Book Title: Haribal Macchino Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 9
________________ ( ७ ) सुख जोग ॥ नृपराणी विलसे सदा, पूर्वपुण्य संयोग ॥ ७ ॥ ॥ ढाल बीजी ॥ ॥ रहो रहो रहो रहो वाल्हा ॥ जगजीवन ॥ ए देशी ॥ विलसे जोग ते राजवी, वसंतसेना साथ लाल रे ॥ जन्म सफल लेखे गणे, जाणे पाम्यो याथ लाल रे ॥ १ ॥ सुगुण सनेहा सांगतो, यागल वात रसाल ना० ॥ जीवदया पाली जिणें, ते लह्यो मंगल माल ला०॥ ॥ २ ॥ सु०॥ राज ऋद्धि रमणी घणी, पूरव पुण्यपसाय ला० ॥ सुरपतिनी परें राजवी, पुहवीयें ते गवराय ला० ॥ ३ ॥ सु० ॥ पण तस पुत्र ते को नही, तेणें चिंतातुर होय जा० ॥ प्राय उपाय करे घणा, टेकी न लागे को ला ० ॥ ४ ॥ ० ॥ देव दाणव लख जो मजे, तो पण तिथी न थाय ला० ॥ कर्म आागल चाले नही, जो करे लक्ष उपाय ला० ॥ ५ ॥ सु० ॥ माहा देव महोटो महीयजें, लोकमांहे परसिद्ध जा० ॥ पार्वती सरखी नारीने, करमें पुत्र न दीध ला० ॥ ॥ ६ ॥ सु० ॥ तो बीजानुं गुं गजुं, ए सवि कर्मनां काम ला० ॥ कर्म सखाई जो दुवे, मनवंबित फले ताम जा० ॥ ७ ॥ सु० ॥ एकनें शुभ कर्मे करी, पुत्र तणे घरे पुत्र जा० ॥ नाम करे चिहुं खूंटमां, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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