Book Title: Haribal Macchino Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 11
________________ (ए) सु० ॥ तव पंमित तक जोश्ने, वेला साधी सार ला ॥ १५ ॥ सु० ॥लमनबलें कहे रायने, सान लजो सुविचार ला॥ पुत्र तो तुज करमें नही, पूरव नावी जोग ला॥ पण एक पुत्री ने सही, पूरव पुण्य संजोग ला०॥ १६ ॥सु० ॥ रूपें रंजासारिखी,नंदिनी तोहोशे तुज ला ॥ जाणीयें बीजी शारदा, प्रगट होश्ते गुश ला॥१७॥सु॥एम कहीने विप्र ते गयो, से वंबित दान ला०॥ नृप मनमें हरख्यो घणु, जिम रवि कज इकतान ला ॥ १७ ॥ सु० ॥ विप्र वचन ते योगथी, राणी गर्न धरेय ला० ॥ वसंत ऋतु फल फूलगुं,शोनित सुपना लक्ष्य ला॥सु॥१एाजागी तव नृपने कहे, सुपना तणो अधिकार ला ॥ सांजली नृप हरख्यो घणुं, त्रूता श्रीकिरतार ला० ॥ २० ॥ ॥सु० ॥ हरखित थइ राणी हवे, करे ते गर्नजतन ला॥अनुक्रमें मास पूरा थई,जन्मी पुत्री रतन ला ॥ २१ सु॥ दुवां हरख वधामणां,घर घर मंगलमाल ला॥लब्धिजय रंगें करी, पनणी बीजी ढाल ला॥ ॥दोहा॥ ॥जन्मोचव अति हे करे, वसंतसेन नूपाल ॥ मणि माणक मोती घणा, वरसे ज्युं वरसाल ॥ १ ॥ कुंकुम Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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