तारे धन जोइतु होय तोतु मारी पासे जे छ ते लई ले; परंतु जोतु दंड तरीके ते मांगतो होय तो हुँ एक कोडी पण तने पापीश नहि; कारण के दंड दृष्ट दून्यवी लोको उपर लादवामां आवे छे अने नहि के धर्माचार्यों अने सन्यासीनो उपर । ग्रंथसाहेबमांना भजनो काडी नाखवा बाबत मां जे कई ते का ते अंगे जणाववानु के हुं सहेज पण ते मांथी काढी नांखीश नहि, के बदलीस नहि, हुं शाश्वत ईश्वर अने परमात्मा नो भक्त छु', तेना सिवाय कोई शासक न थी, अने तेणे जे कई गुरु नानक थी मोडी गुरु रामदास सुधीना गुरुप्रोना अने ते पछी मारा हृदय मां प्रगट कर्य छे ते पवित्र ग्रन्थ साहेब मां नौंववामां आवेलू छे, जे भजनो तेमाँ स्थान लीधे लुछे ते कोई हिंदु अवतार के कोई मुसलमान पैगम्बर ने माटे अपमान युक्त न थी, पेगम्बरो धर्माचार्यो भने अवतारो असीम साश्वत् ईश्वर तरफ थी कार्यो करे छे एम तेमा श्रद्धापूर्वक लखेलुछे, मारु ध्येय सत्नो प्रचार अने जूठ नो विनाश करवानु छे अने ए कार्यनी सिद्धि मा पा क्षणभंगूर देहनो लय थाय तो हुँ मारु अहो भाग्यलेखीश. कंई जवाब आप्या बिना मुलाकातनो ओरडो छोडी जहांगीर चाल्यो गयो, काजी ते पछी गुरुने जगाव्यु के 'तमारे दंड भरवो जोइए अने नहि तो केद भोगववो जोइए; अजून दंड भरवा माटे फांलो उधराववानी मनाई तेमना अनुयायीनो तुरतज करी, काजीपने अने पंडितो तेमना ग्रथ मांथी व भजनो काढी नांखे तो तेमने मुक्ति आपवानी दरखास्त पेशकरी, त्यारे अर्जुन जबाब प्राप्यो के 'मनुष्यो ने आ अने बीजी दुनियां मा सुख अने नहि के आपत्ति आपबा ग्रंथ साहेबनी रचना करवामां प्रावेली छे, तेने नये सरथी लखुव अने तमो मांगों छो ते प्रमाणे तेमाथी काढी नाखव' अने तेनां फेरफार करवो असंभवितछे, ते पछी शत्रोए जे त्रास तेमना उपर गुजार्यों ते सर्व गुरुए शांत चित्त अने खामोशी पूर्वक सहनकों अने न तो निसासो नांख्यो अने न तो दुःखनो अवाज काढयो, बदले सु वचन उच्चा रवा तेमने वीजी तक प्रापवामां प्रोयी त्यारे निडरपणे तेणे जवाब प्राप्यो, 'मुर्खायो! हतमारा पावर्तन थी कदी डरवानो 1. Gokul Chand Narang-Transformation of Sikhism, pp. 31-41. Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जहांगीर नो विधर्मी पबित्र पुरुषो प्रत्येनो आदर २५ नथी. आ सर्व ईश्वरेच्छा थीज बने छे. जे कारणने लईने आ जुलम तमो मारा उपर करो छे, तेमां मने अानंदज आवे छे, शहेनशाह नी जाण अने मंजूरी बिना वधारे ने वधारे त्रास तेने पापवामां आव्यो. अंते एक दिवसे गुरू ए नदी मां नहावानी परवानगी मेलवी अने किनारे जई देह त्याग कर्यो !" दबिस्ताने मजाहिब मां जणाववामां आव्यु छ के गुरु अर्जुन ने जे दंड करवा मां आव्यो हतो ते ते भरी शक्यो नहि, ते थी तेने लाहोर मा केदखाना माँ राखवामां आव्यो. गरमी ने कारणे अने तेप्रोने दंड तेनी पासे थी वसूल करवाने काम सोंपवामां आव्यु हतु तेमणे तेना उपर करेला जुलम ने लईने तेवु मृत्यु थयु. जहांगीरे अर्जुनगुरु ने करेली सजा बाबत मां सियासत' अने 'यासा' शब्दो वापरेला छे२. 'सियासत नो अर्थ सजा थाय छे. अने यासा नो अर्थ मोंगोलिया नी भाषा मां 'फांसी' थाय छे. परतु ते समय बपराती प्रशिष्ट फारसी भाषा मां समानार्थ शब्दो एक साथे बापरवानी चालु आवती रूढि मुजब श्रे बने नो उपयोग 'सजा' नाज अर्थ मां थयो होवानी संभावना छे अने न के देहांत दंड अर्थ मां. जेम के केटलांक पुस्तकों माँ नोंधवा माँ आव्यु छे; मजकूर अनुश्रुतिमां पण देहांत दंड कर्यो होवानो उल्लेख नथी. अहिं जहांगीर अने खुस्रो ना संबंध बाबतमां थोड़ी स्पष्टत करवु आवश्यक छे, जे उपर थी अर्जुन गुरु ने करेली सजाना कारण नो ख्याल अावशे. बन्यु हतु एवं के जहांगीर नो मोटो पुत्र खुस्रो तेनी रजपूत बेगम मानबाई ने पेटे अवतरेलो हतो. रजपूतो नो तेनी तरफ पक्षपात हतो. अने अकबर पछी तेने तख्तनशीन करवानी पेरवी तेमणे करवा मांडी हती. खुसरो ए छडे चोक बापनी निंदा करवा मांडी. ए मान बाई सहन करी शकी नहि अने दिवानी बनी. ई०स० १६०४ मां तेरणे अपघात कर्यो. अकबर बादशाह पण गभराई गयो हतो-तेथी तेणे तमाम सरदारो अने विशेष करीने मानसिंह पासे जहांगीर ने बफादार रहेवानां सोगंद लेवडाव्या. अकबर मांदो पड़तां कावतां शरू थयां अने जहांगीर तख्तनशीन थताँ खुस्रोए बंड कयु. अर्जुन गुरु ए तेने सहकार आप्यो. जहांगीर नां अति विपरीत संजोगो मां ए बन्यु अने तेने सजा थई. अर्जुन गुरु ए बंडखोर खुस्रो ने मदद करी ने पक्षपाती वलण न प्रदर्शित कयुं होत तो तेने छेड़वानु कोई कारण जहांगीर माटे उपस्थित थातज नहि. पोतानू जीवन पोतानी रीतेज ते जीवी शक्यो होत. जहाँगीर ने पवित्र पुरुषो माटे अति आदर हतो. आध्यात्मिक ज्ञानविशे माहिती मेलवबा बाबत मां तेने त्यारे आकर्षण हतु अने ए अंगेना अनेक दृष्टांतो तेनी तुजुक मां भले छे. हि०स० १०१६ (ई०स० १६०७) मा ते काबुल मां हतो त्यां तेने थयेला अनुभव नी विगत प्रापता ते जणावे छे के-'बुधनो दिवस हतो. सरदार खान नो बाग परशावर (पेशावर ?) नजीक आवेलो छे. त्यां में मुकाम कों. ते पछी तेनी नजीक पावेला गोरखरी तीर्थ स्थान तरफ हं गयो, मने प्राशा हती के एकाद संत नजरे पडशे अनें तेना संपर्क थी कईक फायदो १. हस्तप्रत, गुजरात विद्यासमा संग्रह नं० इ१४ २. तुजुके जहांगीरी, पृ० ३५ ३. तुजुके जहांगीरी पृ० ५० Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६ डा० छोटूभाई र. नायक थशे. परंतु एवो संत तो उन्का १ अने कीमिया समान छे. ते तो एकांतवास सेवनारी होय छे, ते या भरेली ठठ मां क्या थी होय ? एक मंडली में थई. ते मां ना साधुप्रो ने मलतां दिलमां अंधकार सिवाय कंईज प्राप्त थयु नहिं" पागल उपर जहांगीरे लख्यु छे के त्यां अन्य धरणां संतो हता; परंतु ए सन्यासी थी उत्तम ते मंडली माँ कोई जोबा मां पाव्यो नहि. हि० स० १०२५ (ई० स० १६१६) नो एक बनाव छे ते बखते जहांगीर उज्जैन माँ हतो, त्यां ते गोंसाई जदरूप ने मल्यो. तेनी पाछल तो ते घेलो थई गयोहतो. तेनी साथेनी मुलाकात अंगे तेणे जणाव्यु छ के' "होडी मां बेसीने हुं पागल चाल्यो. में अनेक बार सांभल्यु हतु के जदरुप नाम नो एक योगी केटलाक बरसो थी उज्जैन नजीकना जंगल मा एक खूरणामां बस्ती थी दूर परमात्मानी भक्ति मां लीन रहै छे. तेने मलवानी मारी घणी आतुरता हती. हु आग्रा पायतख्त मां हतो, त्यारे तेने बोलावी तेने मलवानी मारी इच्छा थई हती; परंतु तेम करवां माँ तेमने तकलीफ पड़े एवो ऊंडो विचार करी में तेमने बोल्यावो नहि. हुं मजकूर शहेर नी नजीक मां पहोंच्यो. होडी माथी उतरी पगपाला तेने मलवा गयो। जे जगाए ते रहे छे ते एक गुफा छे. ते तेणे एक टेकरी मांथी खोदीने बनावेली छे. तेनो प्रवेश मेहराबना आकारे देखाय छे. तेनी लंबाई एक गज अने पहोलाई दस गिरेह छे.२ गुफा ना ए प्रवेश पागल थी तेना रहेवानु स्थल सुधीनो भाग लंबाई मां बेगज अने पांच गिरेह अने पहोलाई मां सवा अगियार गिरेह छे. अने जे गुफा मां ते रहे छे तेनी लंबाई साड़ा पांच गिरेह अने पहोलाई साड़ा त्रण गिरेह छे. तेनु शरीर पातलु छे.ते गुफामां ते मुश्केली थी समाई सके छे. ते मां न तो चटाई अने न तो घासी नी पथारी. ते सांकड़ी अने अंधारी गुफामां ते एकलोज रहे छे. शियालानी ठंडी हवातां कई प्रोढतो नथी, टाटनो टुकड़ो आजु बाजु विटाली राखे छे, ते सिवाय बीजु कई कापड़ तेनी पासे न थी ते पाग सलगावतो नथी. मौलाना रूमीए एक दरवेश ना मोंमां नीचेनी शेर मूकी छे, ते एनी हालत ने अनुरूप छः 'पोशिशे मा रोज, ताब आफताब शब निहालीए, लिहाफ़ अज माहताब । [दिवस अमारू वस्त्र छे, सूर्य अमारी गरमी छे; रात्रि (अमारी) सादड़ी छे अने चांदनी (अमारी) रजाई छ.] तेना स्थाने पासे एक तलाव छे त्यां जई ने ते दर रोज बे बार नहाय छे. दिवस मां एक बखत ते उज्जैन नगरी मां आवे छे, त्यां सात ब्राह्मणो मांथी त्रण बाल बच्चा वाला छे. अने तेयो गरीब अने संतोषी हालत १. फारसी साहित्य मां एक कल्पित पक्षी नु नाम उपमा माटे वपराय छे. ते अंगे एकी मान्यता छे के तेनु नाम जाणमा छे अने तेना शरीर विशे माहिती न थी. एक समय तेनी संख्या एकनीज होय छे. ते हवामां कायम उडतु रहे छे, तेना जीवन नो अंत नजीक आवे छे त्यारे ते बली मरे छे अने तेनी राख माथी बीजु उत्पन्न थाय छे. कोई दुर्लभ, असाधारण विरल अने अप्राप्त वस्तु नी उपमा ए नामथी प्रापवा मां आवे छे, १. तुजुके जहाँगीरो पृ० १७६-७७२. एक गिरेह बराबर त्रण आँगल पहोलाई नु मापथाय के. ए गजनो सोलमो भाग छ Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जहांगीर नो विधर्मी पवित्र पुरुषो प्रत्येनो आदर मां पानंद मले छे. तेमनां घर पसंद करीने तेमने त्यां ते जाय तेरो जे भोजन पोताने माटे तैयार करे छे तेमांथी पांच कोलिया भीख तरीके तेश्रो पासे थी तेनी हथेली मां ले छे अने खाव्या बिना ते प्रोगाली जाय छे. तेम करी तेनी स्वादेन्द्रिय ने तेनी लहेजत प्राप्तथया देतो नथी ? ते भीख माटे जाय ते मां शरतो छ के आपनारने मुसीबत न पडे अने तेना घर मां कोई स्त्री प्रसव वाली तेमज मासिक धर्म मां न होय.एन नियमोप्रा त्रण घरो मां पलाय छे. मैं जे आलख्यु ते मुजब तेनु जीवन चाले छे. ते कोई ने मलवानी इच्छा राखतो न की; परंतु तेनी घणी ख्याति थई गई ते थी लोको तेनां दर्शन करवा तेनी पासे जाय छे. ते ज्ञान सम्पन्न छे. वेदांत नु ज्ञान जे तसब्बुफ (सूफीवाद) नुज्ञान छे ते मां ते निष्णात छे, छः घड़ी तेनी पासे हुँ रह्यो अने घणी वातो तेनी साथे करी, तेनो मारा उपर भारे प्रभाव पड्यो. मारी चर्चानी तेना उपर पण असर थई. मारा वालिदे ( अकबर ) असीरगढ़ अने खानदेश ( ई० स० १५६६१६०० ) जीत्यां अने आग्रा गया ते बखते एजस्थले तेमणे तेने जोय हता अने तेने घणी सारी रीते याद करता हता". जहांगीर हि० स० १०२७ ( ई० स० १६१८ ) मां अहमदाबाद थी पाछी उज्जैन गयो त्यारे फरीथी तेनी मुलाकाते गयो. हजी' तेअंगे तेणे लख्यु छ के “जदरुप ने मलवाने मारुदिल तलपापड़ थयु. बपोरनी नमाज पछी होड़ी मां बेसने तेनी मुलाकात करवा उतावलो हँगयो. अने सांजना तेने एकांतवास ना खूणां मां हं दोड़ी पहँच्यो. तेनी साथे में बात करी. इलाही ज्ञानना चार भेद विषे तेनी पासे थी अनेक बाबतो में सांभली-ने तसव्वफ अंगेनी वातो निर्मल दिल थी स्वाभाविक पद्धति ए करे छे. तेनी साथ चर्चा करवा मां अानंद आवे छे. तेनी वय साठ साल जेटली छे. बावीस वरस थी तेणे दुन्यवी संबंध तोड़ी नाखेला छे. अने ब्रह्मचर्य ना धोरो रस्ता उपर कदम मोकेलो छे. आठ साल थी ते नग्नजेबी अवस्था मां रहे छ. में विदाय लीधी त्यारे तेरणे कह्म के 'हुँ अल्लाह ना आ उपकार कई भाषा मां मानु के आवा इन्साफमन्द बादशाह ना जमाना मां हैं शांतिमय दिल थी परमात्मानी भक्ति मां लीन रहुं छु. अने कोई पणरीते तकलीफ नी धूल मारा मवसदना दामन उपर चोंटती न थी". हि० स० १०२८ ( ई० स० १६१६ ) मां जहांगीर मथुरा मां पहोंच्यो त्यारे जदरूप त्यांहतो. ए समाचार मलतां तेना आनन्द नो पार रह्यो नहि. ए अंगेनी नोंध करता ते जणावे छे२ के, "उज्जैन थी गोंसाई जदरूपे हिंदुनोना तिर्थ स्थान मथुरा मां स्थलांतर करेलु छे अने ते परमात्मा ना ध्यान मां लीन रहे छे. ए खबर मने मली त्यारे तेमना दर्शन करवा मारु दिल अधीरु बन्यु. शुक्रवार ने दिवसे हैं उतावले पगे गयो. अने लांबो समय एकांत मां निरांते कोई पण प्रकारनी बातचीत कर्या बिना त्याँ रह्यो. खरे खर तेनी हस्ती गनीमत छे. तेनी साथे बेसबा मां आनन्द आवे छे. अने लाभ थाय छ । १. तुजुके जहांगीरी पृ० २५४-२५५ २. वही पृ० २८२ Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८ डा० छोटूभाई र. नायक . सोमवार' ने दिवसे फरीथी गोंसाई जदरुप ने मलवा दिल अाकर्षायु. निःसंकोच हुँ तेनी कुटीर तरफ उतावलो उतावलो गयो. अपने तेने मलयो. तेनी साथे उच्च कक्षानी घणी बात थई, अल्लाह ताला तेने ताजुबो उत्पन्न करे एवी शक्ति अली छे. तेनी समज उमदा प्रकारनी, तेनो स्वभाव उन्नत कोटिनो अपने तेनी परख शक्ति प्रचंड छे. ते साथे तेना मा इलाही ज्ञान संग्रहित छे. दुनियां नी माया मां थी तेणे तेनु दिल मुक्त करी दीधेलु छे. संसार तथा तेमां जे कई छे ते तरफ तेतो पूठ फेर वेली छे. ते एकांत खूणांमां निःस्पृह जीवन गाले छे. सृष्टि नी चीजो मा थी अ|गज पुराणु टाट तेनी पासे छे. जेवड़े ते तेनु गुप्त अंग ढांके छे. पाणी पीवा माटे तेनी पासे माटींनु वासण छ. शियाला उनाला अने चोमासा मां ते उघाडो नग्न सिरे अने नग्न पणे रहे छे, अति मुश्केिली थी धावतु बालक दाखल थई शके एवी (सांकड़ी) गुफा मां ते रहे छे. बुधवार ने दिवसे फरीथी हुँ गोसांई ने मलवा गयो. अने पछी तेवाथी छूटो पडयो. निःसंकोच तेनी संगतमा रही ने तेनाथी थयेली जुदाई मारा निष्ठावान दिल उपर बोज समान रही. जहांगीर हि० स० १०२७ ( ई० स० १६१८ ) माँ अमदाबाद मां हतो ते दरमियान पण तेदे एक सन्यासी कांकरियानी पाल ऊपर मली गयो हतो. तेणे नोंध्यु छ के "कांकरिया तलाब नी पाल उपर एक सन्यासी तूटी फूटी कुटिर मां रहेतो हतो. ते हिंदु हतो. मारु दिल संतोनी संगत तरफ आकर्षातु रहे तु होवाथी कोई पण प्रकारना संकोच बिना शाही तंबु मांयी नीकलीने फकीरना जेवा तेना बसबाट तरफ हैं गयो. लांवो समय तेनी पासे हैं बेसी रह्यो. तपास करतां जाणवानु मलयु के ते सन्यासी ज्ञान, सज्जनता अने त्याग वृति धरावे छे अन परमात्मा अंगेना मर्म अने अध्यात्म ना भेद थी वाकेफ छे. बाहय रीते ते फकीरी अने दरवेशों जेवो रहे छे अने प्रांतरिक रीते तेणे संसारी माया नो त्याग करे लो छे". आगल उपर जहांगीर तेने विशे लख्यूछे के 'त्यां अन्य अनेक संतो हता; परंतु ते सन्यासी थी चढे एवो ते मंडली मां कोई बीजो नजरे पडयो नहिं". जैन मुनिमोना प्रत्ये पण जहांगीर आदरनी लागणी धरावतो हतो. जैनाचार्यों मां हीर विजय सूरि, विजयसेन सूरि अने विजय देवसूरि जैन समाज ना गोरव-रत्नो छे. जहांगीर ना समय मां एक एवो बनाव बन्यो के हीर विजय सूरि ना पट्ट धर विजयसेन सूरि ए विजयदेव सूरि ने पोताना पट्ट धर बनाव्या हता. तेना केटलाक शिष्यो ए ते नीमणूक सामे वांधो उठाव्यो अने विरोध कर्यो, ए समये जहांगीर ने एवा ए विजय देवसूरि ने मलवानु मनथयु अने तेथी तेणे तेमने पोताना दरबार मां पधारवानु आमंत्रण एक फरमान द्वारा पाठव्यु। जहांगीर मालवा मां मांडू ( मांडवगढ़ ) मांहतो अने सूरि खंभात मां चोमासु पालता हता. फरमान मलतां तेमणे मांडू तरफ विहार कर्यो अनेत्यां पहोंची शहेनशाह १. तुजुके जहांगीरो पृ० २८२-८३ २. अकबर आ मुनि ने रमेशा पोतानी पासे राखतो रतो अनेदर विवारे सवारे एमना मुछे थी बोलाता सूर्य सर स्त्रनाम मालानु एकाग्रता पूर्वक श्रवण करतो रतो. (पद्मश्री मुनिजिन विजयजी-जैन इतिहासनी झलक पृ० १८१) ३. पद्मश्री जिनविजय जी-जैन इतिहास नी झलक-१८७ Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जहांगीर नो विधर्मी पवित्र पुरुषो प्रत्येनो आदर 26 ने मल्या. जहांगीर तेमनी विद्वत्ता, तेजस्विता अने क्रिया-निष्ठा जोई खुश थयो. अने तेश्रो हीरविजय सूरिना साचा उत्तराधिकारी होबानी खातरी थतां तेणे तेमने 'जहांगीरी महातपा' नी पदवी अर्पण करी अने गच्छना साचा अधिनायक तरीके तेने जाहेर कर्या. सिद्धिचंद्र जहांगीर ना समय मां एक विद्वान जैन साधु हता. जहांगीर ना दरवार मां सिद्धिचंद्र नी हाजर जवाबी खोली नीकली हती. ते थी एक बार तेणे तेने साधु जीबन नो त्याग करीने पोताना दरबार माँ सारो दरज्जो स्वीकारबा दबाण कयु. अने नूरजहां ने पण तेना तरफ थी तेने भलामण करी. सिद्धिचंद्र ए प्रलोभन नी दरखास्त पूर्वक टाली. अने तो पोतानां साधु जीवन ने दृढ़ता पूर्वक वलगी रह्या. सिद्धिचंद्र नु आ वलण जहांगीर ने पसंद पड्यु नहि. अने तेणे अने पोतानी इच्छा नो अनादर कर्यो ते थी रोषे भराईने तेने जंगल मा चाल्या जवानो तेणे हक्म कॉ. सिद्धिचंद्र सहर्ष ते प्रमाणे कंयु. परंतु सिद्धिचंद्र ना गुरु भानुचन्द्र 1 दरबार मां जबानु चालुज राख्यु, जहांगीरे पण तेना प्रत्येना आदर मां कई कमी करी नहि. परंतु तेमना शिष्य ने थयेला गेर-इन्साफ ने लई ने तेमनो चहेरो उदास रहेतो हतो. तेनुसाचु कारण जहांगीर ने समजमां आवतां तेने धणो पस्तावो थयो. अने ते विद्वान जैन साधु ने फरीथी दरबार मां पधारवा तेणे आमंत्रण मोकल्युते पछीते 'जहांगीर-पसंद' कहवाया. शीख गुरु अर्जुन एक पवित्र पुरुष हतो. अने जहांगीर तरफ थी तेने हेरानगति थई हती ए बनाव तेना चारित्र्य ना प्रस्तुत पासा उपर डाध तरीके गणवो न गणवो ए एक चर्चास्पद विषय छे. परंतु ए तो निर्विवाद छे के मुसलममान फकीरो अने दरवेशों अने हिंदु सन्यासीनो अने योगीयो ने मलवानी तेनी धुन हती, एवी व्यक्ति कोई ठेकाणो रहेती होवानी खबर पडतां ते तेने मलवा बेकरार थतो अने त्यां दोडी पहोंची तेने मलीने जंपतो. पवित्र पुरुषोनां निर्मल अने तेजस्वी व्यक्तित्व अने विद्वत्ता मां ते रहे तो अने तेमनो पूरो आदर करतो. 1. एमनी प्रतिमाना अद्भुत प्रयोग जोईने बादशाहे एमने 'खुश-फेहम' नो खिताब प्राप्यो हतो (आईने अकबरी)