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Vocerce
शरावरावौ भावलीवशवानि ॥ देवः पूर्वः पल्लवनल्यौ पाशं कुलिशं कर्कशकोशौ ॥ ३२॥ आकाशकाशकणिशाङ्कुशशेपवेपोष्णीपाम्वरीपविपरोहिपमाषमेपाः ॥ - त्यूपयूपमथ कोपकरीपकर्पवामिपा रसवुसेकसचिक्कसाश्च ॥३३॥ कर्पास आसो दिवसावतंसवीतंसमांसाः पनसोपवासौ ॥ निर्यासमासौ चमसांसकांसस्नेहानि वहाँ गृहगेहलोहाः ॥ ३४ ॥ पुण्याहदेहौ पटहस्तनूहो लक्षाररिस्थाणुकमण्डलूनि च ॥ चाटुश्चटुर्जन्तुकशिप्वणुस्तथा जीवातुकुस्तुम्बुरु जानु सानु च ॥ ३५ ॥ | कम्बुः सक्तुर्वगुरुर्खास्तु पलाण्डुहिङ्गुः शिगुर्दोस्तितउः सीध्वथ भूम ॥ वेम प्रेम ब्रह्म गरुल्लोम विहायः कर्माष्ठीवत्पमधनुर्नाममहिम्नी ॥ ३६ ॥ इति निष्ठेवनम् ॥ अन्न यज्ञोपकरणवाचिन पात्रीचशब्द कचित्पठन्ति स त्वाश्रयलिङ्ग ॥ प्रग्रीवो २ वातायनम् ॥ शरावो २ वर्धमानम् ॥ राव २ ध्वनिविशेष ॥ भाव २ स्वभावादिः ॥ लीव. २ तृतीयाप्रकृति ॥ अर्थप्राधान्यात् नपुंसकमपि ॥ शवो २ मृतशरीरम् ॥ देवो २ विधि ॥ पूर्व २ प्रथमता || गुणवृत्तिस्त्वाश्रयलिङ्ग | पल्लव २ किशलयम् ॥ पल्लवान्तत्वात् सपल्लयो २ वास ॥ नल्यो २ हस्तचतु शती ॥ अथ शान्ता ८ ॥ पाशो २ बन्धनम् ॥ कुलिशो २ वज्रम् ॥ कर्कशो २ ऽमृदुत्वम् ॥ गुणवृत्तस्त्वाभयलिङ्गता । कोशो २ भाण्डागार कुड्मल शपथश्च ॥ भाण्डागारेऽर्थप्राधान्यात् गोऽपि तालव्योपान्त्य ॥ समानार्थ मूर्धन्योपान्त्य कोपशब्दो वक्ष्यते ॥ ३२ ॥ आकाशो २ नम ॥ काग २ तृणविशेष ॥ कणिश २ वान्यशीर्षकम् ॥ अडश २ सृणि ॥ अथ पान्ता १५ ॥ शेप २ उपयुक्तेतरत् ॥ वेप २ आकल्प ॥ तालव्योपान्योऽप्ययम् ॥ उष्णपि २ किरीटम् शिरोवेष्टन च ॥ अम्बरीप २ श्राष्ट्र ॥ विप २ गरलम् ॥ रोहिष २४ रक्ततृणम् ॥ माप २ धान्यविशेप ॥ मेप २ मेण्ठम् ॥ प्रत्यूप २ प्रभातम् ॥ यूप २ मुगादिरसविशेप ॥ कोष २ कुड्मलम् ॥ करीप २ शुफगोमयं तदग्निश्च ॥ कर्प. २ पलचतुर्थाश ॥ वर्ष २ सवत्सर वृष्टि खण्ड भरतक्षेत्रादि च ॥ आमिपम् २ उत्कोच मास भाग्यवस्तु च ॥ रसं २ मधुरादि शृगारादि विप वीर्य रागश्च ॥ वुसम् २ कडार ॥ इक्स २ वस्तुविशेष ॥ चिक्कसं २ यवान्नविशेष ॥ चकारात् पायस २ परमान २ च ॥ ३३ ॥ कर्पास २ तूलकारणम् ॥ आसो २ धनु ॥ दिवसं २ दिनम् ॥ अवतस २ शेखर ॥ अवस्य वादेशे वतसोऽपि ॥१) अर्थप्राधान्यादुत्तसो २ ऽपि ॥ वीतस २ पञ्जर ॥ मास २ जङ्गलम् ॥ पनसो २ वृक्षविशेष ॥ उपवास अहोरात्रनिरशनता ॥ निर्यासो २ वृक्षादेनिस्यन्द ॥ मास २ पक्षद्वयम् ॥ चमसम् २ यज्ञपात्रम् ॥ मसूरादिपिष्टे तु बाहुलकात्तीत्वम् । चमसी ॥ अस २ स्कन्ध ॥ कांसो २ भाण्डविशेप ॥ सह २ सौहृद तैलं च ॥ बह २ कलाप वर्ण च ॥ गृहाणि २ दारा वेश्म च ॥ गेह २ सदनम् ॥ लोह २ अय अगुरु च ॥ ३४ ॥ पुण्याह २ पुण्यदिनम् ॥ देह २ काय ॥ पटह २ आनक ॥ तनूरुह २ गरलोनी ॥ लक्ष २ व्याज ॥ वेध्ये कीब ॥ सख्यायां तु स्त्रीलीब ॥ अररि २ कपाटम् ॥ अथोदन्ता ॥ स्थाणु २ शङ्ख ॥ शिवे तु देहिनामत्वात्पुरत्वम् ॥ कमण्डलु २ करक ॥ चाटु २ प्रियवाक्यम् ॥ चटु २ तदेव ॥ जन्तु २ प्राणी ॥ कशिपु २ भोजनाच्छादने ॥ अणु २ परमाणु सूक्ष्मपरिमाणविशेप इत्यर्थ ॥ जीवातु २ जीवनौषधम् ॥ कुस्तुम्बुरु २ धान्यविशेप ॥ जानु २ अष्ठीवान् ॥ सानु २ गिरितटम् ॥ ३५ ॥ कम्बु २ शंख ॥ वलये शम्बूके गजे कचूरे च पुसि ॥ सक्तु २ यवादिविकृति ॥ केचिदेन बहुवचनान्त पठन्ति ॥ दारु २ काष्ठम् ॥ दार्वन्तत्वादेव महादावादयोऽपि पुक्तीवा ॥ सर्वेऽप्येते | एकार्थी ॥ अगुरु २ गन्धद्रव्यविशेष ॥ वास्तु २ गृहभूमि ॥ पलाण्डु २ कन्दविशेष ॥ हिड्गु २ रामठम् ॥ शिग्नु २ शोभाञ्जनम् ॥ अथोदन्तप्रक्रम एव छन्दोऽनुसधानात् सन्त ॥ दो २ बाहु ॥ तितउ २ शूर्पम् ॥ सीधु २ मैरेयम् ॥ अथ व्यञ्जनान्ता १३ ॥ भूमा २ बहुत्वम् ॥ वेमा २ तन्तुयायशलाका ॥ प्रेमा २ स्नेह नर्म च ॥ ब्रह्म २ तप वेद ज्ञानम् आमा प्रजापति ॥ गरुत् २ स्वर्ण पिच्छ च ॥ लोम २ तनूरुहम् ॥ विहाया. २ शकुनिर्नभश्च ॥ कर्म २ क्रिया व्याप्य च ॥ अष्टीवान् २ जानु' ॥ पदम २ अक्षिरोम तुलं च ॥ धनु २ चापम् ॥ नाम २ सज्ञा ॥ महिमा २ महत्त्वम् ॥ ३६ ॥ इति पुनपुंसकलिई समाप्तम् ॥ शुक्तौ गन्धदन्यविशेपे नखशब्द सीलीवलिङ्ग ॥ नखी । नखम् ॥ विश्वमधुकनाम्नी औपधवाचिनी