Book Title: Hemchandracharya tatha Yogshastra
Author(s): Peter Piterson
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 17
________________ फेब्रुअरी २०११ नबळाइ शेमां छे ते विषे तेणे हमेशां वाकेफगार रहेवुं. जे सारा माणसो होय तथा जेओ ज्ञानी होय तेमने हरेक प्रकारे रक्षण आपवामां चूकवुं नहि. तेणे हमेशां नरमाशथी वर्तवुं. दया राखवी. समयसूचकताथी रहेवुं. पोताना माटे बीजाओ जे उपकार कर्यो होय ते माटे सदा ओशींगण रहेवुं. बीजाओने मदद जोइती होय ते वेळा मदद आपवामां सदा तत्पर रहेवुं. तथा हरेक रीते मनने ओवुं राखवुं के जेथी आत्माना छ शत्रुओ तेना शरीरमां घर करवा पामे नहि. तेमज तेणे पोतानी सर्व इन्द्रियोने पण वश राखवी. जे जैन ओ सघळं करे छे ते ज जैन दिन परदिन सद्वृत्तिमां बहु मजबूत थतो जाय छे. ने परिणामे ओवा अविचऴ पदने पामे छे के जे पद शाश्वत तेना हाथमां ज रहे छे. ५५ हेमचन्द्रे पोताना आ योगशास्त्र ग्रन्थमां मनुष्ये पाळवाने जणावेली पांच आज्ञाओ विषे बहु लंबाणथी विवेचन चलाव्युं छे. ओमांनी बे आज्ञा विषे तेणे कीधेला विवेचन तरफ हुं तमारी पहेली नजर खेंचुं छं. सर्वे जीवजीवात तरफ दया बताववानी आज्ञामां हेमचन्द्रे बहु बहु वातो जणावी छे. तेमज सर्वे मनुष्योओ मन, वाचा तथा काया ओ सर्वे प्रकारे शुद्ध रहेवुं ते सम्बन्धे पण तेणे बहु आग्रह कर्यो छे. जैनमतनुं विशेष प्राबल्य गुजरातमां छे. ने त्यां प्राणीमात्रना सम्बन्धमां जैनो उपरान्त शैव तथा वैष्णव मतनां लोकोमां पण बहु दयानी लागणी घर करी रही छे. ने तेनो अनुभव केटलीकवार बहु गम्भीर प्रकारो गुजरातमां शिकार करवा जनार युरोपियनोने मऴवाना दाखला हमणां पण बने छे. आ विचार युरोपियन शिकारीओ भाग्ये ज जाणतां हशे के कोइपण पशुपक्षीनो शिकार थतो अटकाववा सम्बन्धे गुजरातनां लोकोना विचार केवा मजबूत छे. ने कोइपण पशु-पक्षीनो शिकार थतो अटकाववाने तेओ केवा पोताना जान आपवाने पण तत्पर थाय छे. ओ बाबत सम्बन्धे हेमचन्द्रे आम कह्युं छे : "बीजाओनुं सुख जोइने पोते सुखी थनार ने बीजाओनुं दुःख जोइने पोते दुःखी थनारा समजु माणसो हमेशां बीजाना सम्बन्धमां अवुं दरेक काम करवाथी अटकशे के जे पोताना सम्बन्धमां थवाथी पोताने दुःख थाय. ओक जीवनुं रक्षण करवा माटे राजा पोतानुं राज्य खोवाय तेनी पण दरकार करशे नहि. ओक पण जीवनी जाणी जोईने हत्या थाय तो ते हत्यानुं पाप धोवा माटे आखी पृथ्वीनुं दान आपवानुं

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