Book Title: Ishu Khrist Par Jain Dharm Ka Prabhav Author(s): Bhushan Shah Publisher: Mission Jainatva Jagaran View full book textPage 7
________________ का वह गरीब बालक अध्ययन से नितान्त वंचित था । अपने जातीय धर्म साहित्य का उसे कुछ भी ज्ञान नहीं था । अपने इस अज्ञान पर ईसा का अन्तःकरण क्रन्दन कर उठा, एक सच्चे ज्ञान के खोजी की तडप उसे व्यथित करने लगी। वह यरुशलम के विशाल मंदिर प्रांगण में जहां बडेबडे आलिम यहूदी धर्म के विद्यालय चलाते थे, उनकी सेवा में बैठ गया । परन्तु गरीब यूसुफ के लिए उसे वहां छोडना शक्य नहीं था, फलतः तीन दिन के पश्चात् ही उसे पिता के साथ नाजरथ लौट आना पडा । किन्तु उसके हृदय में जिज्ञासा ने घर कर लिया था, इसलिए जब तक उसकी शान्ति नहीं हो जाती, उसका घर बैठे रहना कठिन हो गया । यही कारण था कि जन्म के तेरहवें वर्ष में जब उनकी विवाहचर्चा चल रही थी, वह चुपचाप घर से निकल गये और कुछ सौदागरों के साथ सिन्ध होते हुए हिन्दुस्तान पहुंच गये। हिन्दुस्तान में वह सत्रह वर्ष रहे । यह बात डॉक्टर नोतोबिच ने, जो रुसी विद्वान और परम खोजी थे और जिन्होंने ४० वर्ष पर्यन्त ईसा पर शोध की, उसके लिए देश-विदेश का अबाध पर्यटन किया, प्रामाणिक रुप से लिखी है । तेरह वर्ष के बालक के लिए यह निर्णय करना सुगम है कि आगे के सत्रह वर्ष वह अध्ययन में बिताये । यही तो संस्कारशील होने तथा अध्ययन करने की अवस्था है। हमारे आधार की पुष्टि डॉ. नोतोबिच के उन संकलनों से भी हो जाती है, जो उन्होंने अपने शोध के अन्तर में प्राप्त किये । संक्षेप में यह कि ईसा के भारत में आने की सूचना उन्हें ऊगादी के रेगिस्तान में स्थित एक मठ से प्राप्त हुई। साथ ही, उन्हें तिब्बत और हिन्दुस्तान के बीच हैमिन नामक स्थान पर एक प्राचीन हस्तलिखित पुस्तक पाली भाषा में प्राप्त हुई, जिससे हजरत ईसा के भारत, तिब्बत होते हुए आने का सविस्तार वर्णन किया गया था । 'अनमोल लाइफ ऑफ जीसस' नाम से पुस्तक का प्रकाशन हुआ है। इसी पुस्तक में लिखा है कि वह जगन्नाथ, वाराणसी, राजगृह और कपिलवस्तु में घूमते रहे। उन्होंने बौद्धों से बौद्ध-साहित्य का अध्ययन किया और बहुत दिनों तक जैन साधुओं के पास रहे । मराठी ख्रिस्त परिचय में लिखा है कि "कांही दिवस तो जैन साधु बरोबर रहिला" (पुष्ठ ८८)। प्रसिद्ध यहूदी विद्वान जाजक्स ने लिखा है कि हजरत ईसा ने पैलेस्टाईन में ४० दिनों का उपवास किया था । यह उपवास की प्रेरणा उन्हें भारतीय जैन क्षेत्र पालीताना मेंPage Navigation
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