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जहांगीर नो विधर्मी
पवित्र पुरुषो प्रत्येनो आदर
विद्वानो जोड़े धर्म अंगेनी चर्चा मां रस अने अनेक संप्रदायोना आचार्यो साथ नों संपर्क अने व्यवहार, शेख मुबारक अने तेना पुत्र अबुल फजल ना धर्म सहिष्णुता अंगे ना विचारो नो प्रभाव अने सौ करतां विशेष ते समये चालतां धार्मिक सुधारा माटे नां अांदोलनोए कुटुम्ब मां चाली पावती मजहबी भावनायो बाबत मां अकबर माँ परिवर्तन प्राण्यु हतु । तेना दरवारीयो उपर ए कार्यनी भारे असर हती. बादशाहे सर्व धर्मनो अभ्यास करी अंतःकरण ने योग्य लागता सिध्धांत मुज्जब बर्तन राखवान मन साथ विचारी लीधु । तेनो पुत्र सलीम तख्तनशीनी पछी जहांगीरनां टूका खिताब थी अोलखायो ते पण तेना बाप अकबरनी की पेठे धर्म चुस्त मुसलमान रह्यो न हये, शबे-बरात (१) अये ईदना तहेवारो तो ते पालतो हतो; परंतु ते साथे पारसीमोना नवरोज़ (२) अने हिन्दुनोना दिवाली, दशेरा, रक्षाबंधन अने शिवरात्रि ना मोटा हिन्दु तहेवारो पण हिन्दु राजवीप्रोनीजेम उत्साहपूर्वक अने दबदबाथी ते उजवतो हतो (3)
सलीमना जन्म ( ई०सं० १५६६) अंगे कहेवाय छे के अकबर योगणत्रीस के त्रीस बरसनी उमरे पहोंचे ते अगाउ तेने अनेक बालको थयाँ हता; परन्तु तेमानु एक पण हयात रह्यन हतु. पाथी तख्त माटे ना तेना उत्तराधिकारी अंगेनी चिता तेना दिलने सतावबा लागी हती, अधीरो बनी अल्लाहनी रेहमत ने पहोंचेला ( अटले के मृत ) तेमज तसबुफना राह उपर चालनारा (यात) सूफीग्रोनी दरमियानगीरी ते में सिद्धि माटे शोधता फरतो हतो-दर बरसे अजमेर मां पावेली
१. मुसलमानों नी मान्यता मुजब से रात्रि दरमियान खुदाना हुक्म मुजव फरिश्ता मनुष्यों ना
जीवन ना कार्यों नो हिसाब करे छे अने तेमने जीविका बहेंचे छे, मुसल्मानो नमाज पढे छे,
जागरण करे छे, अने ते पछीना दिवसे रोजो राखे छे. २. ईरान मां उत्सव नो दिवस छे. ए पछी वसंत नी शरुपात थाय छे. ए मार्च नी २२ मी तारीखे
पड़े छे.
३. जहांगीर नी आत्मकथा, तुजुके जहांगीरी मां अंगेना प्राधारो अनेक ठेकाणे मले छे.
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