Book Title: Hemchandracharya tatha Yogshastra
Author(s): Peter Piterson
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 14
________________ अनुसन्धान-५४ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग-२ टीकाने छेडे हेमचन्द्रे आ प्रमाणे लख्युं छे "नामांकित चौलुक्य राजानी ईच्छा परथी ज म्हारा योगशास्त्र पुस्तकनी आ टीका में रची छे. त्रण जगतमां हवामां, पृथ्वीमां तथा आकाशमां ज्यां सुधी जैनमत चालु रहे त्यां सुधी आ टीका चालु रहो. वळी आ पुस्तक तैयार करवानो मने जे बदलो मळवानो होय ते बदलो समजु लोकोने जैनमत तरफ दोरववाने ज मळो.' आस्थावाळा हिन्दुओनी रीति प्रमाणे शरुआतमां ईश्वरनी स्तुति करतां हेमचन्द्र आवी रीते शरु करे छे के मनुष्यजातने जोइने - पापी मनुष्यने जोइने आ ईश्वरनी आंखमां जाणे आंसु आवी जाय छे. ईश्वरनी स्तुतिना आ श्लोकनी पछीना श्लोकमां जैनमतनी प्रशंसानां वचनो कहेवामां आवे छे ने जणाव्युं छे के जगतमा जे बाबतनी मुख्य इच्छा मनुष्यमात्रे करवानी छे ते बाबत ते मनुष्यना आत्मानी मुक्ति छे. ने मुक्ति धर्म वडे ज प्राप्त करी शकाय छे. अेक मनुष्य धर्म वगरनुं जीवन गाळे तेना करतां तो ते मनुष्यना देहमां जन्मवाने बदले खेतरमांना ढोरनो अवतार लीधो होय ते वधारे सारो. हवे खरो धर्म शुं ? ओ वात पर हेमचन्द्र उतरे छे. ते कहे छे के धर्म त्रण प्रकारनो छे : ज्ञान, भक्ति तथा सद्वृत्ति. धर्मनी आ व्याख्या तो हेमचन्द्रनी अगाउ थइ गयेला बीजा आचार्यो पण करी गया छे. पण हेमचन्द्रमां ने बीजा आचार्योमां से सम्बन्धे फेर ओ छे के बीजा आचार्योओ ज्यारे ज्ञान अने भक्ति विषे विशेष विवेचन चलाव्युं छे. त्यारे हेमचन्द्र तेम न करतां ज्ञान ने भक्तिने थोडामां पतावी दइ, कुदावी, सद्वृत्ति पर ज उतरी पड्या छे. सवृत्ति अटले शुं ने सद्वृत्तिवाळा शी रीते थइ शकाय ? ओ विषे तेणे लंबाणथी विवेचन चलाव्युं छे ने ओ विवेचनमा जे उत्तर ओ प्रश्नोनां तेणे आप्यां छे ते उत्तर ओ सम्बन्धे जेवा उत्तर याहुदीओना पेगंबरोओ तथा रोमन कवि दोरेसे आप्यां छे तेने आबेहूब मळतां छे. जो कुमारपाळ राजा सवृत्तिथी (ने तेम करवाथी ज ते मुक्ति पामी शकशे ?) जिंदगी पाळवा इच्छतो होय तो ओ उत्तरमा जणाव्या प्रमाणेनी आज्ञा मुजब तेणे वर्तवू जोइओ. ओ आज्ञा आ प्रमाणेनी छे. तेणे हिंसा करवी नहि. तेणे असत्य बोलवू नहि. तेणे चोरी करवी नहि. तेणे व्यभिचार करवो नहि तथा लोभ करवो नहि. आ पांच आज्ञा जे पाळे तेने अq पद जरुर प्राप्त थशे के जे पद कदी जतुं रहेशे

Loading...

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22