Book Title: Jab Murdebhi Jagte Hai
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Vardhaman Bharati International Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 17
________________ 2nd Proor. UL. 15.6.18 पिता : सब्र कर बेटा ! सन्न कर.... "ईश्वर के दबार में होती है देर, मगर कभी नहीं अन्धेर...!" योगेन : सन ? कब तक सब पिताजी ! कब तक? अब मुझे आशा नहीं, विश्वास नहीं - आप के ईश्वर की इस दुनिया में । पिताजी ! मैं आप के उसी भगवान को पूछना चाहता कि क्या यह भारत और विश्व कभी प्रेम, सत्य और अहिंसा को जगा सकेगा ? पिता : ज़रुर जगा सकेगा बेटा, ज़रुर ! इस धरती पर एक दिन प्रेम और अहिंसा का राज्य होगा : सत्य, श्रम और संयम का शासन होगा । योगेन : (व्यंग-आक्रोश सह) प्रेम और पवित्रता का राज ! सत्य, श्रम और संयम का शासन !! .... ये लोग प्रेम और पवित्रता; सत्य और अहिंसा को जगायेंगे? बेचारे, जो कि अपनी सारी पवित्रता चाय के एक प्याले पर बेच सकते हैं। पिता : कोई बात नहीं, योगेन ! एक दिन ऐसा आयेगा जब सारा विश्व बापू को दिल से चाहेगा, उनके पीछे पीछे चलेगा.... और ऐसे विश्व का निर्माण होगा । पाश्वगीत : "जहाँ प्रेम की गंगा बहती है। और सृष्टि आनंदित रहती है। सब ही यहाँ एक रहती है, कुछ कमी नहीं परवाह नहीं ... हम ऐसे । हम ऐसे देश के वासी हैं।" पिता : सुन बेटा ! ऐसा होगा । वह विश्व, प्रकाश का देश || पवित्रता का देश || जहाँ सारा विश्व एक नीड़ बनकर रहता है, परिवार बनकर रहता है । रहेगा। पाश्वमंत्र घोष : “यत्र विश्वं भवत्येकनीडम् यत्र विश्वं भवत्येकनीडम्" पिता : यहाँ सब बराबर है, सब समान..... ! योगेन : सब बराबर सब समान । लेकिन कब? पिता : थोड़ी ही देर, बस थोड़ी ही देर... । जहाँ प्रेम की गंगा बहती है..... znd Proor. UL. 10.6.18 योगेन : कितनी देर पिताजी ? कितनी ? मुझे वहाँ कब ले चलोगे ? क्या सपनों का वह देश मेरे लिये सपना ही बना रहेगा? पाश्वध्वनि : "दीनों की भूख जागेगी, वीरों की रूह जागेगी, धधकती आग बरसेगी, धरा को भस्म कर देगी।" प्रेत शहीद पृथ्वीसिंह : नक्षत्रों से नवज्योति ले, फिर धरती पर आयेंगे । निद्रित भारत की भूमि को, फिर जागरित बनायेंगे । - हम प्रकाश के उस देश से आ रहे हैं.... यहाँ पर फिर नया प्रकाश, देश रचने । पाश्वगीत :. "दीनोंकी भूख जागेगी शहीदों की रूह जागेगी।" प्रेत करणसिंह : (अतीत की स्मृति सह) चलाओ, गोली और चलाओ.... अय जालिम ! गोलियाँ नहीं, ये तो फूल हैं फूल भारत माँ के भेजे हुए । (आँखे टटोलकर) भाग गया ? गोली चलानेवाला कुत्ता कायर डायर भाग गया ? (Pose) क्या यही वह जलियानवाला बाग है? क्या यही भारत है? हमारे सपनों का भारत ? (जोरों से वेदनापूर्ण प्रश्न) योगेन : हाँ, यही वह भारत है । तुम्हारे सपनों का भारत । १९६९ का भारत | आज का भारत । करणसिंह : यह भारत ? योगेन : हाँ, यह भारत । करणसिंह : जहाँयोगेन : जहाँ मासूम बच्चों को होटेलों के बर्तन धोने पड़ते हैं. जहाँ जगह जगह पर झूठ, अंधेर और अन्याय है । करणसिंह: (महा वेदना सह) अफसोस । हमने सोचा नहीं था ऐसा आज़ाद भारत । कभी नहीं सोचा था । पृथ्वीसिंह : हमने भारत को प्रकाश और पवित्रता का देश बनान्न चाहा था । करणसिंह : अब तक ऐसा मेल ही न हुआ। लेकिन अब हम फिर से जागेंगे, नया जनम लेंगे, नूतन जन्म लेकर आयेंगे ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 15 16 17 18