Book Title: Jahangir no Vidharmi Pavitra Purusho Pratyeno Adar Author(s): Chotubhai R Nayak Publisher: Z_Jinvijay_Muni_Abhinandan_Granth_012033.pdf View full book textPage 5
________________ जहांगीर नो विधर्मी पबित्र पुरुषो प्रत्येनो आदर २५ नथी. आ सर्व ईश्वरेच्छा थीज बने छे. जे कारणने लईने आ जुलम तमो मारा उपर करो छे, तेमां मने अानंदज आवे छे, शहेनशाह नी जाण अने मंजूरी बिना वधारे ने वधारे त्रास तेने पापवामां आव्यो. अंते एक दिवसे गुरू ए नदी मां नहावानी परवानगी मेलवी अने किनारे जई देह त्याग कर्यो !" दबिस्ताने मजाहिब मां जणाववामां आव्यु छ के गुरु अर्जुन ने जे दंड करवा मां आव्यो हतो ते ते भरी शक्यो नहि, ते थी तेने लाहोर मा केदखाना माँ राखवामां आव्यो. गरमी ने कारणे अने तेप्रोने दंड तेनी पासे थी वसूल करवाने काम सोंपवामां आव्यु हतु तेमणे तेना उपर करेला जुलम ने लईने तेवु मृत्यु थयु. जहांगीरे अर्जुनगुरु ने करेली सजा बाबत मां सियासत' अने 'यासा' शब्दो वापरेला छे२. 'सियासत नो अर्थ सजा थाय छे. अने यासा नो अर्थ मोंगोलिया नी भाषा मां 'फांसी' थाय छे. परतु ते समय बपराती प्रशिष्ट फारसी भाषा मां समानार्थ शब्दो एक साथे बापरवानी चालु आवती रूढि मुजब श्रे बने नो उपयोग 'सजा' नाज अर्थ मां थयो होवानी संभावना छे अने न के देहांत दंड अर्थ मां. जेम के केटलांक पुस्तकों माँ नोंधवा माँ आव्यु छे; मजकूर अनुश्रुतिमां पण देहांत दंड कर्यो होवानो उल्लेख नथी. अहिं जहांगीर अने खुस्रो ना संबंध बाबतमां थोड़ी स्पष्टत करवु आवश्यक छे, जे उपर थी अर्जुन गुरु ने करेली सजाना कारण नो ख्याल अावशे. बन्यु हतु एवं के जहांगीर नो मोटो पुत्र खुस्रो तेनी रजपूत बेगम मानबाई ने पेटे अवतरेलो हतो. रजपूतो नो तेनी तरफ पक्षपात हतो. अने अकबर पछी तेने तख्तनशीन करवानी पेरवी तेमणे करवा मांडी हती. खुसरो ए छडे चोक बापनी निंदा करवा मांडी. ए मान बाई सहन करी शकी नहि अने दिवानी बनी. ई०स० १६०४ मां तेरणे अपघात कर्यो. अकबर बादशाह पण गभराई गयो हतो-तेथी तेणे तमाम सरदारो अने विशेष करीने मानसिंह पासे जहांगीर ने बफादार रहेवानां सोगंद लेवडाव्या. अकबर मांदो पड़तां कावतां शरू थयां अने जहांगीर तख्तनशीन थताँ खुस्रोए बंड कयु. अर्जुन गुरु ए तेने सहकार आप्यो. जहांगीर नां अति विपरीत संजोगो मां ए बन्यु अने तेने सजा थई. अर्जुन गुरु ए बंडखोर खुस्रो ने मदद करी ने पक्षपाती वलण न प्रदर्शित कयुं होत तो तेने छेड़वानु कोई कारण जहांगीर माटे उपस्थित थातज नहि. पोतानू जीवन पोतानी रीतेज ते जीवी शक्यो होत. जहाँगीर ने पवित्र पुरुषो माटे अति आदर हतो. आध्यात्मिक ज्ञानविशे माहिती मेलवबा बाबत मां तेने त्यारे आकर्षण हतु अने ए अंगेना अनेक दृष्टांतो तेनी तुजुक मां भले छे. हि०स० १०१६ (ई०स० १६०७) मा ते काबुल मां हतो त्यां तेने थयेला अनुभव नी विगत प्रापता ते जणावे छे के-'बुधनो दिवस हतो. सरदार खान नो बाग परशावर (पेशावर ?) नजीक आवेलो छे. त्यां में मुकाम कों. ते पछी तेनी नजीक पावेला गोरखरी तीर्थ स्थान तरफ हं गयो, मने प्राशा हती के एकाद संत नजरे पडशे अनें तेना संपर्क थी कईक फायदो १. हस्तप्रत, गुजरात विद्यासमा संग्रह नं० इ१४ २. तुजुके जहांगीरी, पृ० ३५ ३. तुजुके जहांगीरी पृ० ५० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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