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थीहेमश०.१: भ्राष्ट्रोपहरराष्ट्तकजठरार्द्राः कुञ्जरः पजरः ॥ २६ ॥ कर्पूरनूपुरकुटीरविहारवारकान्तारतोमरदुरोदरवासराणि ॥ कासारकेसरकरीरशरीरजीरमजीरशेखरयुगंधरवनव-18 ॥१९॥ पाः ॥२७॥आलवालपलभालपलालाः पल्खलः खलचपालविशालाः ॥ शूलमूलमुकुलास्तलतेलो तूलकुमलतमालकपालाः॥२८॥ कवलपवालवलशम्बलोत्पलोपल
शीलशैलशकलागुलाञ्चलाः ॥ कमलं मलं मुशलशालकुण्डलाः कललं नलं निगलनीलमङ्गलाः ॥ २९ ॥ काकोलहलाहलौ हलं कोलाहलकडालवल्कलाः ॥ सौवर्चलधुमले फलं हालाहलजम्बालखण्डलाः ॥३०॥ लागूलगरलाविन्द्रनीलगाण्डीवगाण्डिवाः ॥ उल्वः पारशवः पार्षापूर्वत्रिदिवताण्डवाः ॥ ३१ ॥ निष्ठेवः प्रग्रीवः अन्ये तु जीवम् । केदार २ वा ॥ प्रबरो २ गोत्राषिशेप हिम च ॥ कुलीर २ कर्कटक ॥ शिशिर २ स्तुविशेष ॥ आवम्बर २ करिगर्जितम् पटह उदतवेपादिश्च ॥ गहर २ विल निकुञ्ज दम्भव क्षीर २ दुग्धम् ॥ जले तु नपुसकत्वम् ॥ कोटर १ छिवम् निष्कुहन ॥ चक २ आयुधम् रवाशम् सघात राष्ट्र कटक च ॥ वल्पस्वयो कपि चक्रिका दुरुयोग पुगायतश्च ॥ चुकम् २ अम्लो रस अम्लध्यक्षन च ॥ विमिर २ तम ॥ अहार २ अनिदग्धकाठशकलम् ॥ तुपार २ हिमम् ॥ शर २ वाण दधिसारश्च ।। भ्राहम् २ अम्बरीष । उपह२२ उपसर रह समीप च ॥ राष्ट्र' २ जनपद उपदवा ॥ तकम् २ उदाधित् ॥ जठरम् २ उदरम् ॥ आई २ शववरम् ॥ कुअर २ गज ॥ पारम् २ बीतसम् ॥ २६ ॥ कर्पूरम् २ धनसार । नपुरो २ गऔर ॥ कुटीर २ इवा कुटी । विहार २ भिक्षुस्थानम् यतिचर्या च ॥ वार २ परिपाटि अवसर समूहब । कान्तारो ३ महारण्यम् ॥ तोमर २ शसविशेष ॥ दुरोदरम् २ पण ॥ वासरन् २ दिनम् ॥ कासार २ पल्बलन् । केसर २किल्क सटा च ॥ करीर २ वशाथङ्कर घटव ।।शरीर ३ काय ॥जीरम् २ अजाजीक । जीरकोऽपि च॥ ममीर २ नपुरम् ॥ शेखरम् २ शिरोभूषणम् ॥ युगधरम् २ कूवरम् ॥ यत्रम् २ अशनि रत्न च ॥ वमम् २ क्षेत्र रोधन ॥ २७ ॥ आलवालम् २ आवालम् ॥ पलम् २ मास मानविशेपत्र। भाल २ ललाटम् ॥ पलारा २ धान्यादेशुष्कनालम् ।। पल्वल २ कासार ॥ खल २ पिण्याक दुर्जनश्च ॥ दुर्जने आश्रयलिङ्गोऽप्ययमित्येके ।। चपाल २ यज्ञपात्रम् ॥ विशाल २ विस्तीर्णता । गुणवृचेस्त्वाश्रयलिशाता ॥ शूलम् २ आयुधम् ॥ मूलम् २ आदि प्रतिष्ठा च॥ मुकुलम् २ कमल ॥ तलम् २ अध स्वभावश्च ॥ पृष्ठे तु सातत्यानपुसक ॥ तैलम् २ तिलादिस्नेह ॥ तूलम् २ पिच ॥ कमलो २ मुकुल ॥ तमालो २ वृक्षविशेष ॥ कपालम् २ शिरोऽस्थि । घटादिशकले बजे भिक्षाभाजने व स्वीडीव ॥ २८ ॥ कवल २ भक्ष्यपिण्ड । प्रवालम् २ नवकिशलय विहुमत्र ॥ बल २ प्राण ॥ अर्थप्राधान्यात् सहोऽपि ॥ सैन्यस्थौल्वरूपेषु नु कीब ॥ रावलम् २ पायेयम् ।। उत्पल २ सरोजम् अर्थप्राधान्यात् कुवलयमपि ॥ उपल २ पापाण ॥ शील २ सहुत्त स्वभावश्च ।। शैलम् २ गड कल २ खण्डम् ॥ अबुल २ अगुलीयमानम् ॥ अवलम् २ वबैकदेश ॥ कमल २ पनम् ।। जले तुलीव ।। अर्थप्राधान्यानालीकमपि ॥ मल २ किम् पाप च ॥ किट्टे चार्थनाधान्यात् किट्ट किट्टम् ॥ मुसल २ोदनोपकरणम् ।। अर्थप्राधान्यात् अयोऽन ॥ शालम् २ वृक्षविशेष ॥ कुण्डल २ कर्णाभरणम् ॥ कललम् २ शुकशोणितयोरीपद्धन परिणाम ॥ नलम् २ अन्त शुपिरस्तृणविशेष ॥ नल् गन्धे इत्यस्येदं रूपमिति कृतलवानडादस्य भेद ।निनल्यते वध्यतेऽनेनेति निगल पादबन्धनम् ॥ अयमपि धातुभेदे कृतलवान सिध्यति ।। नील २ वर्णविशेष ॥ महल २ प्रशस्तम् ॥ २९ ॥ काकोलो २ विपभेद । हलाहल २ स एव ।। हल २ सीर । कोलाहल २ कलकल ॥ ककाल २ शरीराखि ॥ वल्कल २ वृक्षादीना त्वक् ॥ सौवर्चलम् २ रुचकम् ॥ धूमल २ तूर्य । फल २ प्रयोजन पुष्पादिभव च ॥ हालाहलो २ विपभेद । एकदेशविकृतस्यानन्वत्वेन झालहलमपि ॥ जम्वाल' २ कर्दम । खण्डल २ खण्डम् ॥३०॥ लागल २ पुछम् ।।गरल २ विषम् ॥ इन्द्रनील २ रनभेद ॥ गाण्डीव २ धनु पार्थधनुन ॥ गाण्डिवर तदेव ॥ उल्ब २ कललम् ॥ पारशव ३शसम् ॥ पार्थ २ कक्षाघ शरीरदेश ॥ अपूर्व २ धर्माधमी ॥ त्रिदिव २ स्वर्ग ताण्डवम् २उत नृत्यम् ॥ ३ ॥ निष्ठेव २:
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