Book Title: Hindi Jain Sahitya Me Krishna Ka Swarup Vikas
Author(s): Pritam Singhvi
Publisher: Parshva Prakashan

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Page 2
________________ सम्मति हिन्दी जैन साहित्य में कृष्ण का स्वरूप विकास डॉ. (श्रीमती) प्रीतम सिंघवी द्वारा गुजरात युनिवर्सिटी की पीएच.डी. उपाधि के लिए स्वीकृत शोध-प्रबंध है । इस मौलिक एवं बोधवर्धक शोष प्रबंध में विद्वान लेखिका ने संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश और हिन्दी जैन साहित्य के आधार पर वासुदेव श्रीकृष्ण के स्वरूप का गवेषणात्मक अध्ययन प्रस्तुत डॉ. (श्रीमती) सिंघवी ने इस तथ्य को सप्रमाण सिद्ध किया है कि वैष्णव-परंपरा में जहाँ श्रीकृष्ण विष्णु के अवतार माने गये है, वहाँ जैन साहित्य में उन्हें सौंदर्य, प्रेम, दयालुता, वीरता और शरणागत वत्सलता जैसे मानवोचित गुणों से मंडित शलाका पुरुष के रूप में चित्रित किया गया है कहीं-कहीं उन्हें जैन तीर्थंकर का चचेरा भाई भी बताया गया हैं । जैन साहित्य में निरूपित कृष्ण अहिंसक, विनयी, क्षमाशील, शांतिदूत है । उनका रसिक और कूटनीतिज्ञ रूप जैन काव्य में स्वचित ही देखने को मिलता है। श्रीमती (डॉ.) सिंधवी ने प्रस्तुत शोधप्रबंध में अत्यंत तटस्थता के साथ जैन साहित्य में श्रीकृष्ण के स्वरूप-वैशिष्टय का अनुशीलन किया है । उनका यह शोधकार्य सर्वथा मौलिक एवं बोधवर्धक है । मुझे विश्वास है, इसके प्रकाशन से कृष्ण-काव्य के अध्ययन अनुशीलन के लिए एक नया गवाक्ष उद्घाटित होगा। हिन्दी प्रवन गुजरात विद्यापीठ अहमदाबाद-१४. दिनांक- १४.१.९२ डॉ. अम्बाशंकर नागर निर्देशक, भारतीय भाषासांस्कृतिक केन्द्र

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