Book Title: Gyandhara 06 07
Author(s): Gunvant Barvalia
Publisher: Saurashtra Kesari Pranguru Jain Philosophical and Literary Research Centre
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विश्वसमक्ष यथार्थ भूमिकामें प्रचार-प्रसार हों। आज का अनेक समस्याओ से त्रस्त मनुष्यो को जैन-जीवनशैली का परिचय कराया जाये ओर विश्व के सामने संदेश पहुंचाये कि आनेवाला समय में परमात्मा महावीर का जीवरक्षा का संदेश ही पर्यावरण की रक्षा कर सकता है।
(१४) डीझास्टर मेनेजमेन्ट
बढती हुई प्राकृतिक विपत्ति पलटता वैश्विक नजारा है। एसी प्राकृतिक विपत्ति के समय 'महाजन' पदधारी जैनसंघ के प्रति स्वाभाविक ही दृष्टि जाती है। जैन संघ ने सामुदायिक एवं व्यक्तिगत रुप से एसी विपत्तिओ के समय बंधुजनो के साथ खडे रह कर यथायोग्य सहयोग दिया है। अब समय है कि, एसे डिझास्टर के समय में जैन संघ संयुक्त रुप से खडा रहे ओर Jain Identy को राष्ट्रीय स्तर पर उचित रीति से मान सन्मान प्रदान कराये।
ये कुल १४ उपरांत भी अन्य बिंदु हो सकते है कि जहा चतुर्विध जैन संघ का समुचित पुरुषार्थ देश ओर विश्व को नई दिशा एवं नई दिशा प्रदान कर सके। मेरा ये विषय का वास्तविक अनुभव कम है, मगर जैन संघ के प्रति श्रद्धा, समर्पण होने के नाते मुझे चतुर्विध संघ एकत्रित हो कर कीस तरह का भावि पेढी के लीए आयोजन कर सके उस दिशामें कुछ विचारबिंदु उपस्थित हुए है, ईस की प्रस्तुति की है।
ये प्रस्तुति में श्री जीनेश्वरप्रभु की आज्ञाविरुद्ध कुछ भी लीखा हो तो क्षमा चाहता हूं।
(જ્ઞાનધારા ૬-૭
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જૈિનસાહિત્ય જ્ઞાનસત્ર ૬-૭)